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वह दिन दूर नहीं, जब फ़िल्मों के हीरो हम ख़ुद होंगे

Kajal Dubey
29 April 2023 4:29 PM GMT
वह दिन दूर नहीं, जब फ़िल्मों के हीरो हम ख़ुद होंगे
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मूर के सिद्धांत के अनुसार टेक्नोलॉजी हर 18 महीने में अपने आप को दोगुना शक्तिशाली बना लेती है. आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस अब दुनिया को नियंत्रित कर रही है. हमारे मोबाइल अब हमारे नए अंग बन चुके हैं, सबसे ज़रूरी और शक्तिशाली अंग. इसका माइक्रोफ़ोन और उसकी स्क्रीन पर की जाने वाली हमारी ऐक्टिविटी हमारे कंधों पर बैठे फ़रिश्तों की तरह हैं जो हमारी हर एक बात को नोट कर रहे हैं. हमारे पाप पुण्य का लेखा-जोखा सब कुछ आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस के पास है.

आर्टिफ़िशयल इंटेलिजेंस का एल्गोरिदम, जो रखता है हमारे पल-पल का हिसाब

हमारी सोशल मीडिया की आईडी हमारी एक नई पहचान है जो कि आभासी होते हुए भी हमारी वास्तविकता से भी ज़्यादा शक्तिशाली है. जिससे हम एक क्लिक में ही हज़ारों-लाखों लोगों तक अपनी बात पहुंचाते हैं. ऐसी सुविधाएं पहले के मनुष्यों में से किसी को भी उपलब्ध नहीं थी. पहले के लोगों को अपनी बात हज़ारों लोगों तक पहुंचाने के लिए कई-कई दिन या लगभग पूरी ज़िंदगी लग जाती थी.


आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस हमारे मानस को लगभग लगभग पूरी तरह समझ गई है. जो हमें चाहिए होता है या जिसकी हमें ज़रूरत होती है आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस के एल्गोरिदम उसे समझ कर हमारे सामने उन वस्तुओं के विज्ञापन दिखाते हैं. यह हमारे मानस को समझने जैसा ही है. मैं अपनी पसंदीदा दुकान पर किताबें ख़रीदने जाता हूं. मेरे वहां पर 8 से 10 बार जाने के बाद वहां के कर्मचारियों को पता चला कि मैं किस प्रकार की किताबें पढ़ता हूं तो वे मुझे उस ज़ोनर की किताबें लाकर दिखाते थे. लेकिन, अब मेरी किताबों की रुचि के अनुसार मेरी फेसबुक वॉल पर या इंस्टाग्राम पर अमेज़ॉन के ऐड आते हैं. घर में किसी चीज़ को लाने की प्लानिंग चलती है तो उसी के अनुसार मेरे मोबाइल पर विज्ञापन आने लगते हैं. किसी फ़ोटो में अगर हमारे जूते या कपड़े गंदे या फटे हुए नज़र आते हैं तो हमें कपड़ों और जूतों के विज्ञापन दिखाई देने लगते हैं. यदि हमारी किसी पोस्ट पर कोई नकारात्मक कमेंट आते हैं हमारे लुक या हमारे पहनावे को लेकर तो उसे सही करने के विज्ञापन हमारे स्क्रीन पर आने लगते हैं. जैसे कोई मित्र आपके बालों के झड़ने के बारे में कमेंट करें या आपके मोटापे पर कोई कमेंट करें और बदले में आप भी उस पर कमेंट करें तो आपको थोड़ी देर बाद हेयर ट्रांसप्लांट, विग, शैम्पू के या मोटापा कम करने के उत्पादों के विज्ञापन आने लगते हैं.


क्या-क्या बदल सकता है आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस?

इसमें कोई दो राय नहीं है है कि आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस हमारी ज़रूरतों को और हमारे मन को काफ़ी हद तक समझ चुका है. हमें क्या पसंद हैं और क्या नापसंद, हम कैसे वीडियो देखना पसंद करते हैं और कौन से वीडियो हमारे अंदर खीझ पैदा करते हैं, हम किस नेता को पसंद करते हैं और किसको नापसंद, हम किस विचारधारा के पैरोकार हैं और किस विचारधारा को क़दमों के नीचे मसल देना चाहते हैं, हम किसके जैसा बनना चाहते हैं और हम क्या नहीं बनना चाहते... यह सब आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस जान चुका है.

आने वाले समय में आप स्वयं के फिंच को एक ऐप में डालेंगे और वह आपके लिए आपकी एक फ़िल्म बना कर देगा. एक ऐसी फ़िल्म जिसमें आप हीरो होंगे, एक महिला जिसे आप पसंद करते हैं वह हीरोइन होगी, एक व्यक्ति जिसे आप नापसंद करते हैं या जो आपके जीवन में बाधाएं उत्पन्न कर रहा है वह विलन होगा. और शुरू होगी आपकी अपनी फ़िल्म. आभासी दुनिया का आपका अपना जीवन. आपकी अपनी दुनिया. एक ऐसी दुनिया जिसके ख़ुदा आप होंगे. आप जैसा चाहेंगे वैसा होगा, आप जो करना चाहेंगे वह कर पाएंगे. आपकी फ़िल्मों की कहानी क्या होगी यह आप ही तय करेंगे या हो सकता है कि आप उसके लिए एक बेहतरीन स्क्रिप्ट राइटर को हायर करें. यह सब कब से होगा यह तो भविष्य में ही पता चलेगा लेकिन यह सब जल्द होने वाला है. हो सकता है यह लेख पढ़ते ही कोई नवाचारी आज ही इसपर काम शुरू कर दें.

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