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अगर इस बात को आजमाना चाहें तो, आराम से किसी भी गली के नुक्कड़ या चौराहे पर जाकर देख लीजिए। पक्का वहां पर लोग आपको कुछ न कुछ खाना खाते हुए दिख ही जाएंगे। वैसे भी, बेहतरीन खाना-पीना किसे अच्छा नहीं लगता है।
खाना-पीना बुरी बात नहीं है। समस्या तब होती है जब, खाने के बाद भोजन ठीक तरह से पच नहीं पाता है। इससे होने वाली अपच या कब्ज के कारण ही पेट और शरीर में कई तरह की समस्याएं होने लगती हैं।
भोजन सही ढंग से न पचने के कारण ही शरीर में एसिडिटी की समस्या होती है, जो आगे चलकर कई बड़ी समस्याओं की वजह भी बन सकती है। इन समस्याओं में सीने में जलन होना, सिर दर्द होना, जी मिचलाना, उल्टी आना, गैस बनना और पेट फूलने जैसी समस्याएं भी शामिल हैं।
भारत के महान योग गुरुओं ने पहले तो हर मौसम के आधार पर भोजन करने के नियम बनाए हैं। लेकिन इसके बाद भी अगर किसी को भोजन के बाद समस्याएं होती हैं, तो इन समस्याओं के समाधान के लिए कई योगासनों का निर्माण किया है।
भोजन के सही पाचन के लिए बनाए गए ये योगासन न सिर्फ मेटाबॉलिज्म को रेग्युलेट करते हैं बल्कि शरीर के अन्य अंगों समेत मन को भी फायदा पहुंचाते हैं।
इस आर्टिकल में हम आपको शरीर में एसिडिटी की समस्या दूर करने वाले 5 योगासनों के बारे में जानकारी देंगे। इन योगासनों के नियमित अभ्यास से आप भी एसिडिटी की समस्या से राहत पा सकेंगे।
योग और एसिडिटी (Yoga And Acidity)
एसिडिटी (Acidity) को एसिड रिफलैक्स (Acid Reflux) भी कहा जाता है। एसिडिटी एक बेहद आम समस्या है और ये तब होती है जब पेट ज्यादा मात्रा में एसिड का उत्पादन करने लगता है। सामान्यतः हमारे द्वारा खाया गया भोजन पेट के द्वारा बनाए गए एसिड के कारण टूटकर पच जाता है।
लेकिन कई बार पेट आवश्यकता से अधिक एसिड का उत्पादन करता है। इससे आहार नली के निचले हिस्से में मौजूद एलईएस रिंग एसिड को फूड पाइप में आने से रोक नहीं पाती है। इसी वजह से हमें एसिडिटी और सीने में जलन की समस्या होती है।
एसिडिटी के अन्य कारणों में पेट में दर्द होना और बेचैनी होना भी शामिल है। ज्यादातर मामलों में भोजन को सही ढंग से न चबाने, तेज गति से भोजन करने, पर्याप्त पानी न पीने, स्मोकिंग और खानपान की बुरी आदतों के कारण एसिडिटी की समस्या होती है।
वैसे तो एसिडिटी की समस्या दूर करने के लिए कई घरेलू उपाय भी मौजूद हैं। लेकिन योग से भी एसिडिटी या एसिड रिफ्लैक्स की समस्या को दूर किया जा सकता है। योग शरीर में मेटाबाॅलिज्म को रेग्युलेट करके कब्ज और पेट में गैस बनने जैसी समस्याओं को भी दूर कर सकता है।
1. पश्चिमोत्तानासन (Paschimottanasana / Forward Bend Pose)
पश्चिमोत्तानासन या फॉरवर्ड बेंड पोज पेट के अंगों के लिए एक उत्कृष्ट योगासन है। यह आसन न केवल पेट के भीतरी अंगों को ठीक से काम करने और पाचन समस्याओं का इलाज करने में मदद करेगा। बल्कि ट्यूमर की चर्बी को कम कर सकता है।
पश्चिमोत्तानासन करने की विधि :
योग मैट पर दोनों पैरों को एकदम सीधे फैलाकर बैठ जाएं।
दोनों पैरों के बीच में दूरी न हो और जितना संभव हो पैरों को सीधे रखें।
गर्दन, सिर और रीढ़ की हड्डी को भी सीधा रखें।
दोनों हथेलियों को दोनों घुटनों (Knees) पर रखें।
सिर और धड़ (Trunk) को धीरे से आगे की ओर झुकाएं।
घुटनों को बिना मोड़े हाथों की उंगलियों से पैरों की उंगलियों को छुएं।
गहरी श्वास लें और धीरे से श्वास को छोड़ें।
सिर और माथे को दोनों घुटनों से छूने की कोशिश करें।
बांहों को झुकाएं और कोहनी (Elbow)से जमीन को छूने की कोशिश करें।
श्वास को पूरी तरह छोड़ दें और इसी मुद्रा में कुछ देर तक बने रहें।
कुछ सेकेंड के बाद वापस पहली वाली मुद्रा में आ जाएं।
सामान्य रूप से श्वास लें और इस आसन को 3 से 4 बार दोहराएं।
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