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पटना। पटना की एथलीट कीर्ति राज सिंह ने न्यूजीलैंड में सब जूनियर कॉमनवेल्थ पावर लिफ्टिंग प्रतियोगिता में 6 गोल्ड जीते हैं। गोल्ड मेडल जीतने के बाद आज वह पटना पहुंची। पटना पहुंचने के बाद वह सबसे पहले अपने जिम में गईं, जहां वो पावर लिफ्टिंग की तैयारी किया करती थीं। कीर्ति ने अपनी जीत का श्रेय अपने कोच करण कुमार और माता-पिता को दिया।
मेरे लिए तो संघर्ष रहा ही, मेरे से ज्यादा संघर्ष मेरे कोच, पिता और भाई ने किया है। कॉमनवेल्थ गेम्स, न्यूजीलैंड जाने के लिए करीब 3 लाख 23 हजार खर्च हुए। इस राशि को जुटाने के लिए मेरे पिताजी बहुत लोगों के पास गए। यहां तक कि बिहार राज्य खेल प्राधिकरण से भी कोई मदद नहीं मिली। फिर मेरे कोच ने अपने जिम से क्रॉस ट्रेनर मशीन तक बेच दी।
मैं तो कहूंगी कि जिस जिम में प्रैक्टिस कर रही हूं, वहां पर मुझे पावर लिफ्टिंग सबसे अच्छे तरीके से सिखाया गया। मैंने यहां के अलावा एक दोस्त के जिम में भी ट्राई किया था, लेकिन ना तो मुझे ऐसे कुछ लोग मिले, ना ही इस तरह की ट्रेनिंग।
मुझे आगे बढ़ाने के लिए मेरे कोच ने इस जिम से क्रॉस ट्रेनर मशीन तक बेच दिया। साथ ही मेरे छोटे भाई ने जब से मेरे माता-पिता को समझाया है, तब से वह मुझे सपोर्ट करने लगे हैं।
सीएम नीतीश कुमार ने कीर्ति राज सिंह को जीत पर बधाई और शुभकामनाएं दी हैं। सीएम ने कहा कि वेट लिफ्टिंग के प्रति कृति राज सिंह के जुनून और दृढ़ संकल्प ने ही आज उन्हें इस मुकाम पर पहुंचाया है। उनकी इस जीत से पूरा प्रदेश गौरवान्वित है। वे निरंतर प्रगति के शीर्ष पर पहुंचे और राज्य एवं देश का नाम रोशन करती रहें, ऐसी मेरी कामना है। कीर्ति राज ने सीएम के बधाई देने पर धन्यवाद देते हुए कहा है कि मुझे उनसे मिलने की भी इच्छा है।
कीर्ति राज सिंह पटना के खुसरूपुर प्रखंड के बड़ा हसनपुर गांव की रहने वाली हैं। कीर्ति के पिता ललन सिंह एक किसान हैं और इनकी माता सुनैना देवी गृहिणी हैं। इनकी पांच बेटियां और तीन बेटे हैं। कीर्ति अभी गुवाहाटी के रानी लक्ष्मीबाई फिजिकल एजुकेशन कॉलेज में फिजिकल एजुकेशन की पढ़ाई कर रही हैं।
पिता ललन सिंह ने कहा कि उनकी बेटी ने राज्य का नाम रौशन कर दिया है। माता सुनैना देवी ने भी कहा कि वह बेटी की इस जीत से बहुत ही खुश हैं। इससे पहले जुलाई में हैदराबाद में आयोजित राष्ट्रीय सब जूनियर पावरलिफ्टिंग प्रतियोगिता में कीर्ति ने 3 कांस्य पदक अपने नाम किया था।
कीर्ति राज सिंह के कोच करण कुमार ने कहा कि मैं भी पावर लिफ्टर था। लेकिन कभी इंटरनेशनल तक जा नहीं पाया, क्योंकि मेरी आर्थिक स्थिति सही नहीं थी। उसके बाद यह बच्ची मेरे पास आई। जो लगन मुझे इस बच्ची में दिखाई दिया, उसे देखकर मुझे लगा कि जो मैं नहीं कर पाया, वह शायद यह कर सकती है।
करण कुमार ने कहा कि बिहार में खेल के प्रति सरकार की तरफ से उदासीन रवैया है। जब से हम लोग देख रहे हैं तो उन्हें लगता है कि क्रिकेट ही एक गेम है। किसी भी गेम को बिहार में अच्छे तरीके से नहीं देखा जाता है। कई लोगों को पावर लिफ्टिंग के बारे में पता भी नहीं है। बस सीधे तौर पर इसे वेट लिफ्टिंग समझ लेते हैं। सरकार की तरफ से हमें कोई भी प्लेटफार्म नहीं मिलता है।
कहा कि सभी बच्चे प्राइवेट जिम जाकर इसके लिए ट्रेनिंग करते हैं, जहां पर उनसे काफी पैसा भी लिया जाता है। जब किसी बच्चे का इंटरनेशनल खेल के लिए चयन होता है और आपके सामने यह बातें जाती हैं, तो कम से कम सरकार उसे सपोर्ट करे।
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