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अस्थमा के मरीजों को एक्सरसाइज से प्राकृतिक तौर पर राहत मिलती है लेकिन ज्यादा कठिन शारीरिक परिश्रम करना चुनौती भरा होता है। वहीं दूसरी तरफ योग धीमी और आसानी से होने वाली प्रक्रिया है। इस प्रक्रिया में गहरी सांसें लेना भी शामिल होता है। ये अस्थमा के मरीजों के लिए बेहद फायदेमंद होता है।
अस्थमा होने के कई कारण हो सकते हैं। इनमें जेनेटिक और पर्यावरण दोनों शामिल हो सकते हैं। कारण चाहें जो भी हों, योग अस्थमा के मरीजों का न सिर्फ बचाव करता है बल्कि उसके ऊपर नियंत्रण पाने में भी मदद करता है। ये योग भारत के महान योगियों की ओर से मानव सभ्यता को उपहार है।
1. सुखासन (Sukhasana)सुखासन बैठकर किया जाने वाला आसान आसन है। ये मेडिटेशन और योग में बैठकर किए जाने वाले आसनों में से एक है। बहुत से एशियाई देशों में, सुखासन बैठने और भोजन करते वक्त बैठने का सामान्य तरीका है। सुखासन का अभ्यास अगर सुबह किया जाए तो बहुत फायदेमंद होता है। इसके अभ्यास के वक्त पेट खाली होना जरूरी नहीं है। सुखासन को नए योग करने वाले भी कर सकते हैं। ये विन्यास योग आसन है। इस आसन को तब तक किया जा सकता है जब तक आप आराम से बैठ सकते हैं।
अस्थमा के इलाज के लिए सुखासन (Sukhasana For Treating Asthma)
सुखासन आपकी सांसों पर ध्यान केंद्रित करता है और स्ट्रेस को कंट्रोल करता है। सुखासन के अभ्यास से सीना चौड़ा होता है, दिमाग को आराम मिलता है। सुखसन आपको मजबूत और स्थिर बनाता है। ये आसन आपको शांति और और एकाग्रता देता है। सुखासन उन सभी कारणों से आपको बचाने में सक्षम है जिसके कारण आपको अस्थमा के हमले का सामना करना पड़ता है।
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2. उपविष्ठ कोणासन (Upavistha Konasana)उपविष्ठ कोणासन को अंग्रेजी में Upavistha Konasana या फिर Seated Wide Angle Pose भी कहा जाता है। इस आसन में जमीन पर हिप्स के बल बैठकर दोनों टांगों को जितना हो सके फैलाने का अभ्यास किया जाता है। उपविष्ठ कोणासन को करने का सर्वश्रेष्ठ समय खाली पेट सुबह या फिर शाम को खाने के 5-6 घंटे बाद होता है। उपविष्ठ कोणासन हठयोगियों का आसन है और इसकी कठिनाई का स्तर भी औसत है। इस आसन को 30 से 60 सेकेंड तक किया जा सकता है।
अस्थमा के इलाज के लिए उपविष्ठ कोणासन (Upavistha Konasana For Treating Asthma)
इस आसन में, ऊपरी शरीर में खिंचाव आता है। उपविष्ठ कोणासन से फेफड़े खुलते हैं और सांस लेने की प्रक्रिया बेहतर होती है। ये दिमाग को शांति देता है और तनाव को दूर करने में मदद करता है। इस आसन से शरीर में लचीलापन बढ़ता है और ये अस्थमा के हमले को रोकने में भी मदद करता है।
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3. अर्ध मत्स्येन्द्रासन (Ardha Matsyendrasana)अर्ध मत्स्येन्द्रासन को अंग्रेजी भाषा में Ardha Matsyendrasana या फिर Sitting Half Spinal Twist भी कहा जाता है। अर्ध मत्स्येन्द्रासन में जमीन पर बैठकर रीढ़ की हड्डी को बैठकर मोड़ा जाता है। अर्ध मत्स्येन्द्रासन को करने का सबसे बढ़िया समय सुबह खाली पेट का है। इस आसन को करते समय ये बात जरूर ध्यान में रखें कि शौच अच्छे से हुआ हो और पेट एकदम साफ हो। अर्ध मत्स्येन्द्रासन को हठयोगियों का शुरुआती आसन माना जाता है। इस आसन का अभ्यास 30 से 60 सेकेंड तक किया जा सकता है।
