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स्ट्रेच मार्क्स से छुटकारा पाने के प्राकृतिक घरेलू नुस्ख़े

Kajal Dubey
28 April 2023 5:27 PM GMT
स्ट्रेच मार्क्स से छुटकारा पाने के प्राकृतिक घरेलू नुस्ख़े
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स्ट्रेच मार्क्स के कारण
स्ट्रेच मार्क्स के प्रकार
स्ट्रेच मार्क्स से छुटकारा पाने के घरेलू नुस्ख़े
स्ट्रेच मार्क्स से छुटकारा पाने की डायट
स्ट्रेच मार्क्स सवाल-जवाब
महिलाओं और पुरुषों दोनों को परेशान करनेवाले स्ट्रेच मार्क्स बेहद ज़िद्दी होते हैं. वे होते तो हमारे शरीर पर, सीधे हमारे आत्मविश्वास पर हमला करते हैं. उनके आने का चाहे जो भी कारण हो, जैसे-प्रेग्नेंसी या अचानक वज़न बढ़ना, पर इसके निशान कमर, जांघों, पीठ के निचले हिस्से, पेट के निचले हिस्से, नितंबों, बांहों और महिलाओं के केसेस में ब्रेस्ट पर भी रह जाते हैं.
आमतौर पर स्ट्रेच मार्क्स त्वचा पर समानांतर रेखाओं के बैंड की तरह होते हैं. इन रेखाओं का रंग, टेक्स्चर हमारी त्वचा की ओरिजिनल रंगत से अलग होता है. स्ट्रेच मार्क्स का रंग पर्पल से लेकर ब्राइट पिंक और लाइट ग्रे तक हो सकता है. स्ट्रेच मार्क्स तब आते हैं, जब त्वचा के डर्मल लेयर में अचानक खिंचाव आता है. यही कारण है कि महिलाओं को प्रेग्नेंसी स्ट्रेच मार्क्स का सौगात दे जाती है. त्वचा के डर्मिस में मज़बूत और आपस में जुड़े हुए फ़ाइबर्स होते हैं, जो शरीर की वृद्धि के साथ खिंचाते हैं. जब अचानक वज़न बढ़ जाता है, तब त्वचा में कुछ ज़्यादा ही खिंचाव हो जाता है, जिससे ये फ़ाइबर्स टूट जाते हैं और परिणाम स्ट्रेच मार्क्स के रूप में सामने आता है. जब डर्मिस टूटता है, तब त्वचा के नीचे स्थित ब्लड वेसल्स शुरू-शुरू में इन स्ट्रेच मार्क्स को लाल या पर्पल रंग दे देते हैं. आगे चलकर जब ये ब्लड वेस्लस छोटे होते जाते हैं, तब आपकी त्वचा के नीचे स्थित पेल कलर का फ़ैट दिखना शुरू हो जाता है, जिसके कारण स्ट्रेच मार्क्स का कलर सिल्वरी ग्रे हो जाता है. हालांकि इन स्ट्रेच मार्क्स से छुटकारा पाना टेढ़ी खीर है, पर कुछ प्राकृतिक घरेलू नुस्खों को आज़माकर आप इन्हें हल्का दिखा सकते हैं.
स्ट्रेच मार्क्स के प्राकृतिक घरेलू नुस्ख़े
नई दिल्ली की कंसल्टेंट डर्मैटोलॉजिस्ट और डर्मैटोसर्जन डॉ पूजा चोपड़ा कहती हैं,‘‘स्ट्रेच मार्क्स लाल हुई त्वचा का बैंड है, जो आगे चलकर सफ़ेद, स्मूद और शाइनी हो जाती है. प्रेग्नेंसी के दौरान पेट पर और स्तनपान कराने के बाद ब्रेस्ट्स से स्ट्रेच मार्क्स देखे जा सकते हैं. इसके अलावा अचानक वेट या मसल मास गेन करनेवालों (बॉडी बिल्डर्स और वेट लिफ़्टर्स) में भी यह आम है. वे जांघों, नितंबों, घुटनों, कुंहनी के आसपास देखे जा सकते हैं. इसके लिए कुशिंग्स सिंड्रोम जैसे कुछ मेडिकल कंडिशन्स भी ज़िम्मेदार हैं.
