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बरसात में संक्रमण का अधिक खतरा, चेचक में होती है खुजली

Tulsi Rao
1 Aug 2022 3:19 AM GMT
बरसात में संक्रमण का अधिक खतरा, चेचक में होती है खुजली
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जनता से रिश्ता वेबडेस्क। Monkeypox vs Chickenpox: स्किन पर चकत्ते और बुखार, मंकीपॉक्स और चिकनपॉक्स दोनों के सामान्य लक्षणों ने लोगों में भ्रम पैदा किया है. हालांकि डॉक्टरों का कहना है कि मरीजों में दोनों वायरल रोगों के लक्षणों के प्रकट होने के तरीके में अंतर है. उन्होंने किसी भी तरह के शक के निवारण के लिए डॉक्टरों से परामर्श लेने की सलाह दी है. मंकीपॉक्स एक वायरल जूनोसिस (जानवरों से इंसान में फैलने वाली बीमारी) है, जिसमें चेचक के रोगियों में अतीत में देखे गए लक्षणों के समान लक्षण होते हैं, हालांकि यह चिकित्सकीय रूप से कम गंभीर है.

बरसात में संक्रमण का अधिक खतरा
मेदांता हॉस्पिटल में डर्मेटोलॉजी के विजिटिंग कंसल्टेंट डॉ. रमनजीत सिंह ने कहा कि बरसात के मौसम में, लोगों में वायरल संक्रमण का खतरा अधिक होता है. इस दौरान चिकनपॉक्स के मामले बड़े पैमाने पर अन्य संक्रमणों के साथ देखे जाते हैं, जिनमें चकत्ते और मतली जैसे लक्षण भी दिखाई देते हैं. इस स्थिति के कारण, कुछ रोगी भ्रमित हो रहे हैं और चिकनपॉक्स को मंकीपॉक्स समझने की गलती कर रहे हैं. रोगी इसके क्रम और लक्षणों की शुरुआत को समझकर यह निर्धारित कर सकता है कि उसे मंकीपॉक्स है या नहीं.
इस तरह के होते हैं लक्षण
उन्होंने कहा कि मंकीपॉक्स आमतौर पर बुखार, अस्वस्थता, सिरदर्द, कभी-कभी गले में खराश और खांसी और लिम्फैडेनोपैथ (लिम्फ नोड्स में सूजन) से शुरू होता है. ये सभी लक्षण त्वचा के घावों, चकत्ते और अन्य समस्याओं से चार दिन पहले दिखाई देते हैं, जो मुख्य रूप से हाथ और आंखों से शुरू होते हैं और पूरे शरीर में फैलते हैं. अन्य विशेषज्ञ भी इससे सहमत हैं और उनका कहना है कि त्वचा के अलावा, मंकीपॉक्स के मामले में अन्य लक्षण भी हैं, लेकिन किसी भी शक को दूर करने के लिए डॉक्टर से परामर्श करना हमेशा बेहतर होता है. हाल में कुछ मामलों में मंकीपॉक्स के दो संदिग्ध मामले चिकनपॉक्स के निकले.
अस्पताल में आने के बाद चल रहा पता
पिछले हफ्ते दिल्ली के लोक नायक जयप्रकाश (LNJP) अस्पताल में बुखार और घावों की समस्या के साथ भर्ती किए गए मंकीपॉक्स के एक संदिग्ध मरीज में इस संक्रमण की पुष्टि नहीं हुई, बल्कि चिकनपॉक्स होने का पता चला. इसी तरह, बेंगलुरु गए इथियोपिया के एक नागरिक में कुछ लक्षण दिखने के बाद जांच में चिकनपॉक्स की पुष्टि हुई. भारत में अब तक मंकीपॉक्स के चार मामले सामने आए हैं. इनमें से तीन केरल से और एक मामला दिल्ली से आया है.
चेचक में होती है खुजली
फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट के इंटरनल मेडिसिन विभाग के निदेशक डॉ. सतीश कौल ने कहा कि मंकीपॉक्स में घाव चेचक से बड़े होते हैं. मंकीपॉक्स में हथेलियों और तलवों पर घाव दिखाई देते हैं. चेचक में घाव सात से आठ दिनों के बाद अपने आप सीमित हो जाते हैं, लेकिन मंकीपॉक्स में ऐसा नहीं होता है. चेचक में घाव में खुजली महसूस होती है. मंकीपॉक्स के घाव में खुजली नहीं होती है. कौल ने यह भी कहा कि मंकीपॉक्स में बुखार की अवधि लंबी होती है और ऐसे रोगी में 'लिम्फ नोड्स' बढ़े हुए होते हैं.
चिकनपॉक्स नहीं है गंभीर
बत्रा अस्पताल के चिकित्सा निदेशक डॉ. एससीएल गुप्ता ने चिकनपॉक्स का कारण बनने वाले वायरस के बारे में कहा कि चिकनपॉक्स आरएनए वायरस है, जो इतना गंभीर नहीं है, लेकिन इससे त्वचा पर चकत्ते भी पड़ जाते हैं. यह चिकनपॉक्स का मौसम है. आमतौर पर मॉनसून के दौरान नमी होती है, तापमान में वृद्धि होती है, जल जमाव होता है, नमी और गीले कपड़े रहते हैं, इन सभी से वायरस का विकास होता है. साथ ही, बीमारी से जुड़ा एक धार्मिक पहलू भी है. लोग इसे 'माता' आने की तरह मानते हैं और इसलिए ऐसे मरीजों का इलाज किसी भी तरह की दवाओं से नहीं किया जाता है. उन्हें अलग-थलग रखा जाता है और उनके ठीक होने का इंतजार किया जाता है.
मंकीपॉक्स प्रतिरोधक क्षमता को करता है कम
मंकीपॉक्स के बारे में गुप्ता ने बताया कि इस तरह के वायरस के लिए एक 'एनिमल होस्ट' (वायरस के वाहक जानवर) की आवश्यकता होती है, लेकिन यह गले में खराश, बुखार और सामान्य वायरस के लक्षणों के साथ सीमित रहता है. उन्होंने कहा कि इस वायरस का मुख्य लक्षण शरीर पर ऐसे चकत्ते होते हैं, जिनके अंदर तरल पदार्थ होता है. इससे वायरल संक्रमण होता है, जो शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को कमजोर करता है, लेकिन इसकी जटिलता के कारण समस्याएं उत्पन्न होती हैं. मामले में, किसी भी तरह के जीवाणु संक्रमण और मवाद होने पर यह बढ़ता जाता है, जिससे शरीर में और जटिलता हो जाती है.
अभी नहीं है उचित इलाज
गुप्ता ने कहा कि फिलहाल मंकीपॉक्स आरंभिक चरण में है. हमारे पास उचित इलाज नहीं है. हम सिर्फ आइसोलेशन का तरीका अपना रहे हैं और संदिग्ध मरीज को उसके लक्षणों के अनुसार इलाज कर रहे हैं. गले में इंफेक्शन होने पर हम जेनेरिक दवाओं का ही इस्तेमाल करते हैं. डॉक्टरों से इस तरह के सवाल भी पूछे गए हैं कि क्या पूर्व में चिकनपॉक्स का संक्रमण मरीज का मंकीपॉक्स से बचाव करता है, जिसका उत्तर नहीं है. दिल्ली के बीएलके मैक्स अस्पताल के इंटरनल मेडिसिन के वरिष्ठ निदेशक और विभाग प्रमुख डॉ. राजिंदर कुमार सिंघल ने कहा कि दोनों अलग-अलग वायरस के कारण होते हैं, प्रसार का तरीका अलग होता है और पिछला संक्रमण नए के खिलाफ कोई सुरक्षा सुनिश्चित नहीं करता है.


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