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बुढ़ापे में नहीं सताएंगी जोड़ों के दर्द और यूरिन लीकेज जैसी समस्याएं, जब इन बातों का रखेंगे ध्यान
उम्र बढ़ने के साथ सेहत और काम करने में छोटी-मोटी परेशानियां आना स्वाभाविक है, लेकिन थोड़ी सजगता अपनाते हुए इस प्रक्रिया की रफ्तार को काफी हद तक धीमा किया जा सकता है। बढ़ती उम्र के साथ शरीर के ज्यादातर अंगों की कार्यक्षमता घटने लगती है जिसके लिए लोग दवाओं का सेवन करते हैं। जिसकी वजह से कई बार डाइजेशन बिगड़ने लगता है, तो कभी मोटापा बढ़ने लगता है। तो इन समस्याओं से बचे रहने के लिए दवाओं के अलावा और क्या ऑप्शन्स हो सकते हैं, जानेंगे इसके बारे में।
1. ऑस्टियोपोरोसिस और अर्थराइटिस
बढ़ती उम्र के साथ हड्डियों से कैल्शियम का रिसाव शुरू हो जाता है क्योंकि फिजिकल एक्टिविटीज के लिए ब्लड को भी कैल्शियम की जरूरत होती है, लेकिन उम्र बढ़ने के साथ जब खून में कैल्शियम का स्तर घटने लगता है तो इस कमी की भरपाई के लिए हड्डियां ब्लड को कैल्शियम भेजना शुरू कर देती है और इस वजह से वे इतनी कमजोर हो जाती है कि मामूली सी चोट लगने पर भी टूट जाती है। ऐसी शारीरिक दशा को ऑस्टियोपोरोसिस कहा जाता है। वैसे तो यह समस्या किसी को भी हो सकती है पर मेनोपॉज के बाद स्त्रियों के शरीर में कैल्शियम की कमी होने लगती है और इसी वजह से उनके हाथ-पैर और कमर में दर्द रहता है। इसी तरह जोड़ों के बीच मौजूद जेलनुमा चिपचिपा पदार्थ उन्हें सुरक्षा प्रदान करता है, लेकिन उम्र बढ़ने के साथ यह सूखने लगता है। इससे जोड़ों में दर्द, उठने-बैठने में तकलीफ और चलते समय हड्डियां चटखने की आवाज सुनाई देती है।
क्या करें
अपनी डाइट में कैल्शियम युक्त पदार्थों खासतौर पर दूध, दही और पनीर जैसे मिल्क प्रोडक्ट्स की मात्रा बढ़ाएं। अगर कोई भी लक्षण नजर आए तो बिना देर किए डॉक्टर से सलाह लें।
2. बीपीएच
बीपीएच यानी बिनाइन प्रोस्टेटिक हाइपरप्लेसिया एक ऐसी शारीरिक अवस्था है, जिसमें कुछ बुजुर्ग पुरुषों के प्रोस्टेट ग्लैंड का आकार बढ़ने लगता है। इससे उनके यूरिनरी सिस्टम पर दबाव बढ़ने लगता है और उन्हें बार-बार टॉयलेट जाने की जरूरत महसूस होती है। यूरिन डिस्चार्ज के समय दर्द और यूरिन के साथ ब्लड आना इस समस्या के प्रमुख लक्षण हैं।
क्या करें
चूंकि यह बढ़ती उम्र से जुड़ी समस्या है इसलिए पहले से इसके बचाव का कोई उपाय नहीं होता। हां, जैसे ही कोई लक्षण नजर आए तो बिना देर किए डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए। शुरुआती दौर में इसे दवाओं के जरिए नियंत्रित किया जा सकता है। अगर समस्या ज्यादा बढ़ जाए तो लेजर तकनीक द्वारा इसका उपचार संभव है।
3. यूरिनरी इन्कॉटिनेंस
उम्र बढ़ने के साथ स्त्रियों के यूरिनरी ट्रैक्ट की मांसपेशियां ढीली पड़ जाती हैं। ऐसे में उनके लिए यूरिन का प्रेशर झेलना मुश्किल हो जाता है इसलिए बार-बार टॉयलेट जाना या वॉशरूम जाते समय या छींकते-खांसते समय यूरिन डिस्चार्ज हो जाना आदि इसके प्रमुख लक्षण हैं।
क्या करें
फिटनेस एक्सपर्ट से सीखकर कीगल एक्सरसाइज करें, इससे पेल्विक एरिया की मांसपेशियां मजूबत होती हैं जो ऐसी समस्या से बचाव में मददगार होती हैं।