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सहरसा। शहर के कायस्थ टोला स्थित चित्रगुप्त भवन में लोकनायक जयप्रकाश नारायण की 120वीं जयंती मनाई गई। लोकनायक की तस्वीर पर लोगों ने पुष्पांजलि अर्पित करते हुए उनके व्यक्तित्व एवं कृतित्व की चर्चा की।वे भारतीय स्वाधीनता संग्राम के महानतम सेनानियों में से एक थे।उन्होंने अपना सम्पूर्ण जीवन राष्ट्र की सेवा में समर्पित कर दिया था।यद्यपि उन्हें प्रधानमंत्री बनने का दो बार अवसर मिला लेकिन उन्होंने राजनीतिक सत्ता का त्याग किया।वास्तव में उन्होंने देश की सेवा बिल्कुल नि:स्वार्थ भाव से की।
स्वाधीनता संग्राम में 1942 के आन्दोलन में जयप्रकाश नारायण की महती भूमिका थी।गांधी, नेहरू पटेल,राजेन्द्र प्रसाद आदि सभी बड़े नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया था।जे पी हजारीबाग सेन्ट्रल जेल से बड़े नाटकीय अंदाज में कूदकर भाग निकले।और भूमिगत रह आन्दोलन का नेतृत्व किया।यही वह समय था जब कोशी क्षेत्र के जंगल में उनका ठिकाना बना एवं यह क्षेत्र उनकी कर्मस्थली बन गई।वे इस जंगल के रास्ते यहां से नेपाल तक चले जाते थे।अंग्रेजी हुकूमत उन्हें पकड़ न सकी।इस कारण से कोशी क्षेत्र में समाजवाद का ऐसा प्रभाव पड़ा कि आज तक यहां समाजवादी विचारधारा का जड़ मजबूत है।
उन्होंने कहा था कि जब तक समाज के सबसे अधिक दबे कुचले लोग सत्ता के शिखर तक नहीं पहुंच जाते हैं तब तक आजादी अधूरी है।1974 के जे पी आन्दोलन में भी उनका सहरसा आना हुआ था। जब उन्होंने एम एल टी कॉलेज के ऑडिटोरियम के बालकनी से अपार भीड़ को सम्बोधित किया था।इससे एक वर्ष पूर्व भी वे सहरसा आते थे।उनकी सभा मनोहर उच्च विद्यालय में हुई थी जिसकी अध्यक्षता वहां तत्कालीन प्राध्यापक स्व. अश्विनी कुमार दास ने की थी।बिहार के 1974 के छात्र आन्दोलन का नेतृत्व करते हुए उन्होंने उसे राष्ट्रव्यापी सम्पूर्ण क्रान्ति में बदल दिया।जब देश में 1975 आपातकाल लगाकर लोकतंत्र की हत्या की गई,मौलिक अधिकार छीन लिया गया तो उन्होंने केन्द्र की कांग्रेसी सत्ता को उखाड़ फेंकने और सामानांतर सरकार की तैयारी कर ली।देश की सेना से अपील की कि वे स्व. इन्दिरा गांधी के आदेश को मानने से इन्कार कर दे।जे पी गिरफ्तार कर लिये गये।
देश अनेक नेताओं और छात्रों को जेल ठूस दिया गया।1977 के चुनाव में इन्दिरा जी की पराजय हो गई।जे पी के नेतृत्व में लोकसत्ता पुन: जनता पार्टी के नाम से स्थापित हुई।आजाद भारत में इतना बड़ा राष्ट्रव्यापी पहला जन आन्दोलन था लोकतंत्र को बचाने और निरंकुश सरकार को सत्ताच्युत करने के लिये।सभा में प्रस्ताव पारित कर सरकार से मांग की गई कि सहरसा में किसी उपयुक्त स्थल पर लोकनायक जयप्रकाश नारायण की आदमकद प्रतिमा लगाई जाय।सभा की अध्यक्षता नगरपालिका के भूतपूर्व सभापति शिवपूजन प्रसाद ने की और संचालन डॉ सतीश कुमार दास द्वारा किया गया।सभा में रणधीर सिन्हा, रतन सिन्हा नगरपालिका अध्यक्षा रेणु सिन्हा, शिवशंकर कुमार यादव, विजयेन्द्र कुमार ललन, विष्णुकांत सिन्हा, शैलेन्द्र शेखर सहित अन्य शामिल थे।
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