बिहार

घर संभालने के साथ-साथ 'दारोगा' बनी बिहार की बहू, लड़कियों ने सड़क पर push ups कर दी विदाई

Shantanu Roy
19 July 2022 11:27 AM GMT
घर संभालने के साथ-साथ दारोगा बनी बिहार की बहू, लड़कियों ने सड़क पर push ups कर दी विदाई
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रोहतास। घर संभालने के साथ-साथ जब एक बहू पुलिस में अधिकारी बनी तो सड़कों के बीचों बीच पुश अप कर लड़कियों ने उसे सलामी दी। लड़कियों ने पुश अप कर बताया की तुम प्रेरणा हो उन लड़कियों के लिए जो शादी के बाद अपने सपने को मारकर, घर परिवार की जिम्मेदारी में उलझ जाती हैं। ऐसी ही एक सहेली ने जब 'दारोगा' के इम्तिहान में परचम लहराया तो खुशी से झूम उठी लड़कियों ने अपनी सहेली को बीच सड़क पर पुश अप कर विदाई दी।

बिहार के रोहतास में जब दरोगा बहाली का फ़ाइनल रिजल्ट आया तो लड़कों को पछाड़कर बेटियों ने बाजी मारकर एक बार फिर जिले का नाम रोशन किया है। डेहरी के पीपीसीएल कॉलोनी में सेना के रिटायर्ड जवान अक्षय कुमार सिंह द्वारा चलाए जा रहे नि:शुल्क ट्रेनिंग सेंटर से 2 लड़कियों ने दारोगा बहाली में सफलता हासिल कर एकेडमी का नाम रोशन किया है। ऐसे में जब दारोगा बनी श्यामली कुमारी एकेडमी में पहुंची तो उनके साथ ट्रेनिंग कर रही लड़कियों ने उसका फूल-मालाओं से स्वागत किया। साथ ही दारोगा बनी श्यामली कुमारी का आरती उतारकर स्वागत किया गया।
फिजिकल एकेडमी के ट्रेनर अक्षय कुमार सिंह ने भी उन्हें सम्मानित किया। इसके बाद एकेडमी की लड़कियों ने बड़े ही धूमधाम से श्यामली को विदा किया। एकेडमी की लड़कियों ने श्यामली की कामयाबी को पूरे रोहतास में रोड शो के जरिए ये संदेश भी दिया। उन्होंने कहा कि रोहतास की छोरियां, छोरों से कम ही नहीं बल्कि आगे हैं। इसी विदाई के दौरान सड़कों पर निकलीं लड़कियां ने बीच सड़क पर पुश अप कर ये बताया कि यह कामयाबी की पहली सीढ़ी है, अभी तो मंजिलें कई हैं। दारोगा बनी श्यामली ने कड़ी मेहनत और लगन से ये मुकाम हासिल किया है। श्यामली की इस सफलता में ट्रेनर अक्षय कुमार सिंह का भी बड़ा योगदान रहा, जिन्होंने उसे फिजिकल ट्रेनिंग के साथ-साथ एक सकारात्मक सोच भी दी।
श्यामली ने शादीशुदा होने के साथ-साथ अपनी पढ़ाई, फिजिकल ट्रेनिंग और घर संभालते हुए ये मुकाम हासिल किया है। इस सफलता में श्यामली के पति व परिवार का साथ मिलने के बाद उसकी मुश्किलें और आसान हो गई और वह अब दारोगा के पद पर काबिज हैं। ट्रेनर अक्षय कुमार सिंह के फिजिकल एकेडमी में दूरदराज से आए बच्चे और बच्चियों को निशुल्क ट्रेनिंग दी जाती है। इस एकेडमी से पहले भी 30 से ज्यादा लड़के और लड़कियों दारोगा के इम्तिहान में क्वालीफाई कर चुके हैं। इस बार भी श्यामली और पूनम ने दारोगा बनकर इलाके का नाम रोशन किया है। बहरहाल, श्यामली की कामयाबी इसलिए भी बड़ी है कि घर परिवार संभालते हुए श्यामली ने अपने कठिन परिश्रम और टाइम मैनेजमेंट करते हुए ये कामयाबी हासिल की है, जो उन तमाम महिलाओं के लिए प्रेरणा भी है, जो शादी के बाद अपने सपने को मारकर घर परिवार में उलझ जाती हैं।
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