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आइये हम बताते है कि बारिश के मौसम में क्यों कम खाना चाहिए दूध-दही?
जनता से रिश्ता वेब डेस्क न्यूज़ :-पूरे भारत में मानसून ने दस्तक दे दी है, जिससे लोगों को भीषण गर्मी और उमस से राहत मिल गई है, अगर आप चाहते हैं कि ये राहत कहीं आफत न बन जाए, तो इसके लिए आपको डेली डाइट में जरूरी बदलाव करने होंगे. जिसमें डेरी प्रोडक्ट्स भी शामिल हैं. आमतौर पर हम दूध-दही को हेल्दी डाइट में शुमार करते हैं, लेकिन बरसात के मौसम में इसका बुरा असर हो सकता है.बारिश के मौसम में क्यों कम खाना चाहिए दूध-दही?
बारिश के मौसम में क्यों कम खाना चाहिए दूध-दही?
1. कीटाणु के कारण
बरसात के मौसम में ग्रीनरी बढ़ जाती है और हरी भरी घास के साथ कई ऐसी खर पतवार उगने लगते हैं जिसमें कीड़े-मकोड़े भी पनपते हैं. गाय, भैंस और बकरी इन्हें चारे के तौर पर खा लेते हैं. इसका नतीजा ये होता है कि कीटाणु घास फूस के जरिए दूध देने वाले जानवरों के पेट में पहुंच जाते हैं, और फिर जब ये दूध देते हैं तो इसके सेवन से हमारे शरीर को नुकसान पहुंच सकता है. बेहतर है कि हम सावन गुजरने का इंतजार करें और मिल्क प्रोडक्ट से थोड़ी दूरी बना लें.
2. डाइजेशन की प्रॉब्लम
बरसात के मौसम में अक्सर लोगों का डाइजेशन दुरुस्त नहीं रहता, ऐसे में अगर आप ज्यादा फैटी मिल्क का सेवन करेंगे तो पाचन में दिक्कतें आ सकती हैं और पेद दर्द, गैस, दस्त और उल्टी की शिकायत भी मुमकिन है. इसलिए मानसून में थोड़ा परहेज जरूर हो जाता है.
4. सर्दी-जुकाम का खतरा
भीषण गर्मी में हमें ज्यादा से ज्यादा दही खाने की सलाह दी जाती है क्योंकि इससे पेट ठंडा रहता है और पाचन से जुड़ी कोई परेशानी पेश नहीं आती, लेकिन बरसात में मौसम वैसे ही ठंडा हो जाता है और अगर ऐसे में ठंडी चीजें ज्यादा खाएंगे तो सर्दी-जुकाम का खतरा पैदा होना लाजमी है.