बिहार

पहल कलाकारों में जागरूकता को अखिल भारतीय मंच सीनेटरी ग्रुप

Ritisha Jaiswal
14 Sep 2023 11:42 AM GMT
पहल कलाकारों में जागरूकता को अखिल भारतीय मंच सीनेटरी ग्रुप
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उच्च माध्यमिक स्कूलों में यह समूह भी बन गया है।
मधुबनी: सेनेट्री ग्रुप के 55 हजार से अधिक बच्चों में सेनेट्री ग्रुप का गठन किया जा रहा है। प्रत्येक समूह में दस लाख दुकानदारों की भूमिका में रुचि। ये स्कूल की अन्य माताएं सेनेटरी पैड का उपयोग करना, साफ-सफाई का ध्यान रखना, मठ आदि आहार से संबंधित जानकारी मांगना। लड़कियों की चाहत दूर करने के लिए ग्रुप मेक की दुकानें बनाई जा रही हैं। पांच हजार मध्य, माध्यमिक और उच्च माध्यमिक स्कूलों में यह समूह भी बन गया है।
उच्च माध्यमिक स्कूलों में यह समूह भी बन गया है।
30 लाख से ज्यादा स्टार्स को ग्रुप के जरिए इंटरव्यू करने का लक्ष्य रखा गया है। समूह जहां बने हैं वहां विभिन्न उत्पाद बेचे जा रहे हैं। महिला एवं बाल विकास निगम ने इस ग्रुप को सभी स्कूल तैयार करने के लिए कहा था, जिससे ग्रुप के माध्यम से दोस्तों के बीच बदलाव और बदलाव की जानकारी समय पर मिल सके।
किशोरी मंच के अंतर्गत छात्राओं से संबंधित 50 एसोसिएशन की सूची तैयार की गई है। इन स्टोर्स को ज़ाइक वीक में दो से तीन दिन करवा रहे हैं। हाई स्कूल सिघानिया, किशनगंज की शिक्षिका कुमारी गुड्डी को इस बार शिक्षक दिवस पर राष्ट्रपति सम्मान से सम्मानित किया गया है। कुमारी गुड्डी ने बताया कि स्कूल में किशोरी मंच सेनेटरी समूह विभिन्न प्रकार के दस्तावेज़ संग्रह बनाता है और उनमें सबसे अधिक बिंदु मिलते हैं।
महिला एवं बाल विकास निगम ने शिक्षकों की तैयारी की टीम बनाई
इन जोखिमों से बचना है वैज्ञानिक
● पेटिंग, वाद-विवाद, क्विज आदि का आयोजन होता है
● माहवारी के दौरानस्वच्छता की जानकारी देना
● स्लोगन और डेमोक्रेट के माध्यम से संदेश भेजा जाता है
● स्वास्थ्य शिक्षा के साथ आयरन, फोलिक एसिड की खुराक बताएं
● व्यक्तिगत स्वतंत्रता सहित पोषण संबंधी लिंक की जानकारी
● माहवारी की अन्य किसी भी औषधि का सेवन ना करें
● बाल विवाह, शराब आदि के प्रति स्लोगन, कविता आदि प्रतियोगिताएँ
बचपन की लड़कियों से जुड़े कई मामलों में काफी उथल-पुथल मची रहती है। उनका अंत उनके अंतःस्थल से ही हुआ। इसी वजह से ये ग्रुप बनाया गया है.
-बंदना प्रियासी, प्रबंध निदेशक, महिला एवं बाल विकास निगम
महिला एवं बाल विकास निगम ने राज्य स्तर पर हर जिले में एक-एक शिक्षकों को प्रमुख मास्टर ट्रेनर बनाया था। ये ट्रेनर अपने-अपने स्कूल में हर स्कूल की एक-एक टीचर को पढ़ाती है। प्रशिक्षण प्राप्त शिक्षकों के निर्देशानुसार विद्यालय में समूह का गठन किया गया।
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