बिहार

कल्पवास में जंगल के बीच पर्णकुटी बनाने को विवश हुए संत, ना पानी है ना शौचालय

Shantanu Roy
8 Oct 2022 6:12 PM GMT
कल्पवास में जंगल के बीच पर्णकुटी बनाने को विवश हुए संत, ना पानी है ना शौचालय
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बेगूसराय। मिथिला के दक्षिणी प्रवेश द्वार बेगूसराय के सिमरिया गंगा घाट पर राजकीय कल्पवास मेला शुरू होने में मात्र कुछ घंटा ही शेष रह गया है। लेकिन अब तक प्रशासनिक व्यवस्था सिर्फ कागजों पर सिमटी हुई है। मेला क्षेत्र को आठ सेक्टर में बांटकर ब्लॉक बना दिए गए हैं लेकिन शनिवार की दोपहर तक ना तो किसी सेक्टर में खेत का समतलीकरण किया गया है और ना ही जंगल साफ किए गए। पानी और शौचालय की व्यवस्था नहीं की गई है। हालत यह है कि आदेश के बावजूद कल्पवास परिक्षेत्र में अंतिम संस्कार भी किया जा रहा है। जबकि तमाम व्यवस्था बनाए रखने को लेकर जिला प्रशासन द्वारा डीएम एवं एसपी का संयुक्त आदेश जारी चुका है।अधिकारी लगातार निरीक्षण कर रहे हैं, लेकिन व्यवस्था के नाम पर अभी तक कुछ नहीं दिख रहा है। जुताई और समतलीकरण का कार्य नहीं किए जाने से पूरे मेला क्षेत्र में जंगल, गंदगी और जलजमाव है। इससे देश के विभिन्न हिस्सों से कल्पवास के लिए सिमरिया गंगातट पर पहुंचने वाले साधु-संतों को जंगल, खुट्टी एवं गंदगी के बीच ही अपना पर्ण कुटीर बनाने की विवशता है। उड़ीसा खालसा के महंत गदाधर दास ने कहा कि हम यहां अपने समानो के साथ चार दिनों से आए हुए हैं, लेकिन यहां जिला प्रशासन की ओर से कोई सुविधा नजर नहीं आ रहा है। चारों तरफ गंदगी, जंगल और ढैचा का खुट्टी लगा हुआ है। पीने का पानी भी बगल के गांव से लाना पड़ता है।
उन्होंने बताया कि मेला को लेकर जिला प्रशासन के साथ मेला समिति और संतों की हुई बैठक में पांच अक्टूबर तक ही सारी व्यवस्था पूरी करने की बातें कही गई थी। लेकिन अभी तक मूलभूत सुविधाएं चापाकल, शौचालय, सुरक्षा व्यवस्था और प्रकाश की व्यवस्था भी नहीं कि गई है। महंत लाडली दास एवं हरिकांत शास्त्री ने बताया कि कल्पवास मेला क्षेत्र की जुताई और समतलीकरण के बिना ही सेक्टर काट देने से परेशानी बढ़ी हुई है, प्रशासन के अधिकारी भी इस पर कुछ नहीं बोल रहे हैं। राम निहोरा सेवा शिविर के महंत बौआ हनुमान ने बताया कि सेक्टर तो काट दिया गया है, लेकिन सफाई और प्रकाश की व्यवस्था अभी तक नहीं हुई है, खुद के पैसे खर्च कर सफाई करवानी पड़ रही है। पर्ण कुटीर के बगल में शव का दाह संस्कार होने से साधु-संतों को रहने तथा खाने-पीने में मुश्किल हो रहा है। जिला प्रशासन अविलंब सिमरिया गंगातट के श्मशान घाट को कल्पवास मेला क्षेत्र से बाहर करे। खालसा जनसेवा समिति के अध्यक्ष जगतगुरु विष्णुदेवाचार्य ने बताया कि कुछ कहने की जरूरत नहीं है। पिछले 50 वर्षों से सिमरिया धाम में कल्पवास करने आ रहे हैं, आज तक ऐसी अव्यवस्था नहीं देखी थी। लोगों का कहना है कि प्रत्येक वर्ष कल्पवास में यही हालत रहता है। शासन-प्रशासन के आदेश पर सुविधा उपलब्ध कराने की प्रक्रिया शुरू की जाती है, लेकिन काम पूर्ण होते-होते मेला का दस दिन बीत जाता है। जबकि उद्घाटन से पूर्व सभी व्यवस्था पूरी हो जानी चाहिए। इधर, प्रशासनिक अधिकारियों का कहना है कि साफ-सफाई, पानी, शौचालय और सुरक्षा सहित तमाम कार्य युद्ध स्तर पर चल रहा है, जल्द ही सभी कार्य पूर्ण कर लिए जाएंगे।
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