लाइफ स्टाइल

बच्चों को क्यों सुनानी चाहिए ढेर सारी कहानियां

Kajal Dubey
29 April 2023 1:04 PM GMT
बच्चों को क्यों सुनानी चाहिए ढेर सारी कहानियां
x
आइंस्टाइन ने कहा था,‘अगर आप अपने बच्चे को बुद्धिमान बनाना चाहते हैं तो उसे फ़ेयरी टेल्स सुनाइए. अगर उसे और बुद्धिमान बनाना चाहते हैं तो उसे और ज़्यादा फ़ेयरी टेल्स सुनाइए.’ क़ायदे से तो यह आर्टिकल यहीं ख़त्म हो जाना चाहिए, क्योंकि पूरे लेख का निचोड़ आइंस्टाइन के शब्दों ने पहले ही बयां कर दिया है. पर आपको छोटी-सी बात को समझने के लिए लंबा रास्ता अपनाना पसंद है तो आगे पढ़ते रहें.
दादी और नानी बच्चों की फ़ेवरेट क्यों होती हैं? वे भले ही एनर्जी के मामले में बच्चों से बहुत कम हों, पर वे अपनी कहानियों के माध्यम से उन्हें एक ऐसी दुनिया में ले जाती हैं, जहां बच्चों की एनर्जी कल्पना लोक में विचरण करने लगती है. उनके सामने कभी अनजानी दुनिया के दरवाज़े खुलते हैं तो कभी अपनी ही दुनिया को नए रंग-ढंग से देखना सीखते हैं. इतना ही नहीं ये कहानियां जाने-अनजाने एक बेहतर इंसान बनने के लिए प्रेरित करती हैं. आज हम बात करने जा रहे हैं तीन सकारात्मक प्रभाव, जो कहानियां सुनने से बच्चों के मन-मस्तिष्क पर पड़ते हैं.
बच्चों को कहानियां इसलिए सुनाएं, क्योंकि उनकी कल्पनाशीलता और उत्सुकता बढ़ती है
जब बच्चे कहानियां सुन रहे होते हैं तो वे केवल सुन नहीं रहे होते हैं, बल्कि अपनी कल्पना में गढ़ी गई एक दुनिया में पहुंच गए होते हैं. आप जिन किरदारों के बारे में उनको बता रहे होते हैं, वे उनके रंग-रूप, आकार-प्रकार की कल्पना कर चुके होते हैं. उनके दिमाग़ में आपके द्वारा सुनाई जा रही कहानी विज़ुअल फ़ॉर्म में चल रही होती है. इस तरह कहानियां सुनाकर आप बच्चों के कल्पनाशील मस्तिष्क में रचनात्मकता के बीज बो रहे होते हैं.
आप कह सकते हैं कि यह तो टीवी पर कहानियां देखते समय भी हो सकता है, फिर कहानी सुनाने की ज़रूरत क्या है? ज़रूरत है. वह इसलिए क्योंकि टीवी पर बच्चे कहानियां सुनते समय देख भी रहे होते हैं. उनके दिमाग़ में केवल वही दृश्य चलते हैं, जो स्क्रीन पर दिख रहे होते हैं. इसमें बच्चों की अपनी कोई क्रिएटिविटी नहीं बढ़ती. जबकि कहानियां सुनते समय वे अपने हिसाब से उस कहानी की दुनिया को गढ़ते हैं. आपकी कहानी में उनकी भावनाएं जुड़ जाती हैं. चूंकि आप कहानी सुना रहे होते हैं तो वे उससे जुड़े सवाल आपसे पूछ सकते हैं, इस तरह सवाल पूछना उन्हें जिज्ञासू बनाता है. दुनिया में सफल होने का पहला सूत्र ही है जिज्ञासू होना. इसके अलावा कहानी सुनते समय उनका पूरा ध्यान शब्दों पर होता है तो वे नए-नए शब्द सीखते हैं. पुराने शब्दों का नया इस्तेमाल भी उन्हें पता चलता है. कई कहावतें और मुहावरे बच्चे कहानियों के माध्यम से सीख लेते हैं.
बच्चों को कहानियां सुनाएं, क्योंकि इससे दुनिया के बारे में उनकी समझ बढ़ती है
आप कहेंगे कि बच्चों की ज़्यादातर कहानियां में काल्पनिक दुनिया होती है, ऐसे में कहानियां सुनकर दुनिया की समझ बढ़ने की बात हज़म नहीं होती. अगर आपके मन में भी यह बात आई हो तो आपको बता दें कि भारतीय बच्चों को सुनाई जानेवाली सबसे मशहूर कहानियां पंचतंत्र की होती हैं, जिसमें जंगल के जावनरों के माध्यम से नैतिक शिक्षा दी जाती है. पंचतंत्र के बारे में आपको पता ही होगा कि पढ़ाई में ज़रा भी रुचि न लेनेवाले राजा के बच्चों को नैतिक शिक्षा देने के लिए उनके शिक्षक ने उन्हें कहानियों के माध्यम से जीवन के कई गहरे और ज़रूरी मूल्य सिखाए थे. तो कहानियों की दुनिया काल्पनिक हो या असल ज़िंदगी की, बच्चों को कहानियां सुनाने का मक़सद होता है, उन्हें सही-ग़लत, अच्छा-बुरा जैसे दुनिया के बुनियादी नियम सिखाए जाएं.
कहानियां सुनने के बाद बच्चे न केवल भाषा और उसके इस्तेमाल के तरीक़े सीखेंगे, पर साथी ही अलग-अलग रिश्तों, परंपराओं और संस्कृतियों के बारे में सीखेंगे. एक अच्छा विद्वार्थी, अच्छा मित्र, अच्छी संतान या अच्छा इंसान बनने की ज़रूरत क्यों होती है, इन काल्पनिक कहानियों के माध्यम से बच्चे अपने आप सीख जाएंगे.
बच्चों को कहानियां सुनाएं, क्योंकि इससे वे चीज़ों पर फ़ोकस करना सीखते हैं
जिनके भी छोटे बच्चे होंगे वे इस बात से इत्तेफ़ाक रखते होंगे कि एनर्जी से भरे बच्चे एक जगह पर टिककर बैठ ही नहीं सकते. वे यहां-वहां कूदते-फांदते ही रहते हैं. या घर के दूसरे लोगों का अटेंशन पाने के लिए तरह-तरह की हरक़तें करते रहते हैं. यानी हम कह सकते हैं कि जिज्ञासा से भरा उनका दिमाग़ हमेशा कुछ न कुछ सोचता रहता है, जिसके चलते वे एक जगह पर फ़ोकस नहीं कर पाते. जब बच्चे कहानियां सुनते हैं तो वे चीज़ों को और घटनाओं को एक के साथ एक जोड़कर देखना शुरू करते हैं. जब वे चीज़ों पर फ़ोकस करते हैं तो उनका कॉन्सन्ट्रेशन बढ़ता है. जो बच्चे ज़्यादा कहानियां सुनते हैं, वे पढ़ाई-लिखाई के मामले में उन बच्चों से अच्छे होते हैं, जो कहानियां सुनने के बजाय टीवी देखने या मोबाइल/कम्प्यूटर में गेम खेलने में ज़्यादा वक़्त बिताते हैं. देखा यह भी जाता है, कहानियां सुनने में रुचि रखनेवाले बच्चे पढ़ना भी जल्दी सीखते हैं, क्योंकि उन्हें और कहानियों के बारे में जानना होता है.
Next Story