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सीएम नीतीश से मिले CPI ML
पटना : भाकपा माले के राष्ट्रीय महासचिव दीपांकर भट्टाचार्या (CPI ML General Secretary Dipankar Bhattacharya) ने शनिवार शाम मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से उनके आवास पर जाकर मुलाकात (CPI ML met CM Nitish Kumar ) की. गैर भाजपा सरकार के गठन के लिए उन्होंने बधाई दी. इस मौके पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को दीपांकर भट्टाचार्या ने पार्टी की ओर से सुझाव पत्र दिया. जिसमें उन्होंने मांग किया कि महागठबंधन में एक समन्वय समिति बनाया जाए और कॉमन मिनिमम प्रोग्राम तय किया जाए. इसके साथ ही प्रदेश में जितने भी आयोग हैं और विधानसभा की समितियां हैं उन्हें पुनर्गठित किया जाए.
आयोग, समितियों का हो नया पुनर्गठन: दीपांकर भट्टाचार्य ने बताया कि अल्पसंख्यक आयोग, महिला आयोग, एससी एसटी आयोग, मानवाधिकार आयोग और अन्य आयोग को यह नई सरकार तत्काल पुनर्गठित करे. विधानसभा की जितनी भी समितियां हैं उसमें महागठबंधन के सदस्यों को शामिल करें. ताकि, जनता के मुद्दों पर सरकार सही से कार्य कर सके. उन्होंने सुझाव दिया कि महंगाई के इस दौर में गरीबों को 200 यूनिट फ्री बिजली की व्यवस्था की जानी चाहिए.
'शैक्षणिक अराजकता पर ध्यान दें नीतीश': शराबबंदी वाले इस प्रदेश में शराब माफियाओं पर सरकार कड़ी नकेल कसने की मांग की साथ ही माले के राष्ट्रीय महासचिव दीपांकर भट्टाचार्या ने कहा कि बिहार में शिक्षा व्यवस्था में भारी गिरावट है और शैक्षणिक अराजकता है. जिस पर नीतीश सरकार (Chief Minister Nitish Kumar) तत्काल कार्रवाई करे और सरकार के विभाग में रिक्त पदों को अविलंब वैकेंसी निकालकर भरा जाए. प्रदेश में युवाओं को रोजगार के अवसर उपलब्ध कराए जाएं.
सीएम से मुलाकात के पहले की प्रेस कॉन्फ्रेंस: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मिलने से पहले प्रेस कॉन्फ्रेंस में एक सवाल के जवाब में दीपांकर भट्टाचार्या ने कहा कि साल 2017 में जो हुआ वह जनता के जनादेश का अपमान था. लेकिन इस बार जो कुछ हुआ है वह जनता के जनादेश का सम्मान तो नहीं है, लेकिन जो जनता का जनादेश था, उसको राहत जरूर मिली है. उन्होंने कहा कि ऐसा इसलिए क्योंकि एनडीए सरकार भाजपा के कारण अपने वादे के उलट काम कर रही थी. बता दें कि प्रेस कॉन्फ्रेंस में भाकपा माले का प्रतिनिधिमंडल भी मौजूद रहा. जिसमें पोलित ब्यूरो के सदस्य और पार्टी की विधायक शामिल हुए.
जनादेश को मिली राहत: 2020 में जो जनता का जनादेश मिला, वह रोजगार के मुद्दे पर मिला क्योंकि महागठबंधन ने 10 लाख नौकरियों का वादा किया तो एनडीए ने 19 लाख रोजगार का वादा किया लेकिन NDA सरकार की तरफ से युवाओं को रोजगार देने के लिए कोई सार्थक प्रयास नहीं किए गए. जिसके कारण जनता के जनादेश का अपमान हो रहा था. अब यह नहीं सरकार बनी है तो उन्हें उम्मीद है कि जो चुनाव में रोजगार के वादे किए थे उस पर सरकार काम करेगी और युवाओं को रोजगार से जोड़ने का काम करेगी ताकि प्रदेश से बेरोजगारी कम हो. बता दें कि बिहार की राजनीति (Bihar politics) 10 लाख रोजगार के मुद्दे पर गरम है.
सोर्स- etv bharat hindi
Rani Sahu
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