लाइफ स्टाइल

जानिए घर मैं कैसे बनाये अलसी और तिल के बिजोरे

Kajal Dubey
24 April 2023 2:45 PM GMT
जानिए घर मैं कैसे बनाये अलसी और तिल के बिजोरे
x
तली-भुनी चीज़ें किसे नहीं पसंद. कढ़ाई में ढेर सारा तेल और उसमें तली जा रहे प्याज़ के पकौड़े, आलू वड़े, बेसन की फुलौरी, उड़द दाल के पापड़… यह नज़ारा आपकी ज़ुबान को ख़ुश कर देता है. लेकिन दूसरी ओर इन लज़ीज़ पकवानों को तले जाने के बाद बचे तेल का क्या किया जाए यह सवाल सताने लगता है. अक्सर हम तलने के बाद बचे तेल को सब्ज़ी छौंकने, कढ़ी बनाने के लिए इस्तेमाल कर लेते हैं. लेकिन सच्चाई यही है कि यह आदत बिल्कुल ग़लत है. फ्राइंग के बाद पैन में बचा तेल हमारे कुछ पैसे तो बचा सकता है, लेकिन हमारी सेहत को बिगाड़ सकता है.

दोबारा इस्तेमाल करने के नुक़सान
शोध बताते हैं कि बार-बार एक ही तेल का इस्तेमाल करने से हमारे शरीर में ज़्यादा फ्री रैडिकल्स बनने लगते हैं, जो हमारे शरीर में इंफ़्लेमेटरी डिस्‍ऑर्ड्स, दिल से जुड़ी समस्याएं और यहां तक कि कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों को जन्म देते हैं.
हर तेल का अपना स्मोकिंग पॉइंट होता है यानी की एक ऐसा पॉइंट जिस तक तेल को गर्म करने पर वह ख़राब हो जाता है. जितना ज़्यादा स्मोकिंग पॉइंट होगा, तेल को उतने ज़्यादा समय तक आप इस्तेमाल कर सकते हैं. लो स्मोक पॉइंट वाले तेल को दोबारा बिल्कुल भी इस्तेमाल में नहीं लाना चाहिए. रिफ़ाइंड ऑयल के मुक़ाबले वेजेटेबल ऑयल का स्मोकिंग पॉइंट ज़्यादा होता है. तेल को उसके स्मोक पॉइंट से ज़्यादा गर्म करना हानिकारक होता है. क्योंकि ऐसा करने पर तेल ऑक्सिडाइज़ होकर फ्री रैडिकल्स और 4-हाइड्रॉक्सी-2-नॉनएनल जैसे कम्पाउंड्स रिलीज़ करने लगता है.
फ्री रैडिकल्स त्वचा को जल्दी बूढ़ा दिखाते हैं. ये हमारी त्वचा पर झुर्रियों और दाग़-धब्बों को बढ़ाते हैं. फ्री रैडिकल्स बढ़ती उम्र में अल्ज़ाइमर और पार्किंसन जैसी बीमारियों को भी जन्म देते हैं. इसलिए भले ही फ्राइड ऑयल को इस्तेमाल करना जेब के लिहाज़ से सही लगता हो, लेकिन आपके सेहत के भविष्य के लिहाज़ से बहुत महंगा सौदा है. वैसे भी सही ही कहा गया है कि प्रिकॉशन इज़ बेटर दैन द क्योर यानी इलाज से बेहतर है परहेज. और यह परहेज तो कोई बहुत मुश्क़िल भी नहीं है. आपको बस अपनी एक छोटी-सी आदत बदलनी है. अगली बार जब वड़ा या कुछ भी तलें तो बचे हुए तेल को किसी डिब्बे में स्टोर करने की बजाय तुरंत फेंकें. हां, एक टिप हम ज़रूर दे सकते हैं कि आप फ्राइंग के लिए कम से कम तेल का इस्तेमाल करें, ताकि आपको पैन में ज़्यादा तेल बचे ही नहीं और बचा हुआ तेल फेंकते वक़्त आपको दुख भी न हो.
कैसे करें दोबारा इस्तेमाल?
यदि आप हाइ स्मोक पॉइंट वाले तेल को स्टोर कर भी रहीं हैं, तो कुछ बातों का ख़्याल रखना ज़रूरी है.
सबसे पहले तो इस्तेमाल किए गए तेल को पूरी तरह से ठंडा हो जाने दें. उसके बाद इसे छाने बिना कभी भी स्टोर न करें. ध्यान रहे कि बचे हुए स्टोर करनेवाले तेल में बिल्कुल भी फ़ूड पार्टिकल्स नहीं होने चाहिए. तेल में रह गए फ़ूड पार्टिकल्स फ़ूड पॉइज़निंग जैसी समस्याओं को जन्म देते हैं. कई बार इसमें पनपने वाले बैक्टीरिया जानलेवा भी साबित हो सकते हैं.
फ्रीज में तेल को स्टोर करने के बाद इस्तेमाल से पहले उसे कमरे के तापमान पर ज़रूर ले आएं. इस बात को भी समझें कि हर तेल को फ्रीज में स्टोर नहीं किया जा सकता. कई बार हम तेल को खुला रखकर फ्रीज में स्टोर कर देते हैं, लेकिन यह तेल को स्टोर करने का ग़लत तरीक़ा है. तेल को हमेशा एयरटाइट कंटेनर में स्टोर करें.
यदि तेल के रंग और टेक्स्चर में हल्का-सा भी बदलाव आया हो, तो इसे इस्तेमाल करना बंद करें. जो फ्राइड ऑयल चिपचिपा, गहरे रंग और अजीब-सी महक वाला हो जाता है, उसे बिल्कुल भी दोबारा इस्तेमाल न करें. यह आपके शरीर के लिए बहुत ज़्यादा हानिकारक है.तैयारी का समयः 20 मिनट
बनाने का समयः 25 मिनट
सूखाने का समयः 10 दिन
यह रेसिपी हमारी पाठक स्नेहलता मिश्रा ने कोटा से भेजी है.
सामग्री
500 ग्राम उड़द दाल
1 किलो लौकी
600 ग्राम तिल
600 ग्राम अलसी
3 टेबलस्पून घी
नमक, स्वादानुसार
मिर्च
विधि
1. उड़द दाल को आठ घंटे के लिए या रातभर भिगोकर रखें. अगले दिन दाल को अच्छे से धोकर पीस लें.
2. कद्दू को कद्दूकस कर लें.
3. अब सभी सामग्री को एक साथ मिलाकर गाढ़ा पेस्ट तैयार करें. तैयार पेस्ट से गोल-गोलकर छोटी‌ टिकिया बना लें.
4. जब सारी टिकिया बन जाएं, तो इन्हें 10 दिनों तक तेज़ धूप में सुखाएं.
5. घी में तलकर गरमागर्म परोसें.
Next Story