जनता से रिश्ता वेबडेस्क : अगले एक सप्ताह तक बारिश के हालात भी नहीं दिख रहे हैं। नतीजा यह है कि भोजपुर में भूगर्भीय जलस्तर दो से लेकर छह फुट तक नीचे भूगर्भीय जलस्तर के खिसकने के चलते जिले के ढाई सौ से अधिक तलाब सूख गये हैं। यही नहीं आहर, पईन, ताल, तलैया सूख गये हैं। कुछ नदियों में भी धूल उड़ रही है। आषाढ़ में एक दिन और सावन के आगमन में भी दो दिन शेष बचे हैं पर बारिश के लिए आम आवाम से लेकर किसान तक तरस रहे हैं। पशु, पक्षियों एवं जानवरों को भी अपनी प्यास बुझाने के लिए भटकना पड़ रहा है। जिले के शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में अधिकतर चापाकाल सूख गये हैं। लोगों को अपनी प्यास बुझाने एवं जरूरतों के लिए जहां-तहां भटकना पड़ता है। केवल समरसेबुल से ही पानी निकल रहा है। ऐसी स्थिति में खासकर गरीबों की मुश्किलें बढ़ गई हैं।
जिला मुख्यालय आरा शहर समेत आरा प्रखंड में भूगर्भीय जलस्तर चार फुट तक नीचे चला गया है। सर्वाधिक जल स्तर जिले के बड़हरा प्रखंड में छह फुट तक नीचे खिसक गया है। जिले के सोन नदी के तटीय क्षेत्र समेत कोईलवर प्रखंड में भी पांच फुट तक नीचे चला गया है। यह अंतर सिर्फ अप्रैल महीने से लेकर जून तक का है। जल स्तर खिसकने का यह अंतर वर्तमान में और भी अधिक हो गया होगा। पीएचईडी के आंकड़े इसके गवाह हैं। जिले के ढाई सौ तालाबों में से 150 तालाब महात्मा गांधी रोजगार गारंटी, योजना ( मनरेगा ) से बनाये गये हैं। एक सौ तालाब सरकारी हैं, जिन्हें मनरेगा योजना से अमृत सरोवर बनाने के लिए चिह्नित किया गया है। इनमें से 75 तालाबों को इस साल जीर्णोद्धार करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। साथ ही इस लक्ष्य के विरुद्ध 31 तालाबों पर जीर्णोद्धार का काम भी शुरू कर दिया गया।