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लाइफ स्टाइल
नी रीप्लेसमेंट सर्जरी की मदद से ऑस्टियोआर्थराइटिस के दर्द को कहें अलविदा
Kajal Dubey
27 July 2023 5:05 PM GMT
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उम्र बढ़ने के साथ हड्डियों की परेशानी आम है. बड़ी उम्र के लोगों में हड्डियों की प्रमुख समस्या में ऑस्टियोआर्थराइटिस आम है. ऑस्टियोआर्थराइटिस मुख्यतः जोड़ों की हड्डियों के बीच रहने वाली कुशनिंग कार्टिलेजेस के टूटने से होता है. इन कुशनिंग कार्टिलेजेस के नष्ट होने से, मूवमेंट के वक़्त जोड़ों की हड्डियां एक-दूसरे से टकराने लगती हैं. जब हड्डियां आपस में घिसने लगती हैं, तो दर्द, सूजन और जकड़न हो जाती है, जिससे दैनिक गतिविधियों पर असर पड़ता है. डॉ मितेन शाह, चीफ़ सर्जन और डायरेक्टर, द नी क्लीनिक, एसीआई कुम्बाला हिल हॉस्पिटल, मुंबई बता रहे हैं ऑस्टयोआर्थराइटिस की समस्या को कैसे दूर रखा जा सकता है. साथ ही उन्होंने रोबोटिक नी रीप्लेसमेंट के बारे में भी जानकारी दी.
ऑस्टियोआर्थराइटिस को कैसे दूर रख सकते हैं?
यूं तो ऑस्टियोआर्थराइटिस का कोई पूर्ण उपचार संभव नहीं है, परंतु अनेक इसका दर्द कम करने और जकड़न को रोकने के तरीक़े ज़रूर मौजूद हैं. यदि ऑस्टियोआर्थराइटिस की समस्या जोड़ों में गंभीर दर्द का कारण बन जाए, तो पार्शियल नी रीप्लेसमेंट (पीकेआर) और टोटल नी रीप्लेसमेंट (टीकेआर) इन दो विकल्पों के बारे में सोचा जाता है.
जिन मरीज़ों में ऑस्टियोआर्थराइटिस शुरुआती स्टेज में होता है, या मिड स्टेज में, उन मामलों में पार्शियल नी रीप्लेसमेंट की सलाह दी जाती है. पार्शिलयल नी रीप्लेसमेंट में घुटने के केवल प्रभावित अंग को काट कर नए इम्प्लान्ट्स लगा दिए जाते हैं, मरीज़ को दर्द से राहत मिल जाती है. वहीं टोटल नी रीप्लेसमेंट उन मामलों में किया जाता है, जिनमें पूरा घुटना प्रभावित हो चुका होता है. टोटल नी रीप्लेसमेंट से एड्वांस्ड स्टेज के मरीज़ों को दर्द से लगभग पूरी मुक्ति मिल जाती है.
नी रीप्लेसमेंट सर्जरी के क्षेत्र में एक अच्छी ख़बर है, नैवियो-कोरी रोबोटिक सर्जरी प्लैटफ़ॉर्म (स्मिथ ऐंड नेफ्यू, यूके) नी रीप्लेसमेंट सर्जरी में इस सदी की बेहतरीन उपलब्धि है. रोबोटिक नी रीप्लेसमेंट में रिकवरी तेज़ होती है, मरीज़ को आराम जल्दी मिलता है और लंबे समय तक बना रहता है.
कैसे की जाती है नी रीप्लेसमेंट सर्जरी?
नी रीप्लेसमेंट सर्जरी के तीन स्टेजेस होते हैं.
1. घुटने के प्रभावित हिस्से के ऊपर की त्वचा और कोमल ऊतकों (टिशूज़) को काट दिया जाता है. अंतर्निहित हड्डी की सतह तक पहुंचने के लिए मांसपेशियों को हटाया जाता है.
2. फ़ीमर बोन (जांघ की हड्डी) और टीबिया (पिंडली की हड्डी) में से क्षतिग्रस्त कार्टिलेज कोटिंग को मैन्युअली या रोबोट की सहायता से हटा दिया जाता है.
3. फ़ीमर और टीबिया पर से हटाए गए कार्टिलेज कोटिंग और हड्डी को धातु के घटक (मेटैलिक कम्पोनेंट) लगाए जाते हैं.
इन तीनों स्टेजेस में दूसरा स्टेज बेहद महत्वपूर्ण होता है. इसमें डॉक्टर पारंपरिक शल्यचिकित्सक उपकरणों के साथ सर्जरी करते हैं या यह कम्प्यूटर की मदद प्लान की जाती है और पारंपरिक तरीक़े से सर्जरी की जाती है या नैवियो-कोरी रोबोटिक प्लैटफ़ॉर्म में पूरी सर्जरी रोबोटिक मदद से की जाती है, जिसे सामान्य भाषा में रोबाटिक नी-रीप्लेसमेंट सर्जरी कहा जाता है. आजकल रोबाटिक नी-रीप्लेसमेंट सर्जरी की सलाह इसलिए भी दी जाती है, क्योंकि सटीक आकलन के चलते इसमें टिशूज़ की क्षति कम होती है.
आप अपने डॉक्टर की सलाह से नी रीप्लेसमेंट की इनमें से कोई भी तकनीक का चुनाव कर सकते हैं. अच्छी बात यह है कि आजकल ज़्यादातर नी रीप्लेसमेंट सर्जरी सक्सेसफ़ुल होती हैं. यानी आप ऑस्टियोआर्थराइटिस के दर्द को अलविदा कह सकते हैं.
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