- Home
- /
- लाइफ स्टाइल
- /
- मौसमी बीमारी है वायरल...
x
आमतौर पर मौसम में बदलाव के कारण वायरल फीवर हो जाता है। वायरस की वजह से होने वाले फीवर को वायरल फीवर कहा जाता है। जब भी मौसम बदलता है तब तापमान के उतार-चढ़ाव के कारण हमारे शरीर का प्रतिरक्षा तंत्र कमजोर पड़ जाती है और शरीर जल्दी वायरस के संक्रमण में आ जाता है। आज हम आपको बताएँगे की आप बदलते मौसम के दौरान वायरल फीवर से कैसे बच सकते है?
वायरल फीवर क्या है?
वायरल फीवर एक मौसमी बीमारी है जो बदलते मौसम के साथ हमारे आसपास के वातावरण में सक्रिय हो जाती है। शरीर का तापमान बढ़ना वायरल फीवर का मुख्य लक्षण होता है। वायरल फीवर बच्चों और बूढ़ों में होना काफी सामान्य है, क्योंकि उनकी प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर होती है। वायरल बुखार आमतौर पर हवा में फैलने वाले वायरल संक्रमण के कारण होता है, और यह पानी में फैलने वाले संक्रमण के कारण भी हो सकता है। वाटरबोर्न संक्रमण की रोकथाम करने के लिए उपाय किए जा सकते हैं, लेकिन हवा में फैलने वाले संक्रमण की रोकथाम करने के उपाय काफी कम हैं।
वायरल फीवर के लक्षण
वायरल फीवर आंतरायिक प्रकृति का होता है यानी व्यक्ति कभी इसकी गिरफ्त में आसानी से आता है तो कभी इसके गिरफ्त में नहीं आता और नियमित अंतराल में अनुभव होता है। उदाहरण के लिए ज्यादातर लोगों को दोपहर या शाम को एक विशेष समय के दौरान ही वायरल फीवर होता है। वायरल फीवर होने पर ठंड लगती है। यहां तक कि तेज गर्मी और नम वातावरण के दौरान भी वायरल फीवर के कारण ठंड महसूस हो सकती है।
क्या होते है वायरल फीवर के लक्षण ?
- थकान
- चक्कर आना
- गले में दर्द
- आंखों में जलन
- खांसी
- त्वचा पर चकत्ते
- दस्त
- मतली और उल्टी
- कमजोरी
- सिर दर्द
- मांसपेशियों में दर्द, शरीर व जोड़ों में दर्द
- ग्रसनी में सूजन व जलन
- टॉन्सिल में दर्द होना
- छाती में कफ जमा महसूस होना
वायरल फीवर किस कारण से होता है?
एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में वायरल फीवर बड़ी आसानी से फैलता है। संक्रमित व्यक्ति के शरीर से निकलने वाले द्रव पदार्थों (जैसे खून, थूक और पेशाब आदि) के संपर्क में आने पर दूसरा व्यक्ति भी वायरल फीवर से संक्रमित हो सकता है। जब संक्रमित व्यक्ति छींकता, खांसता, उबासी लेता और यहां तक की बोलता है, तो उसके शरीर से द्रव की बारीक बूंदे हवा में मिल जाती है और यदि आप आसपास हैं तो सांस के द्वारा वे बूंदे आपके शरीर में चली जाती है। जब एक बार वायरस आपके शरीर में चला जाता है, तो यह पूरे शरीर में फैलने और बुखार के साथ तीव्र संक्रमण पैदा करने में 16 से 24 घंटे तक का समय लेता है।
वायरल फीवर के वायरस के कुछ गंभीर प्रकार हैं जिनके कारण हेमरेजिंग (अत्यधिक खून बहना) हो जाता है। वायरस के ये प्रकार मच्छरों या किसी कीट द्वारा काटने से फैलते हैं या फिर किसी संक्रमित व्यक्ति के वीर्य या खून के संपर्क में आने से भी ये फैल जाते हैं।
वायरल फीवर की रोकथाम कैसे करें?
किसी भी रोग की रोकथाम, उपचार से ज्यादा बेहतर होती है। वायरल बुखार जैसे हानिकारक संक्रमणों को रोकने के लिए व्यक्तिगत स्वच्छता का ध्यान रखना महत्वपूर्ण होता है। कुछ सामान्य कदम जिनका पालन करके आप इन रोगों को दूर रख सकते है, जैसे -
- भीड़ वाले इलाकों में जाने से बचें
- बारिश में भीगने से बचें
- खाना खाने से पहले अपने हाथ धोएं
- कपड़े या जूते जो गीले या नम हैं, उनको सूखे कपड़ों व जूतों से दूर रखें
- बाहर का भोजन ना खाना जितना संभव हो सके घर का पका भोजन ही करना
- उबला हुआ साफ पानी या प्यूरीफायर का पानी पीना
- प्रति दिन तौलिया बदलते रहना
वाइरल बुखार होने पर डॉक्टर को कब दिखाएं?
यदि वायरल फीवर में शरीर का तापमान 104 डिग्री तक पहुंच जाता है या फिर अगर बुखार लगातार 4 या उससे ज्यादा दिन तक बना रहता है। तो जल्द से जल्द डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
Tagsवायरल बुखार के लक्षणवायरल बुखार का इलाजवायरल बुखार के उपायवायरल बुखार के लिए घरेलू उपचारबुखार कम करने की दवावायरल बुखार के लिए जलयोजनबुखार के लिए एंटीवायरल दवावयस्कों में बुखार के लक्षणबच्चों में वायरल बुखारबुखार प्रबंधनviral fever symptomstreatment for viral feverviral fever remedieshome remedies for viral feverfever reduction medicationhydration for viral feverantiviral medication for feversymptoms of fever in adultsviral fever in childrenfever management
Kiran
Next Story