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लाइफ स्टाइल
डिलीवरी के बाद डिप्रेशन का शिकार हो जाती है महिला, जानें इससे बचने का तरीका
Ritisha Jaiswal
7 March 2022 7:55 AM GMT
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घर मे छोटा बच्चा आने पर अलग ही माहौल हो जाता है। हर किसी का ध्यान नवजात शिशु की तरह ही रहता है।
घर मे छोटा बच्चा आने पर अलग ही माहौल हो जाता है। हर किसी का ध्यान नवजात शिशु की तरह ही रहता है। ऐसे में डिलीवरी के बाद मां किस परेशानी से गुजर रही हैं, इस बारे में खुद महिला भी कई बार ध्यान नहीं दे पाती हैं। मगर इस दौरान कई महिलाएं पोस्टपार्टम डिप्रेशन का शिकार हो जाती हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक, हर 4 में से 1 महिला डिलीवरी के बाद डिप्रेशन का शिकार हो जाती हैं। इस तनाव को ही पोस्टपार्टम डिप्रेशन कहते हैं। चलिए जानते हैं इस गंभीर बीमारी के लक्षण, कारण व बचने के कुछ उपाय...
पोस्टपार्टम डिप्रेशन के लक्षण
. हर समय मन उदास रहना
. स्वभाव में चिड़चिड़ापन बढ़ना और एंग्जइटी महसूस होना
. ज्यादा आलस व थकान रहना
. बात-बात में मन में अपराधबोध आना और खुद को किसी काम का ना समझना
. सिर या पेट में दर्द की परेशानी होना
. भूख कम या ना के बराबर लगना
. किसी काम या एक्टिविटी में ध्यान व मन ना लगना
. कई मांओं को बच्चे के साथ बॉन्डिंग बनाने में समस्या आती है
. बार-बार मन में बुरे ख्याल आने से रोने का मन करना
. अकेले रहना का मन करना
पोस्टपार्टम डिप्रेशन के कारण
. प्रेगनेंसी दौरान शरीर में हार्मोन्स में काफी बदलाव होता हैं। इनमें एस्ट्रोजन, प्रोजेस्टेरॉन, टेस्टोस्टेरॉन जैसे हार्मोन्स होते हैं। इसका सीधा असर महिला के स्वभाव पर ही पड़ता है।
. कई बार महिला के तनाव में आने का कारण परिवार व समाज भी होता हैं। उदाहरण के तौर पर बेटे की चाह रखने वालों के घर बेटी पैदा होने पर इसका जिम्मेदार मां को ठहराया जाता है। इसके कारण महिलाएं तनाव व डिप्रेशन में आ सकती हैं।
. डिलीवरी के बाद घर कीजिम्मेदारियों के साथ बच्चे को भी संभालना पड़ता है। ऐसे में जिम्मेदारी बढ़ने व उसे ठीक से निभाने के ख्याल को लेकर महिलाएं तनाव में आने लगती हैं।
. कई महिलाओं शारीरिक रूप से कमजोर होने के कारण भी पोस्टपार्टम डिप्रेशन का शिकार हो सकती हैं।
. डिलीवरी के बाद शारीरिक बदलाव होने पर कई महिलाएं तनाव महसूस करती हैं।
. नवजात शिशु की देखभाल के लिए महिलाओं को रातभर भी जागना पड़ता है। ऐसे में नींद पूरी ना होने व थकावट रहने के कारण भी महिलाएं पोस्टपार्टम डिप्रेशन का शिकार हो सकती है।
. अगर घर व बच्चे की देखभाल में परिवार या किसी तरह का सपोर्ट ना मिले तो भी महिलाएं तनाव में आ सकती हैं।
पोस्टपार्टम डिप्रेशन का इलाज
. डिलीवरी के बाद पार्टनर व परिवार के सदस्य महिला के साथ अधिक से अधिक समय बीताएं। उसे अकेला महसूस ना होने दें।
. महिला पार्टनर या घर के किसी सदस्य के साथ सैर पर जाएं।
. महिलाएं अपने खान-पान का अच्छे से ध्यान रखें।
. आप डॉक्टर से पूछकर हल्की-फुल्की एक्सरसाइज या योगा भी कर सकते हैं।
. पोस्टपार्टम डिप्रेशन से बचने के लिए दोस्तों के साथ फोन के जरिए संपर्क में रहें।
. एक्सपर्ट अनुसार, डिलीवरी के बाद महिलाओं की नींद पूरी होना बेहद जरूरी हैं। ऐसे में नवजात शिशु के सोने दौरान मांएं भी अपनी नींद पूरी करें।
. समस्या अधिक हो तो इससे बचने के लिए महिलाएं काउंसलिंग का सहारा ले सकती हैं।
. पार्टनर व परिवार वालों का सपोर्ट मिलने पर भी इस समस्या से बचा जा सकता है।
. अगर समस्या अधिक हो जाए तो मनोचिकित्सक से संपर्क करना चाहिए। इसके लिए मनोचिकित्सक मेडिकेशन थेरेपी, दवा और काउंसलिंग से इस बीमारी का इलाज करते हैं।
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