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अल्जाइमर रोगियों की याददाश्त समय के साथ कमजोर होती रहती है। जिससे इन्हें दैनिक कार्य जैसे- खाना खाने, समय पर दवा लेने, कपड़े पहनने आदि के अलावा घर के सदस्यों के नाम भूलने व उन्हें पहचानने की परेशानी होती है
अल्जाइमर रोगियों की याददाश्त समय के साथ कमजोर होती रहती है। जिससे इन्हें दैनिक कार्य जैसे- खाना खाने, समय पर दवा लेने, कपड़े पहनने आदि के अलावा घर के सदस्यों के नाम भूलने व उन्हें पहचानने की परेशानी होती है। आमतौर पर यह रोग 60 वर्ष के बाद होता है। इन रोगियों में वर्तमान को भूलने की समस्या होती है। इसीलिए अन्य रोगियों की अपेक्षा अल्जाइमर रोगियों की देखभाल करना थोड़ा कठिन होता है। अपने में खोए रहने वाले ये रोगी पूरी तरह से परिवार के सदस्यों की देखभाल पर ही निर्भर होते हैं।
दवाओं के साथ भावनात्मक सहयोग: वास्तव में अल्जाइमर से ग्रसित लोगों की मनोस्थिति व स्वभाव बिल्कुल बच्चों जैसा हो जाता है। उन्हें न तो सही या गलत का ज्ञान होता है और न ही वे जीवन के प्रति संवेदनशील होते हैं। इन रोगियों के गलती करने पर आपको डांटना या नाराज नहीं होना, बल्कि बच्चों की तरह प्यार से समझाना है, क्योंकि इनकी गलती का कारण बीमारी है। शोधों के अनुसार, अल्जामइर रोगियों को दवाओं के साथ यदि भावनात्मक सहयोग व प्यार दिया जाए तो रोग पर काफी हद तक नियंत्रण पाया जा सकता है। उम्र बढ़ने के साथ इनमें अन्य बीमारियों की आशंका भी बढ़ती है।
स्पष्ट नहीं बीमारी का कारण: अल्जाइमर की बीमारी क्यों होती है? इसे लेकर अभी भी शोध जारी हैं और इसका सटीक कारण पता नहीं है। हालांकि कुछ शोधों के अनुसार, इसकी वजह मस्तिष्क में बड़ी संख्या में मौजूद कोशिकाओं में जब प्राकृतिक रूप से एमिलाइड प्रोटीन का स्तर बढ़ने लगता है तो न्यूरान नष्ट होने लगते हैं और ये याददाश्त, सोचने की क्षमता व्यावहारिक ज्ञान और बौद्धिकता पर असर डालते हैं।
खानपान का विशेष खयाल: मानसिक व शारीरिक स्वस्थ के लिए आहार में पोषक तत्वों का होना जरूरी है, लेकिन अल्जाइमर रोगियों की डाइट में इसे नियमित रूप से लागू करना चाहिए। इन रोगियों के लिए हाई प्रोटीन डाइट, मौसमी फल, हरी सब्जियां, विटामिंस और फली वाली सब्जियों का सेवन बहुत आवश्यक है। ये मस्तिष्क में सकारात्मक प्रभाव डालते हैं। चिकित्सक इन रोगियों को अल्जाइमर की दवाओं के साथ विटामिंस के सप्लीमेंट्स भी देते हैं। इससे रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत बनती है। अल्जाइमर रोगी को घर पर अकेला न छोड़ें और दवाएं समय पर दें। रोगी से बात करना और साथ में वक्त बिताना सेहत पर दवाओं जैसा ही असर डालता है
Tagsअल्जाइमर रोगि
Ritisha Jaiswal
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