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ब्रेन फंक्‍शन को बेहतर करने में तनाव फायदेमंद

Ritisha Jaiswal
2 Aug 2022 8:23 AM GMT
ब्रेन फंक्‍शन को बेहतर करने में तनाव फायदेमंद
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हम हमेशा से सुनते आए हैं कि तनाव हमारे मानसिक सेहत के लिए अच्‍छा नहीं होता ,

हम हमेशा से सुनते आए हैं कि तनाव हमारे मानसिक सेहत के लिए अच्‍छा नहीं होता. यही नहीं, तनाव हमारे सेहत को हर तरह से नुकसान पहुंचाता है, लेकिन एक नए शोध में इस बात की पुष्टि की गई है कि दिमाग के काम करने की क्षमता को बेहतर बनाने में तनाव का अहम योगदान होता है.न्‍यूरो साइंसन्यूजमें छपे एक खबर के मुताबिक, युनिवर्सिटी ऑफ जॉर्जिया के युवा विकास संस्थान के शोधकर्ताओं ने पाया है कि दरअसल, लो टू मॉडरेट लेवल का स्‍ट्रेस, मानसिक बीमारियों के खतरे को कम करने में सहायक होता है. शोध के मुताबिक, भले ही तनाव की वजह से आपका सिर भारी लगे या आप थकान महसूस करें, लेकिन छोटे-छोटे डेडलाइन स्‍ट्रेस आपके दिमाग के लिए काफी फायदेमंद साबित होते हैं. हालांकि, यह भी पाया गया है कि अधिक तनाव मानसिक सेहत को प्रभावित कर सकता है.

शोधकर्ताओं ने क्‍या पाया
नए शोध में पाया गया कि कम या उससे थोड़ा अधिक स्‍तर का तनाव मानसिक लचीलापन बढ़ाता है और मानसिक विकारों की संभावना को कम करता है. यह डिप्रेशन और एंटी सोशल बिहेवियर जैसी समस्‍याओं को भी कम करने में मदद कर सकता है. यह कौशल विकास और पर्सनल डेवलपमेंट में प्रभावशाली तरीके से इंप्रूवमेंट लाता है.
शोधकर्ताओं का क्‍या है कहना
इस शोध के प्रमुख लेखक और कॉलेज ऑफ फैमिली एंड कंज्यूमर साइंसेज में एसोसिएट प्रोफेसर असफ ओश्री (Assaf Oshri) का कहना है कि जब आप ऐसे माहौल में होते हैं, जहां आपको हर दिन कुछ लेवल का स्‍ट्रेस झेलना होता है. ये स्‍ट्रेस आपके दिमाग को विकसित करने में मदद करता है और आपको एक कुशल और प्रभावी कर्मचारी या एम्‍प्‍लॉई बनने में मदद करता है. यही नहीं, यह आपके प्रदर्शन को भी बेहतर करने में काफी फायदा पहुंचाता है.
उदाहरण के तौर पर
जब आप किसी परीक्षा के लिए तैयारी करते हैं तो ऐसे में हल्‍का तनाव होना आपके लिए फायदेमंद होता है. ये तनाव आपके परफॉर्मेंस को बढ़ाने में काफी मदद करता है. उसी तरह, ऑफिस में किसी लंबी और ज़रूरी मीटिंग की तैयारियों को लेकर तनाव होना और पहले से किया जाने वाला प्रिपरेशन आपके पर्सनल ग्रोथ को पहले से कहीं अधिक बढ़ाने में मदद कर सकता है. इसके अलावा, जब किसी लेखक की लेखनी प्रकाशक रिजेक्‍ट कर देता है तो लेखक निश्चित रूप से तनाव झेलता है, लेकिन ये तनाव उसे अधिक मेहनत करने में मदद करता है और इसका असर उसके अगले राइटिंग में नजर आता है.
अधिक तनाव खतरनाक
प्रोफेसर असफ ओश्री का कहना है कि ऐसे तनाव हमें स्‍ट्रॉन्‍ग बनाने में मदद करते हैं, लेकिन तनाव झेलने की क्षमता लोगों की उम्र, परिस्थिति, परिवेश, जेनेटिक लेवल आदि पर भी निर्भर करता है. प्रोफेसर ओश्री के मुताबिक, अगर अधिक दिनों तक तनाव बढ़ता रहा तो यह हमारे मानसिक और शारीरिक सेहत को डायरेक्‍ट नुकसान पहुंचा सकता है. मसलन, गरीबी, मानसिक प्रताड़ना जैसे क्रोनिक स्‍ट्रेस इंसान की इम्‍यून सिस्‍टम से लेकर, इमोशन रेगुलेशन और ब्रेन फंक्‍शन को भी प्रभावित कर सकते हैं.


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