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पटना। बिहार के छपरा में जहरीली शराब से अबतक 57 लोगों की जान जा चुकी है। इसको लेकर पुरे बिहार में हाहाकार का माहौल कायम है। इस मसले को लेकर बिहार में संचालित बिहार विधानमंडल के शीतकालीन सत्र में जोरदार हंगामा किया जा रहा है। इसके बाद अब इस पुरे मामले को लेकर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने बिहार सरकार से रिपोर्ट तलब की है।
दरअसल, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने बिहार के सारण जिले में जहरीली शराब से हुई मौत को लेकर मिडिया रिपोर्ट के आधार पर स्वत: संज्ञान लेते हुए बिहार सरकार से इस मामले में रिपोर्ट तलब की है। मानवाधिकार आयोग ने कहा है कि, बिहार में कथित तौर पर अप्रैल 2016 से शराब पूर्ण रूप से बंद है। लेकिन, इसका पालन करवाने के लिए सरकार से तरफ से किया गया प्रयास असफल रहा है।
इसके साथ ही मानवाधिकार आयोग ने कहा है कि, मीडिया रिपोर्टों दे दी गई जानकारी यदि सही है तो फिर यह चिंता का विषय है। इतनी बड़ी संख्या में हुई मौत पर सरकार के तरफ से लागू शराबबंदी पर सवाल पैदा करता है। बिहार में सरकार द्वारा अवैध/नकली शराब की बिक्री और खपत पर प्रतिबंध लगाने की नीति में यह मीडिया रिपोर्ट सरकार की विफलता को इंगित करता है। आयोग ने इस घटना के बाद बिहार सरकार द्वारा लागू शराबबंदी कानून की असफलता बताया है।
मानवाधिकार आयोग ने मुख्य सचिव और बिहार डीजी से शराब से मौत मामले में अभी तक की गई हर एक कार्रवाई, मेडिकल ट्रिटमेंट, एफआईआर आदि की रिपोर्ट तलब की है। इसके साथ ही यह भी बताने को कहा गया है कि सरकार ने इतनी बड़ी घटना के लिए जिम्मेदार किन प्रशासनिक पदाधिकारियों पर कार्रवाई की है। इसकी जानकारी देने के लिए आयोग ने 4 सप्ताह का समय तय किया है।
गौरतलब हो कि, 15 दिसंबर, 2022 को छपरा क्षेत्र के महरौरा अनुमंडल के मशरख, ईशुआपुर और अमनौर थाना क्षेत्र के तीन गांवों में जहरीली शराब पिने से 57 लोगों की मौत की सुचना मिली है। इसको लेकर यह आरोप लगाया जा रहा है कि, थाने में जो स्प्रिट जब्त करके रखे गये थे, उसे बेच दिया गया और उससे ही ये जहरीली शराब बनी थी। ग्रामीणों ने उत्पाद विभाग को वीडियो भेजा है जिसमें थाने में पड़े जब्त स्प्रिट के ड्रम के ढक्कन खुले थे और स्प्रिट अंदर से गायब थे। इस शिकायत के बाद कई वरीय अधिकारी भी जांच के लिए थाने पहुंचे और थाने में रखी जब्त शराब और स्प्रिट का सैंपल लिया गया।
Admin4
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