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जनता से रिश्ता : जिले भर में 500 से अधिक कोचिंग संचालित हो रहे हैं, लेकिन इनमें कोई रजिस्टर्ड नही है। अधिकांश कोचिंग अवैध रूप से ही संचालित की जा रही हैं। सूत्र बताते हैं कि आधे से अधिक कोचिंग संस्थानों ने रजिस्ट्रेशन के लिए आवेदन दे रखा है। विडंबना देखिए कि कोचिंग संस्थानों ने पांच वर्ष पहले रजिस्ट्रेशन के लिए आवेदन किया था। इसके लिए रजिस्ट्रेशन शुल्क 5 हजार रुपए के साथ कोचिंग का पूरा बायोडाटा भी जमा किया, निरीक्षण भी किया गया, लेकिन शिक्षा विभाग की ओर से रजिस्ट्रेशन नहीं किया जा सका।
इस सम्बंध में जब जिला शिक्षा पदाधिकारी से बात की गई तो उन्होंने बताया कि जांच प्रक्रियाधीन है। कोरोना काल के कारण जांच प्रभावित रही है। अब नए सिरे से जांच की प्रक्रिया की जा रही है। एसडीएम को जांच की जिम्मेवारी दी गयी है। रिपोर्ट जमा होने के बाद अवैध रूप से चल रहे कोचिंग संस्थानों पर कार्रवाई की जाएगी। इधर, एक कोचिंग संचालक ने बताया कि जब भी नए डीईओ जिले में पदस्थापित होते हैं कोई न कोई निरीक्षण करने आ ही जाते हैं। 2017 में ही आवेदन के साथ शुल्क भी जमा किया था। तब से तीन बार कोचिंग का निरीक्षण किया जा चुका है। सब कुछ सही होने के बावजूद रजिस्ट्रेशन नहीं हो सका। कई शिक्षण संस्थानों में कोचिंग सांचालित किए जा रहे हैं, लेकिन प्रशासनिक रूप से इन पर कोई नियंत्रण नहीं है। कुछ कोचिंग तो ऐसे हैं, जहां केवल पैसों की उगाही ही मुख्य लक्ष्य है। इन कोचिंग संस्थानों में मैट्रिक, इंटर, ग्रेजुएशन के साथ प्रतियोगिता परीक्षा के तैयारी कराने के दावे किए जाते हैं, लेकिन सरकार के मानक के अनुसार व्यवस्था ही नहीं है। ऐसे में अभिभावकों का एक वर्ग ठगा महसूस करता है।
सोर्स-HINDUSTAN
Admin2
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