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उड़द दाल का उपयोग अधिकतर भारतीय घरों में किया जाता है। इसमें ओमेगा-3 और ओमेगा-6 फैटी एसिड होते हैं। इसके अलावा, उड़द की दाल में प्रोटीन, आयरन और कैल्शियम समेत कई अन्य पोषक तत्व भी पाए जाते हैं। वैसे तो उड़द की दाल का सेवन प्रत्येक व्यक्ति कर सकता है। लेकिन प्रेग्नेंसी में महिलाओं के मन में सवाल रहता है कि उड़द दाल खा सकते हैं या नहीं?
गर्भावस्था में उड़द दाल खाना सुरक्षित है। इसका सेवन न सिर्फ नाश्ते में, बल्कि दोपहर और रात के भोजन में भी किया जा सकता है। बस ध्यान रखें कि गर्भवती को आहार में दिन भर में दो से ढाई कप दाल ही लेनी चाहिए। इसमें उड़द दाल की मात्रा को करीब एक कप यानी 30 ग्राम तक ही सीमित रखें।
इसके अलावा, गर्भावस्था में उड़द दाल में मौजूद आयरन को भी फायदेमंद माना जाता है। इस बात का जिक्र भारत सरकार द्वारा जारी गाइडलाइन ‘गर्भावस्था में एनीमिया से बचाव’ में भी मिलता है। इसके अनुसार, प्रेगनेंसी में खून की कमी से बचने के लिए आयरन व फोलिक एसिड (IFA) से समृद्ध काली उड़द दाल का सेवन अच्छा होता है। साथ ही गर्भावस्था में प्रोटीन समृद्ध खाद्य खाने की भी सलाह दी जाती है, जिसमें उड़द दाल भी शामिल है। उड़द दाल पोषक तत्वों से भरपूर होता है। इसमें प्रोटीन, आयरन, कार्बोहाइड्रेट्स और कैल्शियम अधिक मात्रा में पाए जाते हैं। इसके अलावा, उड़द की दाल फाइबर का भी अच्छा सोर्स होता है। प्रेग्नेंसी में प्रोटीन, एंटीऑक्सीडेंट्स और आयरन प्राप्त करने के लिए आप उड़द की दाल को अपनी डाइट में शामिल कर सकती हैं। प्रेग्नेंसी के दौरान उड़द की दाल खाना सुरक्षित होता है। इसमें ओमेगा-3 और ओमेगा-6 फैटी एसिड होते हैं, जो प्रेग्नेंट महिलाओं के लिए बहुत जरूरी होते हैं। लेकिन गर्भावस्था में महिलाओं को इसका सेवन सीमित मात्रा में ही करना चाहिए।
उड़द की दाल खाने में न केवल स्वादिष्ट होती है बल्कि इसके कई स्वास्थ्य लाभ भी होते हैं। यह प्रोटीन, फाइबर और विभिन्न प्रकार के विटामिन और खनिजों का एक बड़ा स्रोत है। नियमित रूप से उड़द की दाल खाने से पाचन में सुधार, कोलेस्ट्रॉल कम करने, रक्त शर्करा को नियंत्रित करने, वजन घटाने में सहायता, त्वचा और बालों के स्वास्थ्य में सुधार, हड्डियों के स्वास्थ्य में सुधार और गर्भवती महिलाओं के लिए फायदेमंद हो सकता है। यह एक बहुमुखी घटक है जिसका उपयोग विभिन्न प्रकार के व्यंजनों में किया जा सकता है, सूप और स्टॉज से लेकर करी और दाल केक तक।
प्रेग्नेंसी में उड़द दाल खाने के फायदे
पाचन को बेहतर बनाए
प्रेग्नेंसी में महिलाओं को पाचन से जुड़ी दिक्कतों जैसे अपच, गैस और कब्ज से परेशान रहना पड़ता है। लेकिन अगर आप प्रेग्नेंसी में उड़द की दाल खाएंगे, तो पाचन को बेहतर बनाने में मदद मिल सकती है। दरअसल, उड़द की दाल में फाइबर होता है, जो अच्छे बैक्टीरिया को बनाए रखने में मदद करता है। इससे भोजन को पचाने में मदद मिलती है।
एनीमिया से बचाए
प्रेग्नेंट महिलाओं को एनीमिया के लक्षणों से भी जूझना पड़ता है। उड़द की दाल खाने से आप एनीमिया से अपना बचाव कर सकते हैं। उड़द की दाल में आयरन होता है, जो एनीमिया को रोकने में मदद करता है। उड़द की दाल खाने से आपको पर्याप्त ऊर्जा भी मिलेगी।
भ्रूण के बेहतर विकास के लिए
