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ज्यादातर लोग कानों का उस तरीके से केयर नहीं करते जितना शरीर के बाकी हिस्सों का, तो वहीं कुछ लोग हर वक्त ही कानों की ईयरबड्स से सफाई करते रहते हैं
ज्यादातर लोग कानों का उस तरीके से केयर नहीं करते जितना शरीर के बाकी हिस्सों का, तो वहीं कुछ लोग हर वक्त ही कानों की ईयरबड्स से सफाई करते रहते हैं ये दोनों ही स्थितियां खराब हैं। सफाई न करने से भी और बहुत ज्यादा करने से भी कानों में कई तरह की समस्याएं हो सकती हैं। आंकड़ों के अनुसार, भारत में 23-25 फीसद लोग कान की किसी न किसी समस्या से शिकार हैं। जिसमें कान दर्द, कम सुनाई देना, किसी तरह का दबाव महसूस होना, सूजन, कान बहना और इंफेक्शन खासतौर से शामिल है। तो आज हम कान में होने वाले इंफेक्शन के बारे में बात करेंगे। जो मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं।
1. फंगल इंफेक्शन
फंगल इंफेक्शन की सबसे बड़ी और मुख्य वजह होती है बहुत ज्यादा नमी। गीली और नम जगहें फंगस के पनपने के एकदम अनुकूल होती हैं। फंगल इंफेक्शन कान की नलिका के बाहरी भाग में होता है। संक्रमण की वजह एस्पर्गिलस व कैंडिडा नामक जीवाणु होते हैं
फंगल इंफेक्शन रोकने के उपाय
- कान को हमेशा साफ व सूखे रखें। खासतौर से अगर आप तैराकी करते हैं तो।
- कान में होने वाली खुजली को ईयरबड्स से शांत करने की गलती न करें।
- समय-समय पर कान की सफाई कराते रहें। इससे मैल नहीं जमता जिससे खुजली और इंफेक्शन की संभावनाएं काफी हद तक कम हो जाती हैं।
- नहाते या बाल धोते वक्त कान में पानी चला जाए तो उसे सूखे कपड़े से पोंछे।
- हेडफोन या ब्लूटूथ जिस किसी का भी इस्तेमाल आप बात करने या म्यूज़िक सुनने के लिए करते हैं उसे भी साफ करना बहुत जरूरी है।
2. बैक्टीरियल इंफेक्शन
कानों में होने वाला बैक्टीरियल इंफेक्शन ज्यादातर बारिश के मौसम में ही देखने को मिलता है। बारिश, ठंड या हवा से गले में सबसे पहले संक्रमण होता है। गले का संक्रमण यूस्टाचियन ट्यूब में फैलता है, यह ट्यूब हमारे कान और गले को जोड़ती है। इसी ट्यूब के जरिए कान भी संक्रमित हो जाता है।
बैक्टीरियल इंफेक्शन रोकने के उपायओ
- क्योंकि यह गले से फैलने वाला संक्रमण है। तो कोशिश होनी चाहिए गले को हर तरह के इंफेक्शन से बचाए रखने की। जिससे ये कानों तक पहुंच ही न पाए।
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