पूरे देश में साइबर क्राइम की घटनाएं लगातार बढ़ रही है. खास बात यह है कि इन साइबर क्राइम को अंजाम देने वाले बदमाशों को लेकर पहले झारखंड का जामताड़ा चर्चित था. लेकिन अब जामताड़ा को बिहार के नालंदा, नवादा, शेखपुरा व गया जिले के साइबर अपराधियों ने पीछे छोड़ दिया है. फिलहाल स्थिति यह है कि पूरे देश में हो रहे साइबर क्राइम के तार लगातार बिहार से जुड़ रहे हैं.
पांच सालों में उड़ा लिए 10 करोड़ से अधिक
नालंदा, नवादा, शेखपुरा व गया जिले के साथ ही पटना से लगातार साइबर बदमाशों की गिरफ्तारी हो रही है. एक अनुमान के तहत, साइबर बदमाशों ने केवल बिहार में चार-पांच साल में दस करोड़ से अधिक रकम को लोगों की जेब से उड़ा लिया है. खास बात यह है कि इन साइबर अपराधियों के कार्य करने के ट्रेंड को समय के अनुसार बदला और लोग उसे समझ नहीं पाये.
लगातार बढ़ रहे हैं साइबर क्राइम के मामले
जानकारी के अनुसार, बिहार में वर्ष 2016 में 309 मामले, वर्ष 2017 में 433 मामले व वर्ष 2018 में साइबर अपराध के 474 मामले दर्ज किये गये. इसके बाद वर्ष 2019 में मामले दोगुना से अधिक होकर 1050 हो गये. इसी प्रकार, वर्ष 2020 में 1160 मामले और वर्ष 2021 में दिसंबर तक 1217 मामले दर्ज किये जा चुके हैं. वर्ष 2016 से वर्ष 2021 तक बिहार में कुल 4643 मामले दर्ज किये गये हैं. यह आंकड़ा यह बता रहा है कि बिहार में हर साल साइबर अपराध के मामले लगातार बढ़ रहे हैं.
कुछ इस तरह से करते हैं खेल
खाता व मोबाइल फोन हैक करके रुपयों की निकासी 2-आइएएस, आइपीएस व अन्य अधिकारियों के फर्जी फेसबुक एकाउंट बना कर मदद के नाम पर ठगी
फेसबुक व व्हाट्सअप के माध्यम से दोस्ती कर ऑनलाइन सेक्स का झांसा देकर नग्न तस्वीर की स्क्रीनशॉट निकाल शेयर करने की धमकी देकर ब्लैकमेलिंग
इनाम या सामान सस्ता में देने का दावा या बकाये रकम की वापसी के लिए लिंक को भेजना और लिंक को क्लिक करते ही खाता से रुपये की निकासी
एनीडेस्क आदि एप के मदद से किसी के कंप्यूटर में प्रवेश कर जाना और खाता से रुपये निकालना
बिजली कनेक्शन कटने का झांसा देकर करते हैं ठगी
गुगल पर दिये गये कस्टमर केयर नंबर को पूरी तरह से हैक कर लोगों से करते हैं ठगी
इन जिलों में साइबर अपराधियों का ज्यादा प्रभाव
पटना, वैशाली, किशनगंज, पूर्णिया, सीवान, जमुई, बेगूसराय, गोपालगंज, कैमूर, मुजफ्फरपुर, नालंदा, नवादा, शेखपुरा व गया
क्या है जामताड़ा मॉडल
झारखंड का जामताड़ा साइबर अपराधियों का हब है. अपराधियों द्वारा विभिन्न तरकीबों को आजमाकर ऑनलाइन पैसे की ठगी करने का यह मुख्य केंद्र रहा है. यहां मुख्य रूप से फोन या फर्जी कॉल सेंटर संचालित कर लोगों से ठगी की जाती है. एटीएम कार्ड की क्लोनिंग, एटीएम मशीन में छेड़छाड़ करके पैसे की निकासी करने का तरीका यहीं से ईजाद हुआ है. यहां इस तरह के दर्जनों गिरोह हैं, जो चौबीस घंटे इसी काम में लगे रहते हैं. बैंकिंग और एटीएम ठगी के इसी मॉडल को बाद में बिहार के कई स्थानों पर ठगों ने अपनाया और अपना धंधा शुरू कर दिया.
न्यूज़ क्रेडिट : prabhatkhabar