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ब्लड शुगर या ग्लूकोज का लेवल नॉर्मल, हाई या लो हो सकता है। आम तौर पर खाने के 8 घंटे बाद अपने ब्लड शुगर के लेवल को मापना चाहिए। हालांकि 'नॉमर्ल' शब्द का प्रयोग अक्सर उन लोगों के लिए किया जाता है, जिन्हें डायबिटीज की समस्या नहीं है, लेकिन यह तकनीकी रूप से गलत है।
ऐसा इसलिए है, क्योंकि बिना डायबिटीज वाले लोगों में भी ब्लड शुगर का लेवल बढ़ सकता है, खासकर खाने के बाद। डायबिटीज वाले लोगों को ब्लड शुगर के लेवल काे लगातार चेक करते रहना चाहिए और शुगर के लेवल को नॉर्मल बनाए रखने के लिए पर्याप्त इंसुलिन या ग्लूकोज कम करने वाली दवा लेनी चाहिए।
सामान्य दिशानिर्देशों के अनुसार, व्यक्तियों में नॉर्मल ब्लड शुगर का लेवल निम्न प्रकार होता है:
• एक स्वस्थ वयस्क (पुरुष या महिला) के लिए 8 घंटे के फास्ट के बाद सामान्य ब्लड शुगर की रेंज 70-99 mg/dl से कम होती है। एक डायबिटीज वाले व्यक्ति के लिए नॉर्मल ब्लड शुगर की रेंज 80-130 mg/dl से कहीं भी मानी जा सकती है। साथ ही एक स्वस्थ व्यक्ति में खाने के 2 घंटे बाद नॉर्मल शुगर लेवल 140 mg/dL से कम होता है और डायबिटिक व्यक्ति का नॉर्मल शुगर लेवल 180 mg/dl से कम हो सकता है।
• चूँकि ब्लड शुगर का लेवल पूरे दिन बदलता रहता है, इसलिए ऐसे परिवर्तन को प्रभावित करने वाले महत्वपूर्ण कारकों को जानना भी बेहद जरूरी है।
• हम जो भोजन करते हैं, वह हमारे ब्लड शुगर के लेवल को प्रभावित कर सकता है। उदाहरण के लिए, यदि हम रिच, हाई कार्बोहाइड्रेट या हाई कैलोरी वाले खाद्य पदार्थ खाते हैं, तो हमारे ब्लड में ग्लूकोज की मात्रा बढ़ सकती है।
• हमारे द्वारा खाए जाने वाले भोजन की मात्रा भी हमारे नॉर्मल शुगर लेवल को प्रभावित कर सकती है। इसके अलावा ज्यादा खाने से भी शुगर लेवल बढ़ सकता है।
• फिजिकल एक्टिविटी हमारे ग्लूकोज के लेवल को प्रभावित कर सकती हैं। उदाहरण के लिए, भारी और कठिन काम हमारे ब्लड शुगर के लेवल को कम कर सकता है, जबकि कुछ भी नहीं या कम फिजिकल एक्टिविटी हमारे ब्लड शुगर के लेवल को बढ़ा सकती है।
• कुछ दवाएं हमारे ब्लड शुगर के लेवल को बिगाड़ सकती हैं। इसके अलावा, हाइपोग्लाइसीमिया, डायबिटीज और लीवर रोग जैसी चिकित्सीय स्थितियां हमारे नॉर्मल शुगर के लेवल में परिवर्तन का कारण बन सकती हैं।
• शराब के सेवन से हमारी अच्छी शुगर लेवल रीडिंग भी गिर सकती है। धूम्रपान से टाइप 2 डायबिटीज हो सकता है। इस मामले में उम्र भी मायने रखती है। उम्र के साथ इंसुलिन की सहनशीलता कम हो जाती है, जिससे डायबिटीज होने की संभावना बढ़ जाती है।
• शारीरिक या मानसिक तनाव हमारे नॉर्मल ब्लड शुगर के लेवल को बढ़ा सकता है। डिहाइड्रेशन के परिणामस्वरूप लो ब्लड ग्लूकोज लेवल हो सकता है। आप डॉक्टरों के उचित मार्गदर्शन के साथ अपनी स्वस्थ जीवनशैली के माध्यम से इनमें से अधिकांश समस्याओं को हल कर सकते हैं।
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