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'अरोमाथेरेपी', जैसा कि इसके नाम से जाहिर होता है 'अरोमा' मतलब 'खुशबू' और 'थेरेपी' मतलब 'चिकित्सा'। थकान से लड़ने, भावनात्मक और मानसिक तनाव को कम करने के लिए उपचार करने का यह एक बेहतरीन तरीका है। एसेंशियल ऑयल्स की मदद से व्यक्ति को रिफ्रेश करने और एनर्जेटिक एक्सपीरियंस देने का यह एक लोकप्रिय तरीका है।
एसेंशियल ऑयल्स इसमें एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, क्योंकि यह पौधों, जड़ी-बूटियों, फूलों, पंखुड़ियों, छाल जैसी प्राकृतिक तत्वों से निकाले जाते हैं। भारत, चीन के अलावा ग्रीस, रोमन, फारसी जैसी विभिन्न सभ्यताओं में प्राचीन काल से ही इन तेलों का इस्तेमाल होता आ रहा है। इन तेलों का प्रमुख रूप से ब्यूटी प्रोडक्ट, इत्र और दवाओं में रोगों को ठीक करने, कल्याण को बढ़ावा देने और अन्य चिकित्सीय उद्देश्यों के लिए उपयोग किया जाता है। लेकिन अगर आपको तेज गंध से सरदर्द होता है, तो इस्तेमाल से पहले डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए।
हालांकि, इसे लेकर अब भी कुछ ठोस क्लीनिकल रीसर्च की कमी है। लेकिन लिखित साक्ष्य बताते हैं कि एसेंशियल ऑयल्स के इस्तेमाल से मन को शांत करने, थकान कम करने, नींद में सुधार करने जैसे और भी बहुत से फायदे हैं। इसके अलावा यह भी माना जाता है कि कुछ की सुगंध तो इतनी कारगर है कि उसे सूंघने से सामान्य सर्दी और फ्लू को ठीक करने में मदद मिल सकती है, बैक्टीरिया के संक्रमण को कम किया जा सकता है, काम पर बेहतर ध्यान केंद्रित किया जा सकता है। आज के समय में कुछ फ्रेग्रेंस काफी लोकप्रिय हो रहे हैं, जो घर के डेकोरेशन से लेकर किसी स्पेशल ओकेजन तक के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है। चलिए एक नजर डालते हैं ऐसे ही कुछ एसेंशियल ऑयल्स पर।
अरोमाथेरेपी के लिए कुछ लोकप्रिय एसेंशियल ऑयल फ्रेग्रेंस-
लेमनग्रास: यह सबसे लोकप्रिय सुगंधों में से एक है और अरोमाथेरेपी के लिए दुनिया भर में बड़ी संख्या में इस्तेमाल की जाती है। लेमनग्रास अपने नींबू, सिट्रिक और रिफ्रेशिंग फ्रेग्रेंट के लिए जाना जाता है और थकान से लड़ने और तनाव और चिंता के लक्षणों को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। कुछ लोगों का मानना है कि लेमनग्रास की खुशबू माइग्रेन और सिरदर्द को कम करने में मदद कर सकती है।
यूकेलिप्टस: इसमें बहुत तीखी, कपूर और पुदीने की महक होती है। यूकेलिप्टस को हिंदी में नीलगिरी कहते हैं, जिसके एसेंशियल ऑयल की खुशबू को अंदर लेने से बंद गले को साफ करने और खांसी को ठीक करने में मदद मिल सकती है। नीलगिरी एसेंशियल ऑयल का इस्तेमाल गर्म बोतलों में भी किया जा सकता है और कसरत के बाद दर्द को कम करने के लिए इस्तेमास में लिया जा सकता है।
सफेद चमेली: सफेद चमेली की खुशबू थोड़ी मीठी और रोमांटिक होती है। इसकी खुशबू को सूंघने से आराम और तरोताजा महसूस करने में मदद मिल सकती है। कुछ लोगों का मानना है कि व्हाइट जैस्मिन अवसाद के लक्षणों को दूर कर सकती है और संपूर्ण मनोदशा को सुधारने में मदद कर सकती है।
रोजमेरी: इसमें बहुत ही मिन्टी, वुडी, रिफ्रेशिंग और जड़ी-बूटी की सुगंध होती है, जो तनाव और मानसिक थकान को कम कर सकती है। रोज़मेरी अरोमाथेरेपी आपके मनोदशा को सुधारकर कार्य क्षमता को बढ़ाने में मदद कर सकती है। साथ ही यह जोड़ों की सूजन को कम करने में भी मदद कर सकता है।
लैवेंडर: पुराने समय से ही लैवेंडर का उपयोग चिकित्सीय उद्देश्यों के लिए किया जाता रहा है। आज भी, तनाव, चिंता और मूड को ठीक करने के लिए लैवेंडर अरोमाथेरेपी का व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है। लैवेंडर अपनी फ्लोरल, मीठी और सूदिंग खुशबू के लिए जाना जाता है और मन की शांति को बढ़ावा देता है। इसके साबुन, लोशन, शैंपू और अन्य कॉस्मेटिक उत्पादों में भी प्रयोग किया जाता है। लैवेंडर नींद में भी सहायता करता है और अनिद्रा को ठीक करता है।
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Apurva Srivastav
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