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वह दिन लद गए जब राजधानी में बिहार को लेकर कोई उत्सव होता है तो वहां पर इस राज्य का मशहूर खाना लिट्टी-चोखा खाने का मिल जाता था.
वह दिन लद गए जब राजधानी में बिहार को लेकर कोई उत्सव होता है तो वहां पर इस राज्य का मशहूर खाना लिट्टी-चोखा खाने का मिल जाता था. या ऐसा भी होता था कि मन करे तो आप बिहार भवन में जाकर इस देसी भोजन को खा आएं. अब यह लिट्टी-चोखा दिल्ली में इतना आम और मशहूर हो चला है कि आपको बिहार का स्वाद कई ठियों पर मिल जाएगा. अब कोयले की आंच पर मंद सिकती हुई लिट्टी दिख जाएगी तो उसके साथ मसालेदार चोखा भी खाने को मिलेगा, साथ में कई प्रकार की चटनी इस भोजन का स्वाद बढ़ा देगी. जब गरमा-गरम लिट्टी को देसी घी में डूबोकर पेश किया जाएगा तो आप मानेंगे कि वाकई जिस लिट्टी-चोखे को खाने का मन कर रहा था, वह आपको मिल गया है. आज हम आपको ऐसे ही एक लिट्टी-चोखा वाले ठिए पर लेकर चल रहे हैं.
कोयले की आंच पर सिकती है लिट्टी
नॉर्थ दिल्ली का मेट्रो स्टेशन नेताजी सुभाष प्लेस (NSP) आजकल बहुत ही व्यस्त स्टेशन है. यह इंटरचेंज स्टेशन है, इसलिए यहां भीड़-भाड़ भी खूब है. इसी स्टेशन के बाहर आपको एक ठिया सजा हुआ नजर आएगा. इस ठिए का नाम है 'बिहार का मशहूर लिट्टी-चोखा.' इसे एक युवा अपने छोटे भाई के साथ पिछले कई सालों से चला रहा है. जब लोग इस ठिए के पास से गुजरते हैं तो उन्हें अलग तरह की खुशबू महसूस होती है. वे देखते हैं कि कोयले की मंदी आंच पर कुछ गोल-गोल सेंका जा रहा है, तो उनके कदम रुक जाते हैं.
पता चलता है कि यहां तो बिहार का मशहूर व्यंजन खाने के लिए मिल रहा है. उसे बिल्कुल देसी स्टाइल में बनाया जा रहा है और देसी स्टाइल में परोसा भी जा रहा है तो मन खाने का करने लगेगा. जब आप खाऐंगे तो वाकई महसूस करेंगे कि दिल्ली जैसे भागते-दौड़ते शहर में आप कुछ अलग ही व्यंजन का मजा ले रहे हैं और वो भी कम दाम पर.
मसालेदार चोखे का स्वाद है लाजवाब
आप ऑर्डर दीजिए. एक प्लेट में बैंगन, आलू और टमाटर से भरा मसालेदार चोखा रखा जाएगा. उसके बगल में तीन प्रकार की चटनी पेश की जाएगी जो पूरे भोजन का स्वाद बढ़ा देगी. एक चटनी पीली सरसों की बनी हुई है, दूसरी चटनी हरी मिर्च व हरे धनिए की और तीसरी लाल मिर्च की तीखी चटनी. इनके बगल में ताजा-ताजा काटकर प्याज रखी जाएगी, साथ में हरी मिर्च का अचार भी होगा.
उसके बाद कोयले की आंच के ऊपर रखी जाली पर सिंक रही दो गरमा-गरम लिट्टी को देसी घी के बर्तन में तर कर उसे इस प्लेट पर रखा जाएगा, साथ में लकड़ी का छोटा चम्मच. खाकर देखिए, मन मस्त हो जाएगा. इस बात की पूरी संभावना है कि आप एकाध लिट्टी और खाने के लिए मांग लें. अलग से चोखा चाहिए वह भी मिलेगा, चटनी, प्याज, हरी मिर्च भी मिल जाएगी.
सामने तैयार होता है फ्रेश फूड
सब कुछ सामने तैयार और फ्रेश. इस ठिए पर सबसे ज्यादा भीड़ उन युवाओं की होती है जो विभिन्न कंपनियों के लिए सेल्स रिप्रेजेंटेटिव का काम करते हैं. बिना देसी घी का लिट्टी-चोखा खाएंगे तो 30 रुपये का है और और देसी घी में तर माल 40 रुपये में हाजिर है. यह ठिया यहां करीब सात साल से लग रहा है. इसे चलाने वाले अनवर जब बिहार से आए थे, तो उनका मन था कि अपने राज्य का व्यंजन दिल्ली वालों को चखाया जाए. वह पहले बिहार में भी इसे बेचते थे. तर्जुबा था, इसलिए काम चल निकला. उनका कहना है कि सुबह आते ही सारा माल ठिए पर ही तैयार किया जाता है.
लिट्टी में भरने के लिए मसाले से भरा चने का सत्तू ही उसका स्वाद बढ़ा देता है. गरमा-गरम यह देसी खाना लोगों को खूब पसंद आ रहा है. दोपहर को हाथ बंटाने के लिए उनका छोटा भाई रिहान भी आ जाता है. सुबह 11 बजे ठिया सज जाता है और रात 10 बजे तक यहां ताजे लिट्टी-चोखा का आनंद लिया जा सकता है. कोई अवकाश नहीं है.
Ritisha Jaiswal
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