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आज के दौर में लोगों को जीवन जटिलताओं से भरा हुआ लगता है। सरलता और सहजता के साथ जीवन को कैसे व्यतीत करना है
जनता से रिश्ता वेबडेस्क | आज के दौर में लोगों को जीवन जटिलताओं से भरा हुआ लगता है। सरलता और सहजता के साथ जीवन को कैसे व्यतीत करना है? इस बारे में लोग जानने की बहुत कोशिश करते हैं। आज के दौर में जीवन कठिन क्यों हो गया है? इसका एक कारण प्रकृति से छेड़छाड़ भी है। हम प्रकृति से छेड़छाड़ करके उसे अपने अनुकूल बनाने का प्रयास रोज कर रहे हैं, लेकिन उसका दुष्परिणाम भी प्राकृतिक आपदाओं के रुप में देखने को मिलता है। जागरण अध्यात्म में आज हम आपको एक प्रेरक कथा के बारे में बता रहे हैं, जिसमें आपको जीवन को सहजता के साथ जीने का मंत्र दिया गया है। आइए पढ़ते हैं यह कथा...
प्रसिद्ध दार्शनिक कन्फ्यूशियस लू-लियांग जलप्रपात की सैर करने गए। जलप्रपात से पानी सौ फीट नीचे गिर रहा था और दूर-दूर तक उसका पानी उछल रहा था। वह ऐसी जगह थी, जहां मछलियां, कछुए और मगरमच्छ भी नहीं तैर सकते थे। लेकिन वहां उन्होंने एक आदमी को देखा, जो उसे तैरकर पार कर रहा था।
उन्होंने सोचा कि शायद कोई अपनी जान देने पर उतारू है। उन्होंने अपने एक शिष्य को उस आदमी को बचाने के लिए भेजा, लेकिन कुछ दूरी तक तैरने के बाद वह आदमी स्वयं ही बाहर आ गया और गुनगुनाता हुआ किनारे पर चलने लगा।
कन्फ्यूशियस ने उससे पूछा, 'तुमने तो अनोखा कारनामा किया। पानी से गुजरने का कोई जादू तुम्हें आता है?' उस व्यक्ति ने कहा, 'नहीं, मुझे कोई जादू नहीं आता। मेरे लिए तो यह रोज का काम है। मैं नैसर्गिकता के बीच ही पला-बढ़ा हूं। मैंने निसर्ग से तादात्म्य बना लिया है। जब मैं इस प्रपात में उतरता हूं तो मैं भीतर जाने वाले प्रवाह के साथ उतरता हूं और बाहर जाने वाले प्रवाह के साथ बाहर निकलता हूं। पानी पर अपने स्वभाव को थोपने की बजाय मैं पानी के स्वभाव के साथ चलता हूं। इस प्रकार मैं पानी से संबंधित हो जाता हूं और पानी की तरह ही किनारे निकल आता हूं।
कथा का सार
प्रकृति के संग अनुकूलन रखकर जीवन को सहजता से जिया जा सकता है।
Ritisha Jaiswal
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