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अररिया में एक ऐसा भी सरकारी स्कूल है. जहां धूप और बारिश में बच्चे स्कूल नहीं आते हैं. इसकी वजह ये है कि पिछले 35 वर्षों से टीन के छतरी पर यह स्कूल संचालित हो रहा है. यह प्राथमिक विद्यालय वार्ड संख्या दो में अवस्थित है. जिसमें 147 बच्चे नामांकित हैं तथा चार शिक्षक भी पदस्थापित हैं. स्कूल की दुर्दशा को लेकर स्थानीय लोगों में आक्रोश है. उक्त विद्यालय का जब जायजा लिया गया तो विद्यालय में बच्चे थे, लेकिन उनकी संख्या बेहद ही कम थी. विद्यालय में तीन शिक्षक भी मौजूद थे.
147 बच्चे के लिए केवल एक कमरा
बताया जा रहा है कि 1988 में इस विद्यालय का शुभारंभ हुआ था. स्कूल की जमीन भुवनेश्वर भगत द्वारा प्रदत्त और राज्यपाल के नाम निबंधित है. कई बार मकान बनाने का भी प्रयास किया गया मगर अधर में ही छोड़ दिया गया. इस स्कूल में ना तो बच्चों के बैठने की जगह है और ना ही सिर छुपाने के लिए सही सलामत छत. इस मामले में लोगों बताया कि जहां एक तरफ सरकार शिक्षा को प्राथमिकता की सूची में रखकर काम कर रही है. वहीं, यह स्कूल प्रशासनिक उदासीनता का शिकार बना हुआ है. स्कूल में केवल एक कमरे हैं ऐसे में 147 बच्चे कैसे बैठ और पढ़ सकते हैं. कई बार स्थानीय लोगों द्वारा आपत्ति भी जताई गई है और अधिकारियों को इस बाबत आवेदन भी दिया गया है. मगर ऐसा लगता है कि शिक्षा विभाग के अधिकारियों के आंखों से यह विद्यालय ओझल है.
पदाधिकारी ने समस्या के समाधान का दिया आश्वाशन
शिक्षकों ने बताया कि विद्यालय की छत टीन की है जो की काफी कमजोर है. बारिश के समय विद्यालय में पानी टपकने लगता है. जबकि गर्मी में टीन की तपिस को छात्र सहन नहीं कर पाते हैं. उन्होंने कहा कि बच्चे आए अथवा ना आए मगर उन लोगों को तो ड्यूटी करना ही पड़ता है. प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी सूर्य प्रसाद यादव को जब इस मामले में संपर्क किया गया तो उन्होंने कहा कि संबंधित स्कूलों में समस्याएं हैं. समाधान के लिए प्रयास किया जा रहा है. अधिकारियों को रिपोर्ट भेजा जाएगा. वे जल्द ही इस मामले में सकारात्मक कदम उठाने जा रहे हैं.
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