बिहार

जीवन की तृष्णाए ही दुःखो का मूल कारण है

Shantanu Roy
23 Jan 2023 11:53 AM GMT
जीवन की तृष्णाए ही दुःखो का मूल कारण है
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कटिहार। श्री शारदा इंस्टिट्यूशन परिवार और हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी विकासात्मक समिति द्वारा आयोजित श्रीमद भागवत कथा सप्ताह ज्ञान यज्ञ के पांचवें दिन भगवान विष्णु के अवतारों की कथा की चर्चा हुई। कथावाचक आचार्य श्री वेदानंद शास्त्री ने भगवान् के विभिन्न अवतारों का वर्णन करते हुए कहा कि सच्चे मन से की गयी सेवा ही फलीभूत होती है। उन्होंने कहा कि जब किसी गृहस्थ के घर पुत्र का प्रादुर्भाव होता है तो माता पिता सहित सभी परिजन आनन्दित होते है। उन्हें लगता है कि मेरे घर पुत्र का आगमन हमारी सभी बाधाओ और दुर्दिन को मिटा देगा। पुत्र से ज्यादा सत्पात्र होने की बात है। ध्रुव एवं प्रह्लाद की कथा बताते हुए शास्त्री जी ने कहा कि राजपुत्र होने के वावजूद उनलोगो का मन प्रभु का स्मरण एवं उनके दर्शन में लगा रहा। प्रत्येक मानव को अपने पुत्र को सत्पात्र जैसा संस्कार देना चाहिए।
भगवान श्रीकृष्ण अपनी चार दिन की आयु से ही दुष्टो का संहार करने लगे। जब कंस का अत्याचार बहुत बढ़ गया तो भगवान को आना पड़ा। भगवान के अवतार से दुष्टो के साथ – साथ भक्तों का भी कल्याण हो जाता है। जीवन की तृष्णाए ही दुःखो का मूल कारण है। तृष्णा मिट जाने से वासनाएं मिट जाती है। प्रभु की शरणागति प्राप्त जीव के सभी कलेश मिटकर आंतरिक एवं बाह्य शुद्ध हो जाती है। सब कुछ भगवान की कृपा पर ही निर्भर है। निर्मल प्रेमाभक्ति से प्रभु की अनन्य कृपा प्राप्त होती है। मौके पर आयोजक ललन कुमार झा, जिला परिषद अध्यक्ष रेणु देवी एवं समाजसेवी राम नारायण यादव, एस एस पराशर, रूपेश झा, रवींद्र नाथ सिंह उर्फ चिंटू सिंह, संजय यादव, शिशिर कर्ण, दिलीप लाल देव, के.के. दत्ता, डी.एन.मल्लिक, अभय शंकर झा सहित समिति के कई पदाधिकारी और हजारों के संख्या में भागवत प्रेमी उपस्थित थे।
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