बिहार

बिहार : गंडक नदी के रौद्र रूप से भयभीत हुए ग्रामीण; गंगा किनारे शुरू किया पूजा-पाठ और हवन

Tara Tandi
25 Sep 2023 1:11 PM GMT
बिहार : गंडक नदी के रौद्र रूप से भयभीत हुए ग्रामीण; गंगा किनारे शुरू किया पूजा-पाठ और हवन
x
बिहार के बेतिया जिला के बगहा में पूजा पाठ करने का एक अजीबोगरीब मामला सामने आया है। यहां वाल्मिकिनगर में नेपाल से निकलने वाली नारायणी नदी के कहर से निजात पाने को लेकर लोग अब गंगा मइया की शरण में नदी तट पर पूजा-अर्चना और हवन कर रहे हैं। कटाव से बचाव कार्य नाकाफी साबित होता देखकर लोग ईश्वर की शरण में हैं, क्योंकि अब इसे दैविक प्रकोप और कुदरत का कहर माना जा रहा है। इसलिए लोगों ने नदी किनारे ही पूजा-पाठ और हवन शुरू किया है।
दरअसल, गंडक नदी की बदलती धारा ने इस बार दियारावर्ती इलाके में नई मुसीबत खड़ी कर दी है। यूपी सीमा पर स्थित ठकराहा प्रखंड के कई क्षेत्रों में भीषण कटाव कर नदी ने अब यहां इसी मानसून सत्र में दूसरी बार यू-टर्न ले लिया है। वहीं, मधुबनी प्रखंड के रंगललही गदियानी में नदी कटोरे की शक्ल में तेज बहाव के साथ पिपरा पिपरासी तटबंध के पास कटाव कर रही है। हालांकि जल संसाधन विभाग की ओर से उत्तर प्रदेश के पडरौना बाढ़ प्रमंडल और गोपालगंज की टीमों के साथ-साथ जल संसाधन विभाग की टीमें यहां मुख्य अभियंता अशोक रंजन के नेतृत्व में पिछले करीब एक महीने से सुरक्षात्मक कार्य करा रही हैं। लेकिन नदी की विकरालता इस कदर है कि तेज कटाव करते हुए गंडक की धारा बिल्कुल पीपी तटबंध के करीब आ गई है। कई किसानों की सैकड़ों एकड़ जमीन और खेतों में लगी फसल नदी की धारा में समा चुके हैं।
लिहाजा अब ग्रामीणों के साथ-साथ जल संसाधन विभाग के कर्मी और अभियंता नदी तट पर भगवान की शरण में जा पहुंचे हैं। यही वजह है कि लोग नारायणी नदी तट पर गंगा आरती और पूजा-अर्चना कर नदी के कहर से बचाव को लेकर हवन कर रहे हैं।
जानकारी के मुताबिक, मधुबनी प्रखंड के गदियानी में गंडक नदी का कटाव लगातार जारी है। इसको लेकर सोमवार को मधुबनी प्रखंड प्रमुख प्रतिनिधि और बीजेपी नेता विजय सिंह चंदेल के साथ-साथ जल संसाधन विभाग के अधिकारियों समेत स्थानीय लोगों ने नदी किनारे पूजा-पाठ में भाग लिया। नदी से हो रहे कटाव को रोकने के लिए पूजा-अर्चना और हवन किया जा रहा है। इसमें जल संसाधन विभाग के चीफ इंजीनियर अशोक रंजन, कार्यपालक अभियंता राजेश कुमार के साथ-साथ स्थानीय ग्रामीण और किसानों के अलावा मजदूर भी मौजूद हैं।
Next Story