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मछली का तेल सप्लीमेंट लेने के हैं कई फायदे

Kajal Dubey
14 May 2023 1:06 PM GMT
मछली का तेल सप्लीमेंट लेने के हैं कई फायदे
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ओमेगा -3 फैटी एसिड को हमारी बॉडी नहीं बनाती, इसलिए हमें यह भोजन से ही लेना होता है। आपके शरीर को रोजाना 500 ओमेगा -3 फैटी एसिड की जरूरत होती है। जिनकी डाइट में ओमेगा -3 फैटी एसिड की कमी होती है, उन्‍हें यह सप्लीमेंट से लेना होता है।
फिश ऑयल में दो ओमेगा -3 एस होते हैं, जिन्हें डोकोसाहेक्सानोइक एसिड (डीएचए) और इकोसापेंटेनोइक एसिड (ईपीए) कहा जाता है।
फिश ऑयल सप्लीमेंट (Fish oil supplements) लिक्विड, कैप्सूल या गोली के रूप में आता है।
हाई ट्राइग्लिसराइड (triglycerides), हाई ब्लड प्रेशर (high blood pressure), हार्ट अटैक और स्‍ट्रोक (heart attacks and strokes) आदि के खतरे को कम करने के लिए भी फिश ऑयल का सेवन किया जाता है।
30% फिश ऑयल ओमेगा -3 s से बना है, जबकि बाकी 70% अन्य फैट से बना है। फिश ऑयल में आमतौर पर कुछ विटामिन ए और डी भी होते हैं।
क्यों जरूरी है फिश ऑयल या फिश ऑयल सप्लीमेंट
डीएचए और ईपीए का मुख्य सोर्स फैट वाली मछली है। कुछ सीड्स, नट्स, अंडे, फ्लेक्सीड, वनस्पति तेल आदि में भी ओमेगा -3 होता है, जिसे अल्फा-लिनोलेनिक एसिड (ALA) कहा जाता है।(1)
हावर्ड यूनिवर्सिटी के आर्टिकल के मुताबिक फैट वाली फिश जैसे सेलमन (salmon), मैकेरल (mackerel) और सार्डिन (sardine) ओमेगा-3 s फैटी एसिड से भरपूर होती हैं।(2)
आर्टिकल में यह भी बताया गया है कि फिश ऑयल सप्लीमेंट हार्ट प्रॉब्लम को दूर करने, सूजन को कम करने, मानसिक स्वास्थ्य में सुधार करने और उम्र बढ़ाने में भी मदद कर सकता है। इस दावे का कारण यह है कि अमेरिकी प्रति वर्ष $ 1 बिलियन से अधिक फिश ऑयल पर खर्च करते हैं।
इसलिए फूड कंपनियां फिश ऑयल को दूध, दही, अनाज, चॉकलेट, कुकीज, जूस और सैकड़ों अन्य खाद्य पदार्थों में शामिल कर रही हैं। इसके सेवन से कई मेटाबॉलिक (metabolic) और इम्यून प्रोटेक्टिव (immune-protective) बेनिफिट मिलते हैं।
फिश ऑयल के फायदे:
1. मसल्स गेन में सपोर्ट करता है (Supports Muscle Gains)
फिश ऑयल मसल्स सेल्स में AMPK mRNA लेवल को बढ़ाता है। यह हाइपरट्रॉफी के लिए सही वातावरण बनाकर बॉडी में कार्टिसोल (cortisol) और प्रोटीन के टूटने के रेट को भी कम करता है।
साथ ही यह मसल्स गेन की स्पीड को भी बढ़ा सकता है और सोरनेस को भी कम कर सकता है। 5 आसान तरीके, जिनसे वर्कआउट के बाद मसल्स में होने वाले दर्द को कर सकते हैं कम
इसलिए अक्सर प्रोफेशनल लोग वर्कआउट के बाद फिश ऑयल का सेवन करते हैं।
2. ट्राइग्लिसराइड बढ़ने से रोकता है (Lowers Excess Triglyceride)
सही मात्रा में ईपीए और डीएचए लेने से ट्राइग्लिसराइड के लेवल में कमी आती है। एक मेटा एनालेसिस के मुताबिक फिश ऑयल लेने से हाई बेसलाइन ट्राइग्लिसराइड वाले व्यक्तियों में 15-30% की कमी देखी गई।(3)
फिश ऑयल का सेवन पुअर लिपिड प्रोफाइल वाले लोगों और ऐसे लोगों के लिए अच्‍छा रहता है, जिनकी फैमिली में हार्ट डिजीज आम है। यदि आपके परिवार में भी हार्ट इश्यूज की समस्या है तो आप अपनी फैमिली हिस्ट्री डॉक्टर को बताकर और उनकी सलाह लेकर इनका सेवन कर सकते हैं।
हो सकता है फैमिली हिस्ट्री के मुताबिक अगर आपको हेल्थ इश्यूज की आशंका हो तो उसे काफी हद तक कम किया जा सकता है।
3. डिप्रेशन और मूड (Depression & Mood)
फिश ऑयल का सेवन डिप्रेशन से राहत देने और मूड सही करने में भी काफी मदद करता है। इसका प्रयोग एंटीडिप्रेसेंट फार्मास्यूटिकल ड्रग (antidepressant pharmaceutical drug), फ्लुओक्‍सेटाइन (fluoxetine) के जैसा है। इसका उपयोग क्रॉनिक डिप्रेशन (chronic depression) के मामलों में किया जाता है।(4)
डिप्रेशन से राहत पाने का कारगर उपाय है डीप ब्रेन स्टिम्युलेशन : स्टडी
4. ज्वाइंट सपोर्ट और सूजन (Joint Support & Inflammation)
ह्यूमन स्टडी की रिपोर्ट के मुताबिक फिश ऑयल के सेवन से जोड़ों की सूजन में कमी देखी जाती है। नियमित रूप से हैवी वजन उठाने से जोड़ों और टिश्यूज में सूजन आ जाती है। इसलिए फिश ऑयल लेने से सूजन से बचने या फिर कम करने में काफी मदद मिलती है। (5)
इसलिए अगर आपको भी ज्वाइंट पेन की समस्या है तो इसका सेवन कर सकते हैं।
5. डायबिटीज लेवल को कम करे (Reduce Risk Of Diabetes)
स्टडी के मुताबिक फिश ऑयल शरीर में इंसुलिन के स्‍तर में भी सुधार (insulin sensitivity) करता है। मोटापे से ग्रस्‍त लोगों और मेटाबॉलिज्म डिसऑर्डर के शिकार लोगों को फिश ऑयल का सेवन करने की सलाह दी जाती है।
कुछ हद तक फिश ऑयल डायबिटीज के जोखिम को भी कम कर सकता है। (6)
निष्कर्ष (Conclusion): यदि आप फिश का सेवन करते हैं तो आपको फिश ऑयल सप्लीमेंट लेने की जरूरत नहीं होती। लेकिन यदि आप मछली का सेवन नहीं करते तो आपको इसे अपनी डोज में शामिल करना चाहिए।
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