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सेहत पर बर्तन के पड़ते हैं क्या असर

Apurva Srivastav
10 April 2023 6:15 PM GMT
सेहत पर बर्तन के पड़ते हैं क्या असर
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दरअसल, इस बात से भी फर्क पड़ता है कि आप खाना किस तरह के बर्तन में पकाते हैं और किसमें खाते हैं। कई ऐसे बर्तन भी होते हैं, जो टॉक्सिक केमिकल से बने होते हैं और इन्हें गर्म करने पर खाने में यह टॉक्सिन्स फैल जाते हैं।
आपको याद होगा कि भारत में पारंपरिक तौर पर तांबे, लोहे, कांस आदि तरह के मेटल के बर्तनों में खाना बनाया जाता था और परोसा भी जाता था। इसके पीछे खास वजह है, कि यह प्राकृतिक धातु हमारी सेहत को नुकसान नहीं पहुचाते और शरीर को कई तरह के पोषक तत्वों से भर देते हैं।
जब खाना सही तरह के बर्तन में पराया जाता है, तो इससे खाने में पोषण बढ़ता है। कई ऐसी रिसर्च भी हुई हैं, जिनमें साबित हुआ है कि तांबे के बर्तनों में खाने से शरीर के कोलाजन को बढ़ावा मिलता है और मेटाबॉलिज़म भी बढ़ता है। तो आइए जानें कि तांबा, लोहा, कांस और पीतल से बने बर्तन कैसे फायदेमंद साबित होते हैं।
कांस
कांस को अंग्रेज़ी में ब्रोन्ज़ कहा जाता है, जो खाना खाने के लिए सबसे अच्छी धातुओं में से एक है। यह टिन और तांबे से मिलकर बना होता है, और दोनों ही मेटल स्वास्थ्य के लिए काफी अच्छे माने जाते हैं। कांस की प्लेट खाने में एसिड को कम करती है और आंत और पाचन से जुड़ी सेहत को बढ़ावा देती है। साथ ही कांस के बर्तन का इस्तेमाल आर्थराइटिस के दर्द को कम करता है, याददाश्त में सुधार करता है और थाइरॉयड के संतुन को बेहतर बनाता है।
पीतल के बर्तन
पीतल को अंग्रेज़ी में ब्रास कहा जाता है, जो 70 फीसद तांबा और 30 फीसदी जस्ता से मिलकर बना होता है। पीतल मैगनेटिक नहीं होता और लंबा चलसता है। पीतल के बर्तन में अगर खाना पकाया जाए, तो सिर्फ 7 प्रतिशत पोषक ही नष्ट होते हैं, इसलिए इसे फायदेमंद माना गया है। क्योंकि पीतल, तांबे और जस्ता से मिलकर बना होता है, इसलिए इसमें दोनों ही मेटल्स के गुण होते हैं। शरीर में अगर कॉपर की कमी हो जाए तो इससे इम्यूनिटी कमज़ोरी होती है, जिससे एनीमिया, स्किन से जुड़ी दिक्कतें और हड्डियों का कमज़ोर हो जाती हैं। पीतल के बर्तन में चावल और दाल जैसे पकवान बनाए जाते हैं।
तांबे के बर्तन
आपने तांबे की बोतल से पानी पीने के फायदों के बारे में खूब सुना होगा। एक्सपर्ट्स के अनुसार, अगर पानी को तांबे यानी कॉपर की बोतल में रखा जाए, तो इससे पानी प्राकृतिक तरह से साफ हो जाता है। तांबा पानी में फफूंद, फंगस, एल्गी और बैक्टीरिया को ख़त्म कर सकता है, जो शरीर के लिए संभावित रूप से हानिकारक होते हैं, जिससे पानी पीने के लिए सुरक्षित हो जाता है।यानी तांबे के पानी में एंटीबैक्टीरियल, एंटीमाइक्रोबियल, एंटीऑक्सीडेंट और एंटीइंफ्लेमेटरी गुण देखे जाते हैं।
आयरन
नॉन-स्टिक पैन्स को हेल्दी नहीं माना जाता है, क्योंकि यह एक तरह के टॉक्सिक केमिकल से बने होते हैं, जो गर्म होने पर खाने में मिल जाते हैं। तो ज़ाहिर है इससे हमारी सेहत पर बुरा असर पड़ता है। इसकी जगह एक्सपर्ट्स सोहे के बर्तनों के इस्तेमाल की सलाह देते हैं। कास्ट आयरन आजकल काफी पॉपुलर हो रहा है। इसमें खाना पकाने से खाने में भी आयरन के गुण चले जाते हैं, जो फायदा करते हैं। आयरन की कमी दुनियाभर में आम है। आयरन से बने बर्तन पूरी तरह से केमिकल-फ्री या आर्टिफिशियल कोटिंग से रहित होते हैं। इसके अलावा लोहे के बर्तन मज़बूत होते हैं और लंबे समय तक चलते हैं, जिसका उपयोग पीढ़ियों तक किया जा सकता है।
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