बिहार

बेगूसराय के चार प्रखंड मुख्यालय पर भाजपा कार्यकर्ताओं ने दिया धरना

Shantanu Roy
17 Oct 2022 6:16 PM GMT
बेगूसराय के चार प्रखंड मुख्यालय पर भाजपा कार्यकर्ताओं ने दिया धरना
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बेगूसराय। भाजपा द्वारा बेगूसराय जिला के बेगूसराय सदर प्रखंड, बरौनी प्रखंड, तेघड़ा प्रखंड एवं बखरी प्रखंड कार्यालय में आरक्षण बचाओ-चुनाव कराओ धरना दिया गया। मौके पर वक्ताओं ने कहा कि बिहार सरकार के द्वारा आयोग गठित किए बगैर नगर निकाय चुनाव की घोषणा कर दी गई, जिसमें सरकार ने कहीं ना कहीं धोखा देने की कोशिश की। नीतीश कुमार आदतन धोखेबाज हो चुके हैं और वह लगातार बिहार की जनता के साथ धोखेबाजी कर रहे हैं। अति पिछड़ों एवं पिछड़ी जातियों के साथ लगातार यह अन्याय करने का काम कर रहे हैं। बेगूसराय विधायक कुंदन कुमार ने कहा कि लालू यादव ने पिछड़ों को केवल नारे में फंसाए रखा तथा उनके कल्याण के लिए कोई कार्य नहीं किया, उनके संगत में आने के बाद नीतीश कुमार ने भी वही दांव चला। वास्तव में नीतीश कुमार को यह पता था कि कोई भी व्यक्ति यदि कोर्ट चला जाए तो यह चुनाव रुक जाएगा, ऐसी परिस्थिति में हम प्रशासनिक पदाधिकारियों के माध्यम से स्थानीय निकायों पर कब्जा कर उसके धन का दोहन कर हम चुनावी राजनीति के लिए धन जुटा सकते हैं।
बछवाड़ा विधायक सुरेन्द्र मेहता ने कहा कि नीतीश सरकार पिछड़ों के आरक्षण का नाटक तो करती है। लेकिन उसके लिए संवैधानिक प्रावधानों के अनुसार पिछड़ी जातियों को चिन्हित करने के लिए आयोग का गठन नहीं कर सकी। इसी कारण निकाय चुनाव रद्द करना पड़ा। सांसद प्रतिनिधि अमरेन्द्र कुमार अमर ने कहा कि संविधान में ओबीसी वर्णित है। 1977 में जब बिहार में जनता पार्टी की सरकार कर्पूरी ठाकुर के नेतृत्व में बनी तो जनसंघ प्रमुख भागीदार तथा कैलाश पति मिश्र उपमुख्यमंत्री सह वित्त मंत्री सहित चार मंत्री जनसंघ कोटे से थे। इसी कैबिनेट में पिछड़ों को 26 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान किया गया। भाजपा जिलाध्यक्ष राजकिशोर सिंह ने कहा कि 2005 में जब भाजपा जदयू के साथ सत्ता में आई तो पिछड़ों को शैक्षणिक, रोजगार एवं जनप्रतिनिधित्व में भागीदारी का काम हुआ। निवर्तमान जिलाध्यक्ष संजय सिंह ने कहा कि आरक्षण का लाभ दिए बिना उनके नाम पर थोथी दलील और नारे का काम जिस प्रकार लालू यादव करते रहे हैं, संगत के असर के कारण नीतीश कुमार भी उसी राह पर चल रहे हैं। मीडिया प्रभारी सुमित सन्नी ने कहा कि नीतीश सरकार पिछड़ी जातियों को संवैधानिक सुविधाओं से वंचित रखना चाहती है। जिस कारण सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशानुसार उनको सुविधाओं एवं जनप्रतिनिधित्व देने के लिए पिछड़ा आयोग बनाने के कारण निकाय चुनाव रद्द करना पड़ा। जिला महामंत्री कृष्ण मोहन पप्पु ने कहा कि संविधान में राज्यों को पिछड़ी जातियों की पहचान करने तथा सुविधा देने का अधिकार दिया है, सुप्रीम कोर्ट ने कृष्णामूर्ति एवं अन्य मामले में स्पष्ट निर्देश दिया है। भारत सरकार ने भी 2018 में पिछड़ा आयोग को संवैधानिक दर्जा देकर संविधान के अनुच्छेद 342 में संशोधन कर राज्य को यह अधिकार दिया।
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