अस्थमा के इलाज के लिए अर्ध मत्स्येन्द्रासन (Ardha Matsyendrasana For Treating Asthma)
अर्ध मत्स्येन्द्रासन आपके सीने को खोलता और चौड़ा करता है। इससे आप फेफड़ों में ज्यादा ऑक्सीजन ले पाते हैं। अर्ध मत्स्येन्द्रासन के अभ्यास से शरीर में ऑक्सीजन लेने की क्षमता बढ़ जाती है। इस गुण के कारण अस्थमा के अटैक का खतरा काफी कम हो जाता है।
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4. सेतु बंधासन (Setu Bandhasana)
सेतु बंधासन को अंग्रेजी भाषा में Setu Bandhasana या फिर Bridge Pose भी कहा जाता है। ये आसन देखने में पुल की तरह दिखता है। इस आसन का अभ्यास सुबह खाली पेट किया जाना चाहिए। ये आसन साधारण स्तर को विन्यास योग आसन है। सेतु बंधासन का अभ्यास 30 से 60 सेकेंड तक किया जा सकता है।
अस्थमा के इलाज के लिए सेतु बंधासन (Setu Bandhasana For Treating Asthma)
अस्थमा के मरीजों के लिए सेतु बंधासन बेहद कारगर है। ये सीने और फेफड़ों को खोलकर शरीर का बैलेंस बनाए रखता है। ये थायरॉयड ग्रंथि को भी नियंत्रण में रखता है और पाचन सुधारने में मदद करता है।
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5. भुजंगासन (Bhujangasana)भुजंगासन को अंग्रेजी में Bhujangasana या फिर Cobra Pose भी कहा जाता है। ये आसन रीढ़ की हड्डी को जबरदस्त मोड़ देता है और नाग के उठे हुए फन के जैसी मुद्रा बनाता है। भुजंगासन का अभ्यास सुबह खाली पेट किया जाना चाहिए। ये अष्टांग योग का प्रारंभिक आसन है। इस आसन का अभ्यास अधिकतम 15 से 30 सेकेंड तक ही किया जाना चाहिए। ?
अस्थमा के इलाज के लिए भुजंगासन (Bhujangasana For Treating Asthma)
भुजंगासन के नियमित अभ्यास से अस्थमा के लक्षणों में राहत मिलती है। ये शरीर में ऑक्सीजन की सप्लाई बढ़ाता है और रक्त संचार सुधारने में मदद करता है। ये सीने को खोलता है और फेफड़ों के रास्ते को साफ करता है। ये आसन हमारा लचीलापन बढ़ाता है और मूड को सुधारता है। ये सीने की मांसपेशियों में भी खिंचाव पैदा करता है।
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6. पूर्वोत्तानासन (Purvottanasana)पूर्वोत्तानासन को अंग्रेजी भाषा में Purvottanasana या फिर Upward Plank Pose भी कहा जाता है। पूर्वोत्तानासन का हिंदी में शाब्दिक अर्थ है पूर्व की तरफ उठना। पूर्वोत्तानासन पूर्व में उगने वाले सूर्य का प्रतिनिधित्व करता है इसके अलावा ये नई और सुनहली सुबह का भी प्रतीक है। पूर्वोत्तानासन का अभ्यास अलसुबह खाली पेट किया जाना चाहिए। ये साधारण स्तर की कठिनाई वाला विन्यास योगासन है। इसका अभ्यास 30 से 60 सेकेंड तक किया जाना चाहिए।
अस्थमा के इलाज के लिए पूर्वोत्तानासन (Purvottanasana For Treating Asthma)
पूर्वोत्तानासन हमारे दिमाग में नई संभावनाओं और सकारात्मकता को जन्म देता है। ये हमारे श्वसन तंत्र को बेहतर बनाता है और हार्मोन की बढ़त को भी कंट्रोल करता है। पूर्वोत्तानासन हमें शांत और व्यवस्थित रहने में मदद करता है। पूर्वोत्तानासन के अभ्यास से हमारी कलाइयां, भुजाएं, और पीठ मजबूत होती है। ये अस्थमा के अटैक की संभावनाओं को रोकने में भी मदद करता है।
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7. शवासन (Shavasana)
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Kajal Dubey
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