गर्भावस्था के दौरान भ्रूण के बेहतर विकास के लिए प्रोटीन को आवश्यक माना जाता है। उड़द की दाल भी प्रोटीन का एक उत्कृष्ट स्रोत है। इसकी पुष्टि स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा जारी एक गाइडलाइन से भी होती है। इसमें बताया गया है कि गर्भावस्था में प्रोटीन से समृद्ध काली उड़द दाल का सेवन किया जाना चाहिए। ऐसे में स्वस्थ गर्भावस्था के लिए आहार में उड़द की दाल को शामिल करना एक अच्छा विकल्प माना जा सकता है।
एंटीऑक्सीडेंट
उड़द की दाल में मौजूद एंटीऑक्सिडेंट विभिन्न बीमारियों को रोकते हैं। एंटीऑक्सिडेंट उम्र बढ़ने, सेल और टिश्यू डैमेज और विभिन्न प्रकार के कैंसर से लड़ते हैं। ये हमारे बालों और त्वचा को स्वस्थ रखने में भी मदद करते हैं।
हड्डियां मजबूत बनाए
प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाओं को जोड़ों के दर्द का भी सामना करना पड़ता है। उड़द की दाल में कैल्शियम की मात्रा अधिक होती है। ऐसे में अगर आप नियमित रूप से उड़द की दाल खाएंगी, तो हड्डियां मजबूत बनी रहेगी। साथ ही, जोड़ों और शरीर के दर्द में भी आराम मिलेगा।
त्वचा और बालों के लिए लाभकारी
प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाओं को त्वचा और बालों से जुड़ी परेशानियों से भी जूझना पड़ता है। ऐसे में उड़द की दाल खाना फायदेमंद होता है। उड़द की दाल में एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं, जो बीमारियों से बचाते हैं। एंटीऑक्सीडेंट्स त्वचा और बालों को भी फ्री रेडिकल्स से बचाते हैं।
कैल्शियम की पूर्ति के लिए
एनसीबीआई (नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इंफॉर्मेशन) पर उपलब्ध एक शोध के अनुसार, गर्भवतियों और गर्भस्थ शिशु, दोनों को कैल्शियम की आवश्यकता होती है। कैल्शियम की पर्याप्त मात्रा से नवजात को लो बर्थ वेट की परेशानी से बचाया जा सकता है। यही वजह है कि गर्भवतियों को दूसरी और तीसरी तिमाही में ज्यादा-से-ज्यादा कैल्शियम युक्त आहार लेने के लिए कहा जाता है। ऐसे आहार की लिस्ट में उड़द की दाल का नाम भी शामिल है। इसके अलावा, गर्भावस्था में कैल्शियम की उचित मात्रा बनाए रखने से कमजोर हड्डियों के जोखिम से भी बचाव होता है। साथ ही हाई ब्लड प्रेशर की गंभीर स्थिती प्री-एक्लेमप्सिया व समय पूर्व प्रसव के जोखिम को भी दूर करने में कैल्शियम को लाभकारी माना जाता है।
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गर्भावस्था में शिशु की ग्रोथ और मां के स्तनों के उत्तकों, गर्भाशय व प्लेंसेंटा के उत्तकों के विकास के लिए शरीर में ऊर्जा होना जरूरी है। इसे बनाए रखने के लिए उड़द दाल का सेवन किया जा सकता है। दरअसल, शरीर को ऊर्जा प्रदान करने में कार्बोहाइड्रेट, लिपिड व प्रोटीन की अहम भूमिका होती है। ये सभी तत्व विभिन्न रसायनों को तोड़कर उन्हें कोशिकाओं तक पहुंचाते हैं। इससे शरीर को ऊर्जा मिलती रहती है। उड़द दाल प्रोटीन, लिपिड और कार्बोहाइड्रेट से समृद्ध होती है। ऐसे में कहा जा सकता है कि शारीरिक ऊर्जा को बनाए रखने के लिए गर्भवती के लिए उड़द दाल का सेवन लाभकारी होता है।
पोषण से भरपूर
स्वस्थ गर्भावस्था के लिए आहार में प्रोटीन, विटामिन, मिनरल, फैट के साथ ही अन्य जरूरी पोषक तत्वों को भी शामिल करने की आवश्यकता होती है। इन जरूरी पोषक तत्वों के लिए काली उड़द दाल का सेवन किया जा सकता है। जी हां, उड़द दाल प्रोटीन व फाइबर के साथ ही जिंक, आयरन व मैग्नीशियम जैसे मिनरल्स व विटामिन्स से समृद्ध होती है।
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Kiran
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