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मणिपुर की घटना निश्चित रूप से चिंताजनक है संवेदनशील होना चाहिए

Teja
10 Aug 2023 6:29 PM GMT
मणिपुर की घटना निश्चित रूप से चिंताजनक है संवेदनशील होना चाहिए
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कॉन्फिडेंस : विपक्ष ने यह क्या किया, सब कुछ जानते-समझते हुए पैर पर कुल्हाड़ी मार ली। यह तो कोई नहीं मान सकता है कि विपक्षी नेताओं को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की वाक क्षमता का पता नहीं था। विपक्ष को इसका काफी अनुभव है कि जनता से सीधा संवाद बनाने में माहिर प्रधानमंत्री मोदी को जब भी अवसर मिलता है तो दूसरों की जमीन खाली हो जाती है। फिर भी अविश्वास प्रस्ताव का पूरा मंच सजाकर दे दिया। कहा गया कि विपक्ष प्रधानमंत्री को सदन में लाना चाहता है और लेकर आ भी गया। अगर इसे जीत माना जा रहा है तो फिर समझ की बलिहारी। हश्र सबके सामने है। लगभग 20 घंटे तक चली बहस में मणिपुर की मशाल लेकर निकला विपक्ष अपने ही हाथ जला बैठा। जबकि भाजपा और सत्तापक्ष ने फिर से वापसी का मंच भी तैयार कर लिया और हर राज्य की संवेदना भी छूने की कोशिश की। प्रधानमंत्री मोदी ने भाषण की शुरुआत में ही स्पष्ट कर दिया कि विपक्ष ने अविश्वास प्रस्ताव लाकर उनकी इच्छा पूरी कर दी। साथ ही तंज भी किया कि विपक्ष तैयारी करके नहीं आता। तीन दिनों में यह सचमुच दिखा भी। सत्तापक्ष ने वर्तमान भी साधा और आगामी चुनाव के लिए अपने नेताओं व गठबंधन में भरोसा भी भर दिया। संसद में तीन दिनों तक मोदी सरकार की नौ वर्षों की उपलब्धियों का बखान होता रहा, सदन के जरिये देश की जनता को वे सारी चीजें याद दिलाई गईं तो मोदी काल में पूरी हुईं, पूर्व में कांग्रेस शासनकाल में हुए घोटालों की सूची गिनाई गई, आइएनडीआइए गठबंधन के अंदरूनी संघर्ष और खींचतान की कहानी जनता को बार-बार याद दिलाई गई। विपक्ष में किसी भी नेता के पास इसका जवाब नहीं था। विपक्ष के इक्के-दुक्के नेताओं को छोड़ दिया जाए तो अधिकतर अपनी क्षेत्रीय राजनीति में उलझे रहे।

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