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लाइफ स्टाइल
ट्रैफिक का शोरगुल आपको दिमागी तौर पर बना सकता है बीमार, जानें
Tara Tandi
13 Jun 2023 8:31 AM GMT
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एक रिपोर्ट के मुताबिक 3 से 6 घंटे तक सबसे ज्यादा लोगों का समय ट्रैफिक में बीत रहा है. इससे न केवल हमारा समय खराब होता है बल्कि हमारे स्वास्थ्य पर भी इसका बुरा प्रभाव पड़ता है। इसे ट्रैफिक स्ट्रेस सिंड्रोम कहा जाता है। जो हमारे मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य दोनों को प्रभावित करता है। इसके कार्बन फुटप्रिंट को भी बढ़ावा मिलता है। आइए जानते हैं क्या है ट्रैफिक स्ट्रेस सिंड्रोम (टीएसएस) और इससे जुड़ी बातें...
ट्रैफिक स्ट्रेस सिंड्रोम क्या है
कई लोग पहले से ही इस समस्या से जूझ रहे हैं। ट्रैफिक स्ट्रेस सिंड्रोम इससे जुड़े तनाव के बारे में है। लंबे समय तक ट्रैफिक में रहने से शारीरिक और मानसिक प्रभाव पड़ता है। यह भी एक तरह का एन्वॉयरमेंटल स्ट्रेस सिंड्रोम है, जो ट्रैफिक की वजह से जिंदगी का हिस्सा बन जाता है। विशेषज्ञों के अनुसार, यह सिंड्रोम यातायात के शोर, वायु प्रदूषण, सड़क के खतरों और अन्य यातायात संबंधी कारकों के कारण होता है।
ट्रैफिक स्ट्रेस सिंड्रोम के लक्षण
यह एक ऐसा सिंड्रोम है जो शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। इसकी वजह से सिरदर्द, थकान, चिंता, डिप्रेशन और दिल की धड़कन बढ़ सकती है। इतना ही नहीं, यह एकाग्रता, याददाश्त और निर्णय लेने की क्षमता को भी प्रभावित कर सकता है। लंबे समय तक ट्रैफिक में रहने के कारण दिल और सांस की बीमारियों का खतरा भी कई गुना बढ़ जाता है।
ट्रैफिक स्ट्रेस सिंड्रोम के नुकसान
ट्रैफिक में रहने के कारण जो शोर हमारे कानों तक पहुंचता है, उससे स्ट्रेस हार्मोन का स्तर काफी बढ़ जाता है। जिसकी वजह से नींद की गुणवत्ता बिगड़ जाती है। दिन भर शरीर थका-थका सा रहता है। थकान के कारण एकाग्र नहीं हो पाता।
ट्रैफिक स्ट्रेस सिंड्रोम से कैसे बचें
इसके खतरे को कम करने के लिए सबसे जरूरी है कि ट्रैफिक से जुड़े तनाव को सीमित किया जाए। जितना हो सके ट्रैफिक में जाने से बचें। यह आपको ट्रैफिक के शोर से बचाने में मदद कर सकता है। मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए आप तनाव प्रबंधन तकनीकों की भी मदद ले सकते हैं।
Tara Tandi
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