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यह तकिया-कलाम अब पुराना पड़ चुका है कि शादियां स्वर्ग में तय होती हैं! अब तो लोग शादियों में स्वर्ग को धरती पर उतार लाने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ना चाहते. लोगों की इस अभिलाषा के चलते विवाह उद्योग में तरह-तरह के करियर विकल्प परफ़ेक्ट मैच बनकर उभर रहे हैं.
भारतीय शादियों की सबसे ख़ास बात है कि अमीर-ग़रीब हर कोई रिटर्न की चिंता किए बिना दिल खोल कर ख़र्च करना चाहता है. लगभग तीन दशक पहले तक भारत में आम परिवारों में शादी-ब्याह का मामला बड़ा निजी होता था. पंडित जी ने कुंडली मिलाई, ग्रहों की नब्ज़ टटोली और शादी-ब्याह का मुहूर्त तय कर दिया. न्यौता बांटने, लिपाई-पुताई, रंगना-महावर, नख-बाल कटाई का जिम्मा नाऊ-नाईन के हवाले, भोजन-भंडार हलवाई के हवाले, कुल्हड़-पानी कुंभार के ज़िम्मे. बजनियों ने बैंड को टेर दी, बाराती द्वार पर आए, ब्याह हुआ, विदाई हुई और सब अपने-अपने काम पर लग गए. अब ऐसा नहीं होता. अब तो मैच-मेकर्स की हरी झंडी मिलने के बाद शादी की सारी तैयारी का ज़िम्मा किसी वेडिंग प्लैनर को सौंप दिया जाता है. वेडिंग प्लैनर दर्ज़नों अलग-अलग हुनरमंद लोगों की सेवाएं लेता है, तब जाकर कहीं एक भव्य शादी का ताम-झाम रंग जमा पाता है. इन शादियों पर पांच लाख रुपए से लेकर पांच करोड़ रुपए तक ख़र्च किए जाते हैं. यही वजह है कि भारत में विवाह उद्योग का कारोबार सालाना एक लाख करोड़ रुपए की दहलीज़ को लांघने के बाद भी हर साल 30 प्रतिशत की दर से उछाल भर रहा है. आज देश में हर साल लगभग एक करोड़ शादियां होती हैं, और लगभग 20 करोड़ लोग वेडिंग इंडस्ट्री में तरह-तरह के पेशे से जुड़े हैं.
मैच-मेकर्स
मैच-मेकर्स का काम है ज़रूरी जांच-पड़ताल कर वर-वधू की जोड़ी मिलाना. समाज विज्ञान, मनोविज्ञान या इवेंट मैनेजमेंट की शिक्षा के साथ-साथ व्यवहार-कुशल मैच-मेकर्स के लिए वेडिंग कंपनियां या मैरिज सेंटर्स लाखों रुपए का वेतन देने के लिए तैयार रहती हैं. मुंबई के जुहू में स्थित सायकोरियन सेंटर के जनसंपर्क अधिकारी डॉ आर तालुकदार ने बताया,“न्यूक्लियर परिवारों में रह रहे लोग अब शादी के लिए जोड़ा तलाशने से लेकर शादी निपटाने तक की सारी ज़िम्मेदारी किसी वेडिंग कंपनी को सौंप देते हैं. इस काम के लिए वेडिंग कंपनियां अपने यहां तरह-तरह के पेशेवरों को नियुक्त करती हैं.” जिस व्यक्ति का सामाजिक संपर्क बेहतर हो, प्रसार माध्यमों की समझ हो वह आसानी से बेहतर मैच-मेकर बन सकता है.
वेडिंग आर्किटेक्ट या वेडिंग प्लैनर
वेडिंग आर्किटेक्ट या वेडिंग प्लैनर का काम होता है क्लाइंट के बजट के हिसाब से बेहतरीन शादी समारोह का आयोजन करना. अच्छे वेडिंग प्लैनर को इसके लिए फ़ीस के तौर पर कुल बजट की लगभग 10 प्रतिशत रक़म मिलती है. वेडिंग प्लैनर बनने के लिए इवेंट मैनेजमेंट में डिप्लोमा, बैचलर या मास्टर डिग्री होना महत्वपूर्ण होता है, लेकिन सबसे ज़रूरी होता है उसका व्यवहार-कुशल होना. वेडिंग प्लैनर का काम काफ़ी व्यापक और ज़िम्मेदारी भरा होता है. विवाह स्थल, पार्टी की थीम तय करना, डेकोरेशन की व्यवस्था, वेंडर्स से तालमेल, कैटरर, डीजे या बैंड की व्यवस्था करना इनके ज़िम्मे होता है. एक उम्दा वेडिंग प्लैनर को इस बात का ध्यान रखना होता है कि विवाह समारोह किसी कॉर्पोरेट कार्यक्रम से अलग होता है. यहां हर बात भावनाओं से जुड़ी होती है. घराती और बाराती की भावनाएं किसी तरह आहत न होने जाएं, यही सबसे बड़ी योग्यता होती है.
