लाइफ स्टाइल

टीनएजर्स से किन मुद्दों पर बातचीत करनी चाहिए

Kajal Dubey
9 May 2023 5:52 PM GMT
टीनएजर्स से किन मुद्दों पर बातचीत करनी चाहिए
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21वीं सदी में भी भारतीय घरों में सेक्स से जुड़ी बातों पर चर्चा कुछ इस तरह दबे-छुपे ढंग से की जाती है, मानो यह कोई पाप हो. यही कारण है कि भारत में ज़्यादातर टीनएजर्स सेक्स संबंधी सही जानकारी के अभाव में बड़े होते हैं. उन्हें इस बारे में जानकारी ग़लत स्रोतों से मिलती है, जो कि उनके लिए बेहद नुक़सान देह साबित हो सकती है. टीनएजर्स की सेक्स एजुकेशन आज की ज़रूरत है. पर साथ ही यह भी अहम है कि किन मुद्दों से शुरुआत करनी चाहिए. आज हम ऐसे ही कुछ मुद्दों पर चर्चा करेंगे. ताकि आपके बच्चों को एक सुरक्षित माहौल मिले.
घुमा फिराकर बात करने की जगह डायरेक्ट मुद्दे पर आएं
यह थोड़ा अजीब लग सकता है, पर सही तो यही होगा कि आप यहां-वहां के मुद्दों पर बात करके टॉपिक पर आने के बजाय टीनएजर्स से डायरेक्ट बात करें. हां, आप उन्हें कुछ उदाहरण दे सकते हैं, जिससे वे चीज़ों को ख़ुद से रिलेट कर सकें. टीनएजर्स से सीधे बात करने की ज़रूरत इसलिए भी है, क्योंकि यह उनकी ज़िंदगी के सबसे संवेदनशील वर्ष होते हैं. उन्हें अपने शरीर में आ रहे बदलावों और दिमाग़ में चल रही हलचल को समझने, जानने की इच्छा होती है. जानकारियां उनके दोस्तों से लेकर इंटरनेट पर सभी जगह हैं. ज़रूरत है सही जानकारी की. यह काम केवल एक अभिभावक ही कर सकते हैं. बच्चों को रीप्रोडक्शन (प्रजनन) और रीप्रोडक्टिव हेल्थ के बारे में बताएं.
बच्चों को यह पता होना चाहिए कि सेक्स एक प्राकृतिक प्रोसेस है, पर उसकी एक उम्र होती है. हो सकता है बच्चों के सवाल आपको चक्कर में डाल दें. पर आपको बिना झिझके या उलझे उनके सवालों के सही-सही जवाब देने होंगे. उनकी उम्र के अनुसार जानकारी देनी होगी. और यह प्रक्रिया हमेशा चलते रहनी चाहिए.
उन्हें उनकी सीमाओं के बारे में बताएं
बेशक सेक्स के बारे में बच्चों को बताना ज़रूरी है, पर साथ ही इसकी सीमाएं भी स्पष्ट कर देनी चाहिए. उन्हें सबसे पहले यह बताएं कि सेक्स तभी किया जा सकता है, जब व्यक्ति शारीरिक और मानसिक रूप से तैयार हो. किसी प्रलोभन या दवाब में आकर यह नहीं किया जाना चाहिए. दोस्तों के दबाव में आकर कभी ऐसा कुछ नहीं करना है. इसमें कंफ़र्ट और कंसेंट (सहजता और सहमति) का होना बहुत ज़रूरी है. सेक्स के जुड़े सही-ग़लत पहलुओं की जानकारी टीनएजर्स को देना बहुत ज़रूरी है.
लैंगिक झुकाव के बारे में चर्चा करें
हम एक ऐसे समाज में रहते हैं, जहां हेट्रो सेक्शुएलिटी को नॉर्मल समझा जाता है. पर एक सच्चाई यह भी है कि हमारे समाज में एलजीबीटीक्यूआईए समुदाय के लोग भी रहते हैं. आपको अपने बच्चों को यह समझाना है कि इस तरह के सेक्शुअल ओरिएंटेशन वाले लोग भी उन्हें मिलेंगे. उनके बारे में मन में किसी तरह की दुर्भावना नहीं रखनी है. एलजीबीटीक्यूआईए समुदाय का होने में कुछ भी ग़लत नहीं है. इस तरह से बच्चों के मन में जेंडर को लेकर किसी भी तरह की दुर्भावना निकल जाती है. वे बेहतर नागरिक बनते
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