क्या हैं स्ट्रेच मार्क्स के कारण
प्रेग्नेंसी के दौरान आते हैं स्ट्रेच मार्क्स
ज़्यादार महिलाओं की त्वचा पर प्रेग्नेंसी के दौरान स्ट्रेच मार्क्स दिखते हैं. प्रेग्नेंसी के दौरान महिला के पेट की त्वचा के फ़ाइबर बेहद सॉफ़्ट हो जाते हैं और फैलते हैं, ताकि पेट में बच्चे के लिए जगह बन सके. जैसे-जैसे बेबी का ग्रोथ होना शुरू होता है, त्वचा में आ रहे लगातार खिंचाव के चलते मां के पेट, जांघों और ब्रेस्ट्स पर स्ट्रेच मार्क्स दिखने शुरू हो जाते हैं.
किशोरावस्था भी है स्ट्रेच मार्क्स के लिए ज़िम्मेदार
किशोरावस्था के दौरान बच्चों का शारीरिक विकास बड़ी ही तेज़ी से होता है. उनका या तो तेज़ी से वज़न बढ़ता है या कम होता है. त्वचा में आनेवाले इस अचानक खिंचाव या सिकुड़न के चलते उनके नितंबों, जांघों और लड़कियों के केसेस में ब्रेस्ट्स पर स्ट्रेच मार्क्स आते हैं.
वज़न बढ़ने के साथ है स्ट्रेच मार्क्स का गहरा नाता
अगर किसी का अचानक वज़न बढ़ता है तो इस बात की संभावना बढ़ जाती है कि उसे स्ट्रेच मार्क्स आएंगे. ऐसा त्वचा के अचानक खिंचाव के चलते होता है. यदि आप डायट पर हैं और आपका वज़न तेज़ी से कम हो रहा है तो भी आपकी त्वचा पर स्ट्रेच मार्क्स आ सकते हैं. इसीलिए वज़न बढ़ाना हो या घटाना, धीरे-धीरे किया जाना चाहिए, इससे त्वचा पर अचानक प्रेशर नहीं आता.
कुछ दवाइयों, क्रीम्स और लोशन भी देते हैं स्ट्रेच मार्क्स
कॉर्टिकोस्टेरॉइड क्रीम्स, लोशन या पिल्स, जिनका इस्तेमाल कुछ तरह के त्वचा संबंधी विकारों को दूर करने के लिए किया जाता है, वे भी स्ट्रे मार्क्स दे सकते हैं, क्योंकि इनके इस्तेमाल से त्वचा का कोलैजन स्तर काफ़ी नीचे आ जाता है. कोलैजन का स्तर नीचे आने पर त्वचा के प्राकृतिक खिंचाव और लचक में कमी आती है, जिसके चलते स्ट्रेच मार्क्स आते हैं.
आनुवांशिक कारण
अगर आपके माता-पिता में से किसी को स्ट्रेच मार्क्स की समस्या है तो इस बात की काफ़ी संभावना है कि आपको भी इस समस्या से दो-चार होना पड़ सकता है.
