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पटना के नेपाली नगर इलाके में रविवार को पुलिस प्रशासन और स्थानीय लोगों के बीच हिंसक झड़प हो गई. इस घटना में सिटी एसपी (सेंट्रल) अमरीश राहुल और दो अन्य पुलिसकर्मी चोट लगने से घायल हो गए. पटना प्रशासन के अधिकारी बिहार राज्य आवासीय बोर्ड की जमीन पर अवैध रूप से बने 90 मकानों को तोड़ने की कार्रवाई करने पहुंचे थे.
जानकारी के मुताबिक, जब स्थानीय प्रशासन के लोग नेपाली नगर इलाके में 90 मकानों को तोड़ने की कार्रवाई कर रहे थे, तो उसी दौरान स्थानीय लोग उग्र हो गए और उन लोगों ने पुलिस प्रशासन के ऊपर जमकर पत्थरबाजी कर दिया. कई सरकारी वाहनों को भी तोड़फोड़ दिया. उग्र भीड़ पर काबू पाने के लिए पुलिस प्रशासन ने भी लाठीचार्ज करते हुए आंसू गैस के गोले भी दागे और बल प्रयोग भी किया.
स्थानीय लोग और पुलिस के बीच ऐसी हिंसक झड़प में सिटी एसपी अमरीश राहुल को भी चेहरे पर चोट लगी और वह घायल हो गए. मौके पर पटना डीएम डॉ. चंद्रशेखर सिंह के पहुंचने के बाद प्रशासन ने पत्थरबाजों के खिलाफ कार्रवाई शुरू की और 12 लोगों को गिरफ्तार किया.
से बातचीत करते हुए डॉ. चंद्रशेखर सिंह ने बताया कि प्रशासन कानूनी तरीके से नेपाली नगर इलाके में अवैध रूप से बने निर्माण को गिराने का काम कर रहा था. मगर स्थानीय लोगों की तरफ से पत्थरबाजी हुई, जिसमें सिटी एसपी समेत दो पुलिसकर्मी घायल हो गए.
पटना डीएम ने बताया कि पुलिस ने 12 लोगों को हिंसा के मामले में गिरफ्तार कर लिया है और अन्य लोगों की भी वीडियो फुटेज के आधार पर पहचान की जा रही है ताकि उनकी भी गिरफ्तारी सुनिश्चित की जा सके.
गौरतलब है कि बिहार राज्य आवास बोर्ड की जमीन पर कथित रूप से अवैध निर्माण के खिलाफ कार्रवाई रविवार सुबह शुरू की गई है. रविवार सुबह ही एक दर्जन से ज्यादा बुलडोजर और 2000 से भी ज्यादा पुलिस बल नेपाली नगर पहुंचे और अवैध निर्माण गिराने का काम शुरू किया.
विवाद क्या है
राजीव नगर के नेपाली इलाके में करीब 70 घर हैं जो कथित रूप से बिहार राज्य आवास बोर्ड की अवैध जमीन पर बने हैं. जानकारी के मुताबिक, प्रशासन ने इन सभी 70 मकान मालिकों को करीब एक महीने पहले ही घर खाली करने का नोटिस दिया था.
पूरा जमीन विवाद 1974 से चल रहा है. 1974 में हाउसिंग बोर्ड ने आवासीय परिसरों के निर्माण के लिए किसानों से जमीन खरीदना शुरू किया, लेकिन कथित तौर पर किसानों को पर्याप्त मुआवजा नहीं दिया गया और पूरा मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया.
बाद में सुप्रीम कोर्ट ने बिहार राज्य आवास बोर्ड को भूमि अधिग्रहण में सभी प्रकार के भेदभाव को दूर करने और किसानों को पर्याप्त रूप से ब्याज के साथ मुआवजा देने का निर्देश दिया, जिसका आवास बोर्ड ने कथित तौर पर आज तक पालन नहीं किया है. बिहार राज्य आवास बोर्ड के रवैये से खफा किसानों ने अपनी जमीन को बेचना शुरू कर दी और यहीं से पूरा विवाद शुरू हुआ
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