बिहार

लक्षण दिखने पर हर्बल औषधि से हो सकता है उपचार, लंपी वायरस को लेकर विभाग ने जारी की एडवाइजरी

Admin4
25 Sep 2022 5:44 PM GMT
लक्षण दिखने पर हर्बल औषधि से हो सकता है उपचार, लंपी वायरस को लेकर विभाग ने जारी की एडवाइजरी
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सीवान. सरकार पशुओं में फैल रहे त्वचा रोग लंपी वायरस को लेकर सतर्क हो गयी है. पशुपालन विभाग ने अधिकारियों व पशु चिकित्सकों को सतर्कता व विशेष सावधानी बरतने के निर्देश दिए हैं. संक्रमित गौवंशीय और महिषवंशीय पशुओं के इलाज के लिए समन्वय स्थापित करते हुए तमाम इंतजाम सुनिश्चित करने की एडवाइजरी भी जारी की है. साथ ही संक्रमित पशुओं के आइसोलेशन, चिकित्सकों को निर्देशों प्रोटोकाल के अंतर्गत निस्तारण की कार्रवाई विशेष सतर्कता बरतते हुए करने की ओर ध्यान आकृष्ट किया है.

लंपी त्वचा रोग के संबंध में विस्तृत जानकारी दी गयी

जिला पशुपालन पदाधिकारी इंदु शेखर ने संक्रमण के खतरे के प्रति सभी क्षेत्रीय निदेशक, जिला पशुपालन पदाधिकारी, भ्रमणशील पशु चिकित्सा पदाधिकारियों एवं पशु स्वास्थ्य एवं उत्पादन संस्थान बिहार पटना के निदेशक पशु और एवं अन्य पदाधिकारियों के पदाधिकारी के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग कर सतर्कता को लेकर विस्तृत जानकारी दी गयी है. इसमें मुख्य रूप से लंपी त्वचा रोग के संबंध में विस्तृत जानकारी दी गयी.

प्रचार प्रसार करने का निर्देश

लंपी से बचाव को लेकर व्यापक स्तर पर प्रचार प्रसार करने के निर्देश भी दिये गये. इसके तहत जागरूकता पोस्टर चिपकाने, एम्बुलेट्री वैन से आडियो विजुअल के माध्यम से शिविर लगाकर प्रचार-प्रसार कराने की जिम्मेदारी दी गयी है. साथ ही जिले से सटे अन्य राज्यों से आने वाले पशुओं पर भी नजर रखने के लिए जिला के क्षेत्रों में पशुओं के आवागमन पर सत्त नियंत्रण रखने का निर्देश अधिकारियों को दिये गये हैं, जो चल रहा है.

जिला पशुपालन पदाधिकारी इंदु शेखर ने बताया कि रोग के फैलने की स्थिति में पशुओं के चिकित्सा के साथ सैंपल कलेक्शन कर जांच कर भेजने और रोग फैलाव को रोकने के लिए आवश्यक कदम उठाये जाने का निर्देश भी प्राप्त हुआ है. यदि पशु संक्रमित हो जाता है, तो उसे अलग रखें. भैंस जाति के पशु को इससे दूर रखें व संक्रमण की सूचना अविलंब चिकित्सक को दें.

इस तरह से बनाएं हर्बल औषधि

भारत सरकार और एनडीडीबी द्वारा पशुओं को लंपी त्वचा रोग से बचाने व उपचार के लिए हर्बल औषधी बनाने के सुझाव दिये गये हैं. इसमें 10 पान के पत्ते, 10 ग्राम काली मिर्च, 10 ग्राम नमक को घिसकर उसमें आवश्यकतानुसार गुड़ मिलाकर एक चटनी बनाने और इसे पहले दिन एक खुराक हर तीन घंटे पर पशु को खिलाएं. दूसरे दिन से दो सप्ताह तक हर तीन घंटे पर एक खुराक खिलाएं. खुराक प्रत्येक दिन ताजा तैयार किया जाना चाहिए. घावों पर लगाने के लिए एक मुट्ठी कुप्पी का पत्ता, लहसुन 10 कलियां, एक मुठ्ठी नीम का पत्ता, 20 ग्राम हल्दी पाउडर एक मुठ्ठी मेंहदी पत्ता और एक मुठ्ठी तुलसी पत्ता को एक साथ पीसकर उसमें 500 एमएल नारियल या तिल का तेल मिलाकर उबाल कर ठंडा करें. घाव को अच्छी तरह साफ कर लगाएं. कीड़े पड़ गये हों तो नारियल के तेल में कंपूर मिलाकर लगाएं.

न्यूज़ क्रेडिट : prabhatkhabar

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