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अयोध्या: सनातन धर्म में हर पर्व, त्योहार का बहुत अधिक महत्व माना जाता है. वैसे ही साल के 12 महीने में प्रत्येक महीने प्रदोष का व्रत भी भगवान शंकर के निमित्त रखा जाता है. धार्मिक मान्यता के अनुसार प्रदोष व्रत हर महीने की त्रयोदशी तिथि में रखा जाता है. कहते हैं जो व्यक्ति सच्चे मन …
अयोध्या: सनातन धर्म में हर पर्व, त्योहार का बहुत अधिक महत्व माना जाता है. वैसे ही साल के 12 महीने में प्रत्येक महीने प्रदोष का व्रत भी भगवान शंकर के निमित्त रखा जाता है. धार्मिक मान्यता के अनुसार प्रदोष व्रत हर महीने की त्रयोदशी तिथि में रखा जाता है. कहते हैं जो व्यक्ति सच्चे मन से प्रदोष व्रत रखता है और भगवान शिव की उपासना करता है उसे दुख दरिद्रता, संकट, रोग, कर्ज से छुटकारा मिलता है.
अयोध्या के ज्योतिषि पंडित कल्कि राम बताते हैं कि हिंदू पंचांग के अनुसार कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को साल का पहला प्रदोष रखा जाएगा. त्रयोदशी तिथि की शुरुआत सोमवार दिनांक 8 जनवरी को रात्रि 11:58 से शुरू होकर अगले दिन मंगलवार दिनांक 9 जनवरी को रात्रि 10:24 तक रहेगा. यानी 9 जनवरी को साल का पहला प्रदोष व्रत रखा जाएगा.जो प्रदोष व्रत मंगलवार के दिन पड़ते हैं उन्हें भौम प्रदोष कहा जाता है. पुराणों के अनुसार भौम प्रदोष के दिन व्रत रखने से व्यक्ति को हर तरह के रोगों से मुक्ति मिलती है. ऐसा करने से स्वास्थ सम्बन्धी समस्याएं नहीं होती हैं.
मासिक शिवरात्रि और प्रदोष व्रत एक साथ
पंडित कल्कि राम बताते हैं कि साल के पहले प्रदोष व्रत के दिन कई अद्भुत संयोग का निर्माण भी हो रहा है. इस शुभ योग में किया गया पूजा पाठ कई गुना अनंत फल देगा. प्रदोष व्रत के साथ-साथ इस दिन साल की पहली मासिक शिवरात्रि भी है. शिवरात्रि और प्रदोष व्रत एक ही दिन पड़ने के कारण इस दिन का महत्व और अधिक बढ़ जाता है. इस दिन भगवान शंकर के साथ हनुमान जी की पूजा आराधना करने से सभी प्रकार की नकारात्मक शक्तियां दूर हो जाती है.
क्या है प्रदोष व्रत का महत्व?
पंडित कल्कि राम बताते हैं कि धार्मिक शास्त्रों के अनुसार प्रदोष व्रत रखने से कई गुना फल की प्राप्ति भी होती है. दरिद्रता का नाश होता है. घर में सकारात्मक ऊर्जा का निवास होता है. इस दिन पूजा पाठ करने से विवाह में आ रही बाधा दूर होती है. इतना ही नहीं इस दिन व्रत रख कर भगवान भोले के निमित्त रुद्राभिषेक करने से ही शीघ्र ही शादी के योग भी बनती है.