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घर में इन जगहों और चीज़ों पर जमा होती है सबसे ज्यादा धूल, ऐसे करें सफाई
असल में धूल में डस्ट माईट, डस्ट माईट का मल, बैक्टीरिया, सूक्ष्म कीड़े, एवं अन्य कण हो सकते हैं। सामान्य आंखों को न दिखने वाले ये कण आपके घर के फर्श, सोफा, और बेड आदि पर फैले होते हैं। सोफे पर बैठने जैसी सामान्य क्रिया के कारण ये कण हवा में उड़ने लगते हैं और एलर्जिक रिएक्शन कर सकते हैं। मोटे तौर से हम अपने जीवन का एक तिहाई समय अपने बिस्तर में गुजारते हैं। भारतीय तो अपने मैट्रेस को मुश्किल से ही साफ करते हैं। मैट्रेस दिखने में तो साफ लग सकता है, लेकिन इसमें लाखों डस्ट माईट हो सकते हैं, जो नींद के दौरान आपकी सेहत पर बुरा असर डाल सकते हैं। अधिकांश लोग अपने फर्श को तो नियमित तौर से साफ करते हैं, लेकिन मैट्रेस, दीवार, छत आदि नजरंदाज हो जाते हैं।
साफ-सफाई की प्रक्रिया को ज्यादा प्रभावशाली बनाने के लिए नीचे दिए गए सबसे ज्यादा उपेक्षित स्थानों को ध्यान में रखेंः
1. दीवारें
दीवारों की सफाई के बारे में हम बहुत कम सोचते हैं। जबकि दीवारों पर भी धूल जमा होती रहती है। तो इसे गीले कपड़े, क्लीनिंग वाईप्स या एडवांस्ड फिल्ट्रेशन वाले वैक्यूम क्लीनर द्वारा साफ किया जाना जरूरी है। यदि आप दीवार और छत दोनों को वैक्यूम क्लीनर से साफ कर रहे हैं, तो पहले छत को साफ करें और उसके बाद दीवारों की सफाई करें, जिससे छत की सफाई के दौरान हवा में उड़कर दीवार, फर्नीचर या फर्श पर जमने वाली धूल की भी सफाई हो जाए। ऊपर से
नीचे की ओर सफाई करने से नीचे गिरकर जमने वाली धूल भी साफ हो जाती है।
2. मैट्रेस
डस्ट माईट स्किन की सेल्स पर जीवित रहते हैं। रात में चादर से होने वाले घर्षण के कारण और ज्यादा स्किल सैल्स शरीर से झड़ जाती हैं। इसलिए मैट्रेस में डस्ट माईट्स के पनपने के लिए सबसे अनुकूल वातावरण होता है, क्योंकि वो हमारे बिस्तर जैसे गर्म, गहरे और नम स्थानों पर ही पनपते हैं। एक मैट्रेस में लाखों डस्ट माईट हो सकते हैं और हर डस्ट माईट प्रतिदिन लगभग 20 मल के टुकड़े उत्पन्न करता है, जिनमें एलर्जी करने वाला एलर्जेनिक प्रोटीन होता है। मैट्रेस के दोनों तरफ वैक्यूम क्लीनर से सफाई करने पर आपके मैट्रेस में स्किन फ्लेक्स और एलर्जेनिक पदार्थों की संख्या को कम करने में मदद मिलेगी और 140 डिग्री फॉरेनहाईट या 195 डिग्री फॉरेनहाईट पर चादरों और कंबलों को धोने से एलर्जन को तोड़ने और कम करने में मदद मिलेगी।
3. पेट बास्केट
21 प्रतिशत भारतीयों को यह नहीं मालूम कि घर की धूल में पालतू पशुओं से निकलने वाले एलर्जन भी हो सकते हैं, जो पालतू पशुओं से संबंधित एलर्जी दे सकते हैं। केवल 36 प्रतिशत लोग नियमित तौर से अपने पेट बास्केट को साफ करते हैं। मैट्रेस की तरह ही पेट बास्केट में भी डस्ट माईट हो सकते हैं, जो जानवरों द्वारा छोड़े गए पेट डैंडर पर जीवित रहते हैं। यदि संभव हो, तो उतारे जा सकने वाले कवर को 140 डिग्री फॉरेनहाईट से 195 डिग्री फॉरेनहाईट पर धोकर साफ करें। लेकिन ऐसा संभव न होने पर, वैक्यूम क्लीनर को हैंडहेल्ड मोड में रखकर मिनी-मोटराईज़्ड टूल का इस्तेमाल करें और अनपेक्षित पेट हेयर, डैंडर एवं एलर्जन को दूर कर दें।
4. छत
छत के टेक्सचर में धूल और कॉबवेब हो सकते हैं, लेकिन फिर भी 65 प्रतिशत भारतीय अपने घरों की सफाई के दौरान इसे नजरंदाज कर देते हैं। छत की सफाई का सबसे आसान तरीका उसे वैक्यूम क्लीनर से साफ करना है। अपने वैक्यूम क्लीनर में एक सॉफ्ट ब्रश अटैचमेंट द्वारा पेंट या वॉलपेपर को कोई नुकसान पहुंचाए बिना छत की विशाल सतह को साफ करें और मुश्किल पहुंच वाली जगहों के लिए क्रेविस टूल का इस्तेमाल करें। लाईट-वेट कॉर्ड-फ्री वैक्यूम ऊंचाई वाली जगहों तक पहुंचने का अच्छा ऑप्शन है।
5. पर्दे एवं ब्लाईंड
68 प्रतिशत भारतीय अपने घरों की सफाई के दौरान पर्दों और ब्लाईंड्स की सफाई को नजरंदाज कर जाते हैं। उनमें ढेर सारी धूल जमी हो सकती है और कपड़ों में डस्ट माईट पनप सकते हैं। उन्हें एक सॉफ्ट ब्रश टूल द्वारा वैक्यूम क्लीनर से साफ करें। संभव हो तो उन्हें धोकर साफ करें।