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विशेषज्ञों की चिंता- 70 फीसदी युवा आबादी इसकी शिकार
जनता से रिश्ता वेबडेस्क | स्मार्टफोन्स के अधिक इस्तेमाल को स्वास्थ्य विशेषज्ञ कई प्रकार से हानिकारक मानते हैं। बढ़े हुए स्क्रीन टाइम को अध्ययनों में तमाम प्रकार की बीमारियों का प्रमुख कारण माना जाता रहा है। यह आंखों के लिए भी बहुत नुकसानदायक है। नेत्र रोग विशेषज्ञों का कहना है कि जिस प्रकार से युवा आबादी अपना ज्यादातर समय मोबाइल फोन्स के स्क्रीन के नजदीक बिता रही है, इससे स्मार्टफोन विजन सिंड्रोम (एसवीएस) होने का खतरा बढ़ गया है, एक ऐसी समस्या जो आंखों की रोशनी जाने का कारण बन सकती है।
यदि कोई व्यक्ति लंबे समय तक अंधेरे में फोन का इस्तेमाल करता है तो इससे दृष्टि संबंधी समस्याओं का जोखिम काफी बढ़ जाता है, यह स्मार्टफोन विजन सिंड्रोम (एसवीएस) का कारण बन सकती है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि 70 फीसदी युवा आबादी में इसका जोखिम हो सकता है, जोकि बड़ी चिंता है।
अगर इस समस्या पर ध्यान न दिया जाए या फिर इसका उपचार न हो पाए तो इससे अंधेपन तक का खतरा हो सकता है। आइए एसवीएस की इस समस्या के बारे में समझते हैं।डॉक्टर कहते हैं, युवा आबादी में आंखों की रोशनी कम होने की एक प्रमुख वजह फोन पर ज्यादा समय बिताने की आदत है, खासतौर पर अंधेरे में। अगर आप रात के समय लाइट बंद करके आंखों से कुछ ही दूरी पर रखकर फोन को 1-2 घंटे भी देखते रहते हैं, तो यह आपमें एसवीएस की समस्या का कारण बनने के लिए पर्याप्त है।
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