बिहार
बिहार : प्रसिद्ध उल्लार सूर्य मंदिर की दुर्दशा देख आप भी हो जाएंगे हैरान, दिन-ब-दिन फीकी चमक
Tara Tandi
18 Aug 2023 1:22 PM GMT
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पटना जिले के पालीगंज अनुमंडल क्षेत्र के दुल्हिन बाजार थाना क्षेत्र के उल्लार धाम में द्वापर काल के भगवान श्रीकृष्ण के जामवंतीपुत्र राजा शाम्ब द्वारा स्थापित पौराणिक एवं ऐतिहासिक उल्लार सूर्य मंदिर है, जहां कार्तिक एवं चैती के अवसर पर लाखों श्रद्धालु आते हैं. बता दें कि, यहां मंदिर न्यास समिति की लापरवाही या आपसी विवाद के कारण दान पेटी में भक्तों द्वारा गुप्त रूप से दिये और चढ़ाये गये लाखों रुपये के नोट सड़ जाने का मामला प्रकाश में आया है.
जानकारी के मुताबिक, करीब ढाई माह से बंद दान पेटी को जब मंदिर न्यास समिति के सदस्यों ने खोला तो पेटी खुलते ही लोग उसे देखकर दंग रह गये, क्योंकि दान पेटी में दान की गई लाखों रुपए की नोट सड़े- गले हुए मिले. इस संबंध में बताया जाता है कि दान पेटी खुले आसमान के नीचे एक पेड़ के नीचे रखा हुआ था, जो बारिश के पानी के कारण सड़ गया था. चैती छठ पूजा के बाद पिछले करीब तीन माह से दान पेटी नहीं खोली गयी थी. जब दान पेटी को खोला गया तो उसमें रखे दान के अनुमानित लाखों रुपये धूप और पानी के कारण सड़-गल कर पूरी तरह नष्ट हो गये, जो अब किसी काम के नहीं रहे. इस राशि से मंदिर के विकास कार्य हो सकते थे और वो अब नहीं हो पाएंगे ? वहीं अंदरुनी सूत्रों से मिली खबर के मुताबिक मंदिर विकास समिति और मंदिर न्यास समिति के बीच पिछले कुछ सालों से आपसी खींचतान चल रही है, जिसके कारण मंदिर की दान पेटी को आपसी विवाद के चलते नहीं खोला गया. इसको लेकर वहां के लोगों को काफी दिक्कत हो रही है.
आपको बता दें कि पौराणिक और ऐतिहासिक महत्व रखने वाला उल्लार धाम स्थित द्वापर कालीन सूर्य मंदिर बारह सूर्यपीठों में से एक है. उल्लार्क सूर्य मंदिर की अपनी अलग पहचान है. यह सूर्य मंदिर अटूट आस्था और विश्वास के प्रतीक के रूप में हर साल छठ पूजा के लिए आने वाले लाखों श्रद्धालुओं का मुख्य केंद्र बिंदु है. लोग पूजा-अर्चना के बाद अपनी श्रद्धा और भक्ति से गुप्त दान पेटी में लाखों रुपये चढ़ाते हैं, जिसका उपयोग मंदिर के विकास कार्य में किया जाता है.
इसके साथ ही आपको बता दें कि सूर्यमठ की देखरेख के लिए मंदिर विकास न्यास समिति के रूप में एक कार्यकारी समिति का गठन किया गया है, जिसके अध्यक्ष, सचिव, कोषाध्यक्ष के साथ-साथ कई नामांकित सदस्य भी इस समिति में हैं. साथ ही इसके संरक्षक महंथ बाबा अवध बिहारी दास है, जिनकी कोई खास नहीं चलती है. सभी निर्णय मंदिर ट्रस्ट समिति के अध्यक्ष, सचिव और कोषाध्यक्ष सहित सदस्यों द्वारा लिए जाते हैं. सबसे बड़ी और महत्वपूर्ण बात यह है कि इसका अध्यक्ष पदेन एसडीएम होता है, जोकि अभी कुछ ही दिन पूर्व आए हैं, उन्हें इसकी शायद पूरी जानकारी न हो. आखिर यह घटना किसकी लापरवाही से घटी, यह जांच का विषय हो सकता है, जबकि कोई भी इसकी जिम्मेदारी लेने को तैयार नहीं दिख रहा है, न ही कोई कुछ बोलने को तैयार है ?
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