इवेंट ऑर्गेनाइज़र
इंडिपेंडेंट पब्लिसिटी सर्विसेज़ के निदेशक ईश्वरपाल सिंह कहते हैं,“विवाह समारोह में सबसे अहम् भूमिका इवेंट ऑर्गेनाइज़र की होती है. मथुरा या वाराणसी जैसे धार्मिक स्थलों पर रहनेवाले किसी परंपरावादी परिवार के एनआरआई बेटे की शादी गोवा में किसी बीच रिसॉर्ट में आयोजित करनी हो, तो परंपरा और आधुनिकता का मेल बनाए रखना ज़रूरी होता है. आजकल देश में गोवा, जयपुर, उदयपुर, तो विदेश में सिंगापुर, दुबई और बाली में भारतीय शादियों का आयोजन चलन में है.” अपनी-अपनी पसंद के हिसाब से लोग किसी हवेली, महल, क़िले, किसी विला के लॉन, फ़ार्महाउस, बीच रिसॉर्ट, आलीशान क्लबों या किसी मंदिर में शादी को प्राथमिकता देते हैं. ऐसी स्थिति में हाथी, घोड़े, पालकी की परंपरा के साथ मीका सिंह या सुखविंदर की संगीत-संध्या या फ़िल्मी सितारों का प्रदर्शन जोड़ दिया जाए, तो सभी को आनंद मिलता है. विवाह स्थल के अनुरूप आयोजन में माहिर इवेंट मैनेजर की हर वेडिंग कंपनी को तलाश रहती है. इवेंट मैनेजर को वेतन के अलावा अच्छा-ख़ासा कमीशन भी मिलता है.
डेस्टिनेशन मैनेजर
डेस्टिनेशन मैनेजर या प्लैनर स्वतंत्र रूप से या फिर वेडिंग प्लैनर के साथ मिलकर काम करते हैं. टूरिज़्म का ज्ञान रखनेवाले लोग डेस्टिनेशन प्लैनर के तौर पर आसानी से काम कर सकते हैं. मौसम के मिज़ाज को देखते हुए नवविवाहितों के लिए हनीमून स्थल का चयन करना, शादियों के लिए बेहतर ठिकाने की तलाश करना, होटल-रिसॉर्ट की एड्वांस बुकिंग करना डेस्टिनेशन प्लैनर के काम का हिस्सा होता है.
वेडिंग फ़ोटोग्राफ़र
हर विवाह समारोह में वेडिंग फ़ोटोग्राफ़र और वीडियो एडिटर की ज़रूरत पड़ती है. कैंडिड फ़ोटोग्राफ़ी के शुरुआती दौर में सहायक फ़ोटोग्राफ़र को भी एक कार्यक्रम के लिए डेढ़-दो हज़ार रुपए आसानी से मिल जाते हैं. प्रोफ़ेशनल वेडिंग फ़ोटोग्राफ़र तो एक कार्यक्रम का लाख से डेढ़ लाख रुपए तक चार्ज कर रहे हैं. वेडिंग फ़ोटोग्राफ़र बनने के लिए फ़ोटोग्राफ़ी का कोर्स करना ज़रूरी होता है. इसके अलावा आजकल बाज़ार में आनेवाली नए चलन के साथ अपडेटेड भी रहना होता है. आजकल शादियों में टीज़र बनाने का भी चलन है, जो काम प्रोफ़ेशनल फ़ोटोग्राफ़र्स ही कर रहे हैं.
फ़ैशन एस्ट्रोलॉजर
शादियों में वर-वधू की पोशाक का निर्धारण फ़ैशन एस्ट्रोलॉजर करने लगे हैं. कपड़ों के रंग, डिज़ाइन और फ़ैब्रिक का चयन ज्योतिष ज्ञान के सहारे किया जाने लगा है. राशियों और कुंडलियों के हिसाब से पोशाकें डिज़ाइन की जाने लगी हैं. फ़ैशन एस्ट्रोलॉजर के लिए फ़ैशन और ज्योतिष का ज्ञान ज़रूरी होता है.
ब्राइडल ज्वेलरी डिज़ाइनर
शादियों में डिज़ाइनर गहनों का चलन बढ़ा है. हार जोधाबाई-सा, तो कर्णफूल पद्मावती-सा हो, करधनी बिल्कुल वैसी जैसी रेखा ने उत्सव में पहनी है और नकफूल बिल्कुल वैसा जैसा हेमामालिनी ने रज़िया सुल्तान में पहना है! इस तरह की फ़रमाइशों के बीच वेडिंग ज्वेलरी डिज़ाइनर की मांग लगातार बनी हुई है. भारत में गोल्ड और डायमंड ज्वेलरी का मार्केट लगभग 60 हज़ार करोड़ रुपए का और ड्यूरेबल गोल्ड का मार्केट लगभग 30 हज़ार करोड़ रुपए का है. अनुमान है कि हर साल वेडिंग सीज़न में लगभग 400 टन सोने की खपत होती है. ऐसे में ब्राइडल ज्वेलरी डिज़ाइनर का करियर बेशक़ शानदार बना रहेगा.
ब्राइडल मेहंदी आर्टिस्ट
मेहंदी का हमारे देश में बड़ा सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व है. ऐसी मान्यता है कि मेहंदी का रंग जितना गाढ़ा निखरता है, दांपत्य जीवन उतना मज़बूत होता है. आज आलम यह है कि शादियों में एक दिन मेहंदी सेरेमनी के नाम होता है. भारत में ब्राइडल मेहंदी का बाज़ार लगभग पांच हज़ार करोड़ रुपए का है. अच्छे मेहंदी आर्टिस्ट को एक वेडिंग सेरेमनी में आसानी से 25-30 हज़ार रुपए की कमाई हो जाती है.
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