आंध्र प्रदेश

डिजिटली साक्षरता से बाधाओं पर पाई विजय

Rani Sahu
19 Dec 2022 10:37 AM GMT
डिजिटली साक्षरता से बाधाओं पर पाई विजय
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नई दिल्ली, (आईएएनएस)| आंध्र प्रदेश के नेल्लोर जिले के थम्मीना पटनम गांव की छत्तीस वर्षीय शैक फरीदा परचून और दर्जी की दुकान चलाती हैं। लेकिन कुछ साल पहले जब देश में डिजिटलाइजेशन शुरू हुआ, तो कुछ गतिरोध आ गया। उसे डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से व्यापार लेनदेन को जारी रखना मुश्किल लगता था। वह नहीं जानती थी कि इसको कैसे संचालित किया जाए। इससे उसका व्यापार प्रभावित हुआ।
लेकिन एक अल्पकालिक डिजिटल साक्षरता प्रशिक्षण पाठ्यक्रम ने उसकी सभी समस्याओं को हल कर दिया और आज वह अपना व्यवसाय सुचारु रूप से चलाने में सक्षम हैं।
हाल के वर्षों में ग्रामीण क्षेत्रों के साथ-साथ देश के भीतरी इलाकों में इंटरनेट की गहरी पैठ बनाने की दिशा में निरंतर और गंभीर प्रयास किए गए हैं।
नीति आयोग के मुताबिक देश का 2022-23 तक डिजिटल विभाजन खत्म करने की आवश्यकता है।
नीति आयोग की प्रेरणा से अडानी फाउंडेशन की पहल कौशल विकास गतिविधियों पर ध्यान केंद्रित करती है।
फरीदा ने कहा, डिजिटल साक्षरता कार्यक्रम की वजह से मैं अपने व्यवसाय को और अधिक आसानी से और अधिक सफल तरीके से चलाने में सक्षम हूं। मोबाइल रिचाजिर्ंग से लेकर टिकट बुक करने तक, मैंने इन पहलुओं को भी शामिल किया है, इससे मुझे अतिरिक्त आय हुई है। मैं अडानी कौशल विकास केंद्र (एएसडीसी), कृष्णापटनम और डिजिटल साक्षरता कार्यक्रम के लिए बहुत आभारी हूं, जिन्होंने मेरे और मेरे परिवार के जीवन को बदल दिया।
डिजिटल साक्षरता पाठ्यक्रम से एक अन्य लाभार्थी नेल्लोर जिले के मुथुकुर गांव की देगला वरलक्ष्मी हैं।
डिजिटल साक्षरता पाठ्यक्रम का उद्देश्य कंप्यूटर के बुनियादी ज्ञान, उसके उपकरण, मोबाइल फोन संचालन और मोबाइल फोन अनुप्रयोगों के साथ-साथ लोगों को डिजिटलीकरण, ऑनलाइन कौशल से परिचित कराना है।
वह कहती हैं, जानकारी लेने के बाद मैंने अपने फोन पर डिजिलॉकर एप्लिकेशन इंस्टॉल किया और अपने सभी महत्वपूर्ण दस्तावेज जोड़े। मैंने अपने दोस्तों और परिवार के बीच डिजिलॉकर और इसके लाभों के बारे में भी जागरूकता फैलाई। मैंने इंटरनेट बैंकिंग, ऑनलाइन भुगतान के बारे में सीखा। मैं बच्चों को पढ़ा भी रही हूं, वह कहती हैं।
मुथुकुर गांव के एक मछुआरे बहुल क्षेत्र से आने वाली मनाती कृष्णवेनी के पास अपने क्षितिज को व्यापक बनाने की कोई गुंजाइश नहीं थी। लेकिन उसके आस-पास की सीमाओं ने उसे जीवन के डिजिटल तरीके की खोज करने से नहीं रोका।
उसने खुद को डिजिटल साक्षरता कार्यक्रम में नामांकित किया और पाठ्यक्रम के सफल समापन के बाद वह अब डिजिटली सक्षम हो गईं हैं।
मनाती कहती हैं, आज मैं कंप्यूटर चला सकती हूं, मुझे पता है कि अपने बैंक खाते से पैसा कैसे ट्रांसफर करना है, बिजली और पानी के बिलों का भुगतान ऑनलाइन कैसे करना है।
--आईएएनएस
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