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क्या है कोरोनासोमनिया, जानें इसके कारण, लक्षण और उपचार
Ritisha Jaiswal
30 March 2021 8:29 AM GMT
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कोरोना वायरस महामारी को फैले अब एक साल से ज़्यादा का समय हो चुका है
जनता से रिश्ता वेबडेस्क | कोरोना वायरस महामारी को फैले अब एक साल से ज़्यादा का समय हो चुका है। इस एक साल में हम सभी ने काफी कुछ झेला है, अपने करीबी लोगों से न मिल पाना, दोस्तों से न मिल पाना, त्योहारों में अकेले पड़ जाना जैसी स्थिती ने हम सभी के दिमाग़ में तनाव और बेचैनी को जगह दी है। कोविड-19 संक्रमण ने न सिर्फ कई लोगों की ज़िंदगी को बर्बाद किया है, बल्कि अब भी ये हमारे मानसिक स्वास्थ्य पर लगातार बुरा असर डाल रहा है। फिर चाहे इस बीमारी से संक्रमित होने का डर हो या फिर इसके लक्षणों से जूझने का, बेचैनी और तनाव ज़िंदगी में बढ़ता ही जा रहा है। इस महामारी ने हमारी नींद पर भी असर डाला है और हमारी रोज़मर्रा की ज़िंदगी को बदल कर रख दिया है।
हमारी नींद पर पड़ रहा है महामारी का असर
कोरोनासोमनिया, जैसे कि शब्द से साफ है कि इसका मतलब नींद न आने और सोने से जुड़ी दूसरी दिक्कतों से है। कोरोना वायरस महामारी में कई लोग नींद से जुड़ी दिक्कतों से जूझ रहे हैं। इस महामारी ने हमें नए तरीके से ज़िंदगी जीना सिखाया है और साथ ही कई तरह के तनाव और बेचैनी भी दी है। जर्नल ऑफ क्लीनिकल स्लीप एंड मेडिसिन में छपे एक नए शोध के मुताबिक, महामारी की वजह से करीब 40 प्रतिशत लोग नींद की समस्या से जूझ रहे हैं।
कोरोनासोमनिया के कारण क्या हैं?
कई तरह की चीज़ों की वजह से लोगों में कोरोनासोमनिया होने लगा है। कोविड-19 संक्रमण से जुड़े डर और असुरक्षा की भावना की वजह से लोगों को इससे निपटने के लिए बहुत कुछ करना पड़ता है, खासतौर पर जब बात आती है अपने परिवार और करीबी लोगों की सुरक्षा की। इसके अलावा लोगों से कम मिलना, आइसोलेशन और डर की वजह से दिमागड पर काफी गहरा असर पड़ता है, जिसकी वजह से नींद से जुड़ी दिक्कतें भी आती हैं।
महामारी की वजह से लाइफस्टाइल में बदलाव
कोविड-19 महामारी ने हमारी ज़िंदगी जीने के तरीके को पूरी तरह से बदल कर रख दिया है। इसकी वजह से हमारा रोज़ की दिनचर्या में बदलाव आया है, खाने की आदतें बदली हैं, काम करने का माहौल बदला है और हमारी मानसिक स्थिरता पर दवाब बढ़ता जा रहा है। इसी वजह से लोगों में नींद न आने की समस्या बढ़ती जा रहा है।
तनाव और बेचैनी
ये महामारी हर दिन हमारा इम्तेहान ले रही है। हम इस ख़तरे को चाहे कितना भी नज़रअंदाज़ करने की कोशिश कर लें, फिर भी ये किसी न किसी तरह हमारे सामने आकर खड़ा हो जाता है। इस ख़तरे के चलते छोटी-छोटी चीज़ों से निपटने के लिए कई तरह की प्लानिंग से गुज़रना पड़ता है, जिसकी असर हमारे दिमाग़ पर तनाव के तौर पर पड़ता है।
ज्ञानिक रिपोर्ट्स के मुताबिक, तनाव के कारण शरीर में कुछ हार्मोनस का उत्पादन होता है- जैसे अड्रेनालिन और कोर्टीसोल। जिसकी वजह से नींद आना और शांत महसूस करना और चुनौतीपूर्ण हो जाता है।
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Ritisha Jaiswal
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