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पीसीओएस से जुड़े वे मिथक जिन्हें इस महिला दिवस दूर किया जा सकता है

Kajal Dubey
28 April 2023 12:19 PM GMT
पीसीओएस से जुड़े वे मिथक जिन्हें इस महिला दिवस दूर किया जा सकता है
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जैसा कि हम महिला दिवस मनाने वाले हैं, आइए अपनी चर्चा को केवल कार्यस्थलों में महिला सशक्तिकरण करने तक ही सीमित न रखें. इसके बजाय क्यों न हम ‘महिलाओं’ की हर बात पर बात करें? आइए हम उन विषयों पर चर्चा करें जो महिलाओं के लिए बेहद अंतरंग और प्रासंगिक हैं. ऐसा करने से न केवल यह सुनिश्चित होगा कि महिलाओं को कार्यस्थलों पर बेहतर ढंग से समझा जाएं, बल्कि आमतौर पर उनकी अच्छी सेहत का मार्ग भी प्रशस्त होगा.
इस संदर्भ में, पीसीओएस या पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम, जिसका महिला के हार्मोन के स्तर पर प्रभाव पड़ता है, कुछ ऐसा है जिस पर चर्चा की जानी चाहिए. समझने के लिए, पीसीओएस ऐसी मेडिकल कंडिशन है, जिसमें महिलाओं में पुरुष हार्मोन सामान्य की तुलना में अधिक पैदा होता है. नतीजतन, इसकी वजह से मासिक धर्म में अनियमितता, बालों के अत्यधिक ग्रोथ, मोटापा और मुंहासे जैसी समस्याएं पैदा होती हैं. पीसीओएस से जुड़े बहुत सारे मिथक हैं और हमारा मानना है कि हमें इन पर पड़ी धूल को साफ़ करना चाहिए. इस पीसीओएस से जुड़े आम मिथकों के बारे में हमें बताया जानी-मानी रिसर्च और न्यूट्रिशन बेस्ड हेल्थ केयर कंपनी पॉसिबल की चीफ़ न्यूट्रिशनिस्ट सुहासिनी मुद्रागनम ने.
पीसीओएस मोटापे की बीमारी है, पतले लोगों को पीसीओएस नहीं होगा
ज़्यादातर मामलों में, पीसीओएस से पीड़ित महिलाएं ज्यादा वज़न की होती हैं. हालांकि, पीसीओएस दुबली महिलाओं को भी होता है. यदि बाल झड़ना, बाल पतले होना, इत्यादि जैसे लक्षण हैं, तो यह पीसीओएस का मामला हो सकता है और कम बीएमआई वाली महिला की भी जांच की जानी चाहिए.
पीसीओएस केवल युवतियों को होता है
पीसीओएस प्रजनन आयु की किसी भी महिला को हो सकता है. यह उनकी प्रजनन प्रणाली के साथ-साथ पूरी सेहत पर बुरा असर डालता है. फिर भी, यह आसानी से किशोरावस्था में दिख सकता है और प्रसव के बाद भी हो सकता है. यह मिथक कि पीसीओएस केवल युवतियों को होता है, ग़लत है.
मिथक #3: सभी में पीसीओएस के समान लक्षण देखने को मिलते हैं
पीसीओएस एक स्वास्थ्य स्थिति है जिसे अभी भी अच्छी तरह से समझा नहीं गया है. लेकिन एक बात निश्चित रूप से कही जा सकती है कि पीसीओएस से पीड़ित सभी महिलाओं में एक जैसे लक्षण नहीं होंगे. व्यक्तियों, आनुवांशिकी और पर्यावरणीय कारकों के आधार पर, लक्षण काफ़ी हद तक अलग हो सकते हैं. उचित निदान और इलाज पाने के लिए केवल एक योग्य चिकित्सक से परामर्श करना चाहिए
पीसीओएस से पीड़ित महिलाएं गर्भाधान नहीं कर पाएंगी
पीसीओएस महिलाओं में होने वाले बांझपन का सबसे आम और सबसे अधिक इलाज योग्य कारण है. इसे एक बेहतर जीवनशैली अपनाकर और नियमित व्यायाम करके भी ठीक किया जा सकता है. पीसीओएस के दौरान, ओव्यूलेशन प्रभावित हो जाता है और इससे बांझपन की समस्या होती है. उचित आहार, दवा और जीवनशैली को ठीक करके, पीसीओएस से पीड़ित महिलाएं आसानी से गर्भधारण कर सकती हैं.
पीसीओएस को मैनेज करने का सबसे अच्छा तरीक़ा मीठे से दूर हो जाना है
यह सच है कि पीसीओएस के दौरान ज़्यादा मीठा खाने से बचना चाहिए. हालांकि, सीमित तरीक़े से मीठा खाया जा सकता है. इसलिए, जब आपको मीठा खाने की बहुत इच्छा महसूस हो, तो अपने इलाज को यह सोचकर पूरी तरह से अलग न करें, कि इससे आपकी प्रगति कम हो जाएगी. मीठा चुनते समय भी समझदारी दिखाएं. मीठे की इच्छा को कम करने के लिए, डार्क चॉकलेट, ड्राई फ्रूट्स अपनाएं. ये माइक्रोन्यूटिएंट तत्वों से भरपूर और शरीर के लिए फ़ायदेमंद होते हैं.
हर तरह के पीसीओएस के लिए एक ही डाइट प्लान उपयुक्त होगा
चूंकि विभिन्न महिलाओं में हार्मोन के आधार पर अलग-अलग लक्षण दिख सकते हैं, पीसीओएस में सभी के लिए एक जैसा दृष्टिकोण नहीं होता है. पीसीओएस का डाइट प्लान प्रत्येक व्यक्ति के आधार पर अलग-अलग होगा. डाइट प्लान बनाते समय, पोषण की स्थिति, दवाएं, माहवारी की नियमितता, व्यक्तिगत पसंद और नापसंद, और खाने की चीज़ों की उपलब्धता पर विचार करना होगा. डाइट प्लान के लिए व्यक्तिगत पोषण विशेषज्ञ से परामर्श करना हमेशा सबसे अच्छा होता है.
पीसीओएस से पीड़ित महिलाओं को स्नैक्स से बचना चाहिए
यह सच नहीं है. पीसीओएस के दौरान प्रोटीन, फाइबर, विटामिन और मिनरल्स से भरपूर हेल्दी स्नैक्स आपकी डाइट का हिस्सा होना चाहिए. वे ख़ाली पेट के दर्द को कम करेंगे और ज़्यादा खाने से बचाएंगे. साथ ही, फ़ाइबर से भरपूर स्नैक्स इंसुलिन प्रतिरोध को संभालने में मदद करते हैं.
तो आइए, इस महिला दिवस, सुनिश्चित करें कि आप पीसीओएस से संबंधित मिथकों को दूर करके अपनी ज़िम्मेदारी निभाएंगी. किसे पता कि यह किस तरह से किसी को सशक्त करने का मार्ग प्रशस्त करे!
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