बिहार
आरक्षण को लेकर मचे घमासान के बीच ललन सिंह बोले- नीतीश के रहते अतिपिछड़ों के हितों से कोई समझौता नहीं
Shantanu Roy
10 Oct 2022 10:55 AM GMT
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पटना। बिहार में स्थानीय निकाय चुनाव में अतिपिछड़ों के आरक्षण को लेकर मचे घमासान के बीच जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी के बयानों पर पलटवार किया। उन्होंने कहा कि प्रदेश में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के रहते अतिपिछड़ों के हितों से कोई समझौता नहीं हो सकता।
"पूरे बिहार में एक्सपोज हो चुके हैं सुशील मोदी"
ललन सिंह ने कहा कि सुशील कुमार मोदी इसलिए हमलावर हैं क्योंकि वह पूरे बिहार में एक्सपोज हो चुके हैं। बिहार के लोग जान चुके हैं कि भाजपा आरक्षण विरोधी है। बिहार का अति पिछड़ा समाज मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ है। बिहार में अति पिछड़े लोगों की पहचान और पूरी शक्ति मुख्यमंत्री के साथ है। मुख्यमंत्री ने बिहार में अतिपिछड़ा वर्ग को सशक्त किया है, उनको सम्मान दिया है। नरेंद्र मोदी जब गुजरात के मुख्यमंत्री बने तो उन्होंने अपनी जाति को अतिपिछड़ा समाज में शामिल किया।
"BJP का चरित्र, चेहरा और सोच पूरी तरह से आरक्षण विरोधी"
जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा कि भाजपा का चरित्र, चेहरा और सोच पूरी तरह से आरक्षण विरोधी है। वह आरक्षण समाप्त करना चाहती है। उन्होंने सवालिया लहजे में कहा कि गुजरात में अक्टूबर 2021 में जो चुनाव हुआ क्या उसमें आरक्षण लागू था और अगर नहीं था तो क्या यह साबित नहीं होता कि भाजपा आरक्षण विरोधी है। भाजपा साजिश करके बिहार में भी अतिपिछड़ों का आरक्षण समाप्त करवाना चाहती है लेकिन जब तक नीतीश कुमार हैं तब तक अतिपिछड़ों के हितों के साथ कोई समझौता नहीं हो सकता।
सुशील मोदी ने CM नीतीश से की इस्तीफे की मांग
उल्लेखनीय है कि भाजपा सांसद सुशील मोदी ने स्थानीय निकाय चुनाव में अतिपिछड़ों को आरक्षण से वंचित करने के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को सीधे तौर पर जिम्मेदार ठहराया और उनसे इस्तीफा देने की मांग की। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जब से लालू प्रसाद यादव से मिले हैं तब से उन्हें अतिपिछड़ों पर भरोसा नहीं रहा। अब उन्हें अति पिछड़ों से ज्यादा माई (मुस्लिम-यादव) समीकरण पर ज्यादा भरोसा है। नीतीश कुमार जानते हैं कि बिहार के अतिपिछड़ा नरेंद्र मोदी के साथ है इसलिए उन्हें अब अतिपिछड़ों की चिंता नहीं है। इसी वजह से नगर निकाय चुनाव में यह स्थिति उत्पन्न हुई है।
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