कुछ तरह की मेडिकल कंडिशन
कुछ दुर्लभ मेडिकल कंडिशन्स यानी बीमारियां हैं-कुशिंग्स सिंड्रोम, मारफ़ान्स सिंड्रोम, एलर्स-डैनलोस और कुछ ऐड्रिनल ग्लैंड डिस्ऑर्डर… जिनके चलते त्वचा पर स्ट्रेच मार्क्स आते हैं. कुशनिंग सिंड्रोम में शरीर कॉर्टिसॉल नामक हार्मोन का कुछ ज़्यादा ही प्रोडक्शन करता है, जिसके चलते त्वचा पर स्ट्रेच मार्क्स आते हैं. मारफ़ान्स सिन्ड्रोम में कुछ जेनेटिक गड़बड़ियों के चलते शरीर की त्वचा और कनेक्टिव टिशूज़ कमज़ोर हो जाते हैं, इस वजह से इलैस्टिसिटी कम हो जाती है और स्ट्रेच मार्क्स आते हैं.
बॉडी बिल्डिंग का एक साइड इफ़ेक्ट है स्ट्रेच मार्क्स
ज़्यादातर बॉडी बिल्डर्स को स्ट्रेच मार्क्स की समस्या का सामना करना पड़ता है. उनके मसल मास में होने वाली तेज़ वृद्धि और कभी-कभी एनाबोलिक स्टेरॉइड्स के ग़लत इस्तेमाल के चलते उनके मसल की ग्रोथ कुछ ज़्यादा ही तेज़ हो जाती है. इन सबका परिणाम स्ट्रेच मार्क्स के रूप में सामने आता है.
कितने प्रकार के होते हैं स्ट्रेच मार्क्स
लाल स्ट्रेच मार्क्स
लाल रंग के स्ट्रेच मार्क्स को स्ट्रिया रूबरा भी कहा जाता है. लाल रंग के स्ट्रेच मार्क्स नए होते हैं, जिसके कारण लाल या पर्पल रंग के दिखते हैं. जब त्वचा का डर्मल लेयर खिंचाता है और ब्लड वेसल्स दिखने लगती हैं तो इस तरह के स्ट्रेच मार्क्स बनते हैं. जब स्ट्रेच मार्क्स लाल रंग के होते हैं, तब आपको उनके इर्द-गिर्द तेज़ खुजली चलती है. इस तरह के स्ट्रेच मार्क्स चूंकि नए होते हैं इसलिए उनसे छुटकारा पाना आसान होता है.
सफ़ेद स्ट्रेच मार्क्स
सफ़ेद रंग के स्ट्रेच मार्क्स को स्ट्रिया अल्बा कहा जाता है. इस तरह के स्ट्रेच मार्क्स सबसे ज़्यादा ज़िद्दी होते हैं. ये सफ़ेद या सिल्वर रंग के होते हैं. जब ब्लड वेसल्स की साइज़ कम होने लगती है तब त्वचा में बारीक़ रेखाएं आने लगती हैं, जिसके चलते त्वचा के नीचे का फ़ैट दिखने लगता है. चूंकि सफ़ेद स्ट्रेच मार्क्स काफ़ी पुराने होते हैं तो उन्हें ठीक होने में या उन्हें दूर करने में काफ़ी ज़्यादा समय लग सकता है.
डॉ चोपड़ा कहती हैं,‘‘भले ही हमारी त्वचा इलैस्टिक होती हो, पर जब उसमें ज़्यादा खिंचाव होता है तब कोलैजन के स्तर में गड़बड़ी पैदा होती है, जिससे स्ट्रेच मार्क्स आते हैं. शुरू में वे पिंक या लाल रंग के होते हैं. उस समय यदि उनपर ट्रिटिनोइन युक्त क्रीम लगाया जाए तो उन्हें हटाने में मदद मिलती है. जब वे सफ़ेद हो जाते हैं तो उन्हें दूर करने में विटामिन ई क्रीम से मदद मिल सकती है. स्ट्रेच मार्क्स को पूरी तरह हटा पाना संभव नहीं है. पर कुछ प्राकृतिक उपचार के तरीक़े हैं, जो उन्हें हल्का कर सकते हैं. अगर आप भी स्ट्रेच मार्क्स की समस्या से परेशान हैं तो अपने डर्मैटोलॉजिस्ट से संपर्क करें